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तुम्हारा आना, बस यूं ही…

जब तुम आती हो,
आ जाता है
सुकून और
मन बुनने लगता है
हमारे संबंधों का एक नया प्रतिसंसार
जहां दशाएं उतनी ही आदर्श होती हैं
जितनी थी राम-राज्य के सपने में
न मन में कलुषता, न भेद-भाव
न चतुराई अपनों को लूटने की…
लेकिन
प्रतिसंसार उतना ही क्षणिक होता है
जितना
राम-राज्य का धरातल पर आना
और
मेरे जीवन में तुम्हारा होना!!!

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