2018 के पांच विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद हो सकता है बीजेपी अपनी की गई गलतियों पर विचार-विमर्श करे। आखिर आप कब तक जनता को यूं ही राम मंदिर के नाम पर लॉलीपॉप दिखाते रहेंगे। आज की जनता समझदार और साक्षर है। ये विकास चाहती है और बेरोजगार युवा रोजगार चाहते हैं। और आपने अपनी सत्ता में रहते हुए सिर्फ़ जनता को प्रलोभन दिया है। विकास तो आपने किया नहीं। किया तो बस हर चीज़ का नामकरण। दलित को लुभाने के लिए SC-ST एक्ट को पास किया। लेकिन आप शायद भूल गए कि सवर्णों के समर्थन के बिना आपका जीतना असम्भव है। ये विगत परिणाम इस बात के साक्षी हैं। वोट के लिए आप दलितों-पिछड़ों और मुस्लिमों पर राजनीति करते रहे। लेकिन हुआ क्या आपको तो उनके वोट भी नहीं मिले। सत्ता में आने के बाद आपकी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के बड़े बोले और अहंकार आपकी विजय को ले डूबा। वो कहते हैं ना कि ज़्यादा बड़े बोल नहीं बोलने चाहिये और फिर अहंकार तो रावण को भी ले डूबा था।
आपकी ही पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने बयान दिया था कि हमारी पार्टी को 52 सालों तक कोई सत्ता से बेदखल नहीं कर सकता। आपके बड़े बोल ही आपको ले डूबे।
अभी भी अग़र जनता के दिल में अपनी जगह बनाना चाहते हैं और उनका प्यार वापिस से पाना चाहते हैं तो एक ही रास्ता बचा है वो है राम-मंदिर का निर्माण। अब जनता विकास के लिए आपको वोट नहीं देगी, वोट देगी तो सिर्फ़ मंदिर निर्माण के लिए। अब आपको अध्यादेश लाना ही होगा नहीं तो 2019 में फ़िर से एक बार बड़ी हार के लिए तैयार रहिएगा। आपकी पार्टी हनुमान की जाति पर तंज ना कसकर उनके गुरु राम के मंदिर का निर्माण कराने पर ध्यान देती तो ज़्यादा अच्छा होता। जितनी जल्दी हो सके राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाइए। यही आपके लिए जड़ीबूटी का काम कर सकता है। सत्ता में बने रहने के लिए यही एक फैसला ही आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है। अब आप सोच-विचार करिये की 2019 में बने रहने के लिए आपको ये अध्यादेश कितनी जल्दी लाना है। एक बात याद रखिये ये जनता अग़र सिर-आँखों पर बैठाती है तो वहीं नज़रों से गिराना भी इसे ख़ूब आता है।
अभी भी वक़्त कहीं गया नहीं
एक बात मत भूलिए
गर राम-मंदिर बन गया
तो फ़िर आप ही सत्ता में हो लिए..!!