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अपार्टमेंट के लिफ़्ट का ऐक्ट ज़रूरी क्यों है?

नोयडा और नोयडा एक्सटेंशन में 5 लाख से अधिक परिवार मल्टीस्टोरी आपर्टमेंट में रहते है और  “लिफ्ट” मल्टीस्टोरी आपर्टमेंट की लाइफलाइन है। परिवारों, छोटे बड़ो और बुजुर्गो का आना जाना लिफ्ट से ही होता है,  हाल-फिलहाल में नोयडा, ग्रेटर नोयडा में लिफ्ट से जुड़े कई हादसे हुये। एक फ्लैटअमूमन 90 वर्षो के लिए लीज पर दिया जाता है।  मतलब फ्लैट की अधिकतम उम्र 90 वर्ष मानिये। नोयडा में अधिकतर फ्लैट या तो हाल फिलहाल मिले है या तो मिल रहे है। कुल मिलाकर अपार्टमेन्ट की लिफ्ट अभी ज्यादा से ज्यादा २-3 वर्ष पुरानी है। पर देखिये २-३ साल पुरानी लिफ्ट कई सोसाइटीज में हादसे की वजह बन रही है।  बात की गम्भीरता को ऐसे समझिये की आगे आने वाले २०-25 सालो में लिफ्ट की  क्या हालत होगी।  उस लिफ्ट की जिसे 90 वर्ष चलना है। 

ऐसे में ये जरूरी है अपार्टमेंट की लाइफ लाइन लिफ्ट,उसकी मरम्मत, रख-रखाव, उससे हो सकने वाले और होने वाले हादसों की जिम्मेदारी तय करें।  जो फिलहाल नहीं है।  

फिलहाल क्या होता है:

लिफ्ट की मरम्मत, बिल्डर लिफ्ट  वाली कम्पनी को देता है , लिफ्ट की कम्पनी किसी और को आउटसोर्स करते है। पैसे के भुगतान, मरम्मत के सामान को लेकर इन तीनो पार्टीज के बीच विवाद होता रहता है। और अन्ततः लिफ्ट की मरम्मत होती नहीं और हादसों को न्योता देती है। हादसे होने पर भी कोई जिम्मेदारी तय नहीं है। किसी पर आपराधिक कार्यवाही नहीं होती।  सब निकल जाते है पीड़ित और पीड़ित होता है। 

क्या होने चाहिये?

उपभोक्ता बिल्डर को पैसे देता है। बिल्डर लिफ्ट कम्पनी को, जैसा पैसा बिल्डर देता है उसी आधार के गुणवत्ता मिलती है। कुल मिलाकर जिम्मेदारी तीनो की होनी चाहिये, मरम्मत करने वाली कम्पनी की भी। यदि कोई हादसा होता है तो सबसे पहले मरम्मत कम्पनी पर आपराधिक कार्यवाही होनी चाहिये, लिफ्ट की गुणवत्ता के मानक तय होने चाहिये।  बिल्डर की जिम्मेदारी तय होने चाहिये।  

लिफ्ट में होने वाले हादसे:

इनमे से सभी हादसे गर्भवती महिलाओं और भ्रूण, दिल के मरीजों, बुजुर्गो के लिये के लिये जानलेवा है। हादसों के चलते बच्चे लिफ्ट में चढ़ने से मना कर देते है।  

– फ्री-फाल होना जो लगभग जानलेवा  

– पावर कट पर लिफ्ट का तेज झटके के साथ रुकना 

– लिफ्ट का टूट कर गिर जाना

– लिफ्ट का बीच में बन्द हो जाना, ऐसे मामलात में सहायता आते-आते आधा आधा घण्टे लग जाते है। 

– लिफ्ट में ऑनलाइन यूपीएस नहीं होता जो पॉवर कट में तेज झटको से बचा सकता है। 

हाल-फिलहाल हुये हादसे:

–  2016 में उत्तर -प्रदेश के विधानसभा के लिफ्ट में मुख्यमंत्री अखिलेश पत्नी समेत लिफ्ट में आधे घण्टे फसे रहे। 

– पॉश सोसाइटीज गौर सौन्दर्यंम में लिफ्ट गिरी महिले के पैर में तीन फ्रैक्चर हुये। 

– RG Residency सेक्टर -१२० में  लिफ्ट का फ्री फॉल हुआ और गर्भवती महिला घायल हुई 

– आम्रपाली सफायर में लिफ्ट गिरी महिला गम्भीर रूप से घायल 

– AVJ सोसाइटी ग्रेटर नोयडा में लिफ्ट गिरी। 

– तमाम सोइटेटीएस में लिफ्ट के हादसे होते रहते है। जो अखबार और मीडिया की नज़र में नहीं आते चूँकि पुलिस भी इन मामलात में FIR नहीं लिखती पीड़ित इधर उधर भटकने के लिये मजबूर हो जाता है।  

ये आये दिन के हादसे है।

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