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“मोदी जी, हमने लोगों की जाति-धर्म बताने के लिए आपको वोट नहीं दिया है”

आप इन दिनों सुबह, शाम, दोपहर जब भी समाचार देखेंगे या पढ़ेंगे तो एक ही मुद्दा होता है कि कौन किस जाति का है या किसका क्या गोत्र है? क्या इसके लिए ही 4 साल पहले हमने अपना मत डाला था कि आप किसी एक ही व्यक्ति की कुंडली निकालकर हमें दें। हमारा मत आपको गया था ताकि आप कुछ ज़रूरी मुद्दों पर बात करें, देश की ज़रूरतों पर काम करें।

देश की शिक्षा व्यवस्था इतनी खराब है लेकिन उसे ना तो सुधारने की कोशिश की जाती है और ना ही सरकारी अस्पतालों पर ध्यान दिया जा रहा है। महंगाई में तो ऐसे भी हम लोगों को जीने की आदत सी हो गयी है और जब मूलभूत सुविधाएं ही ना हो तो आगे डिजिटल इंडिया की बात क्यों करें?

मगर नहीं हमारे देश के राजनेता लोग तो किसी के मंदिर जाने पर घंटो भाषण देने से पीछे नहीं हटते। कोई मंदिर जाये, मस्जिद जाये क्या करना है? क्या किसी के मंदिर जाने से हमें कुछ नुक्सान है या फिर कोई फायदा है?

मौजूदा समय में बस यही बात हो रही है, “यह तुम्हारा भगवान, वह मेरा भगवान”। हमने इंसानों को जाति धर्म में बांट दिया है। आज के समय में जहां बुलेट ट्रेन की बात हो रही है, वहां हम भगवान को लेकर राजनीति कर रहे हैं, किसी के धर्म या गोत्र पर राजनीति कर रहे हैं। हर गली, हर मोहल्ले में सिर्फ एक दूसरे की जाति पर बहस करते हुए नज़र आते हैं हम।

फोटो प्रतीकात्मक है।

जो मुद्दा इस देश से खत्म होता नज़र आ रहा था अब वापस हम वहीं आकर खड़े हो गए हैं। वोट सिर्फ हिन्दू मुस्लिम का, तो बाकि सबका क्या? हमारे देश में अगर धर्म की ही बात हो रही तो बाकि और भी धर्म के लोग हैं उनका मुद्दा कोई नहीं उठाता? क्या उन्हें किसी प्रकार की सुविधा नहीं चाहिए या इस देश में सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम ही रह गए हैं?

या सिर्फ राहुल गांधी का गोत्र चर्चा का विषय रह गया है इस देश में? सोचने की ज़रूरत है और यह एक गंभीर मुद्दा बन चुका है।

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