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अगले जनम मोहे “पुरुष” न कीजो

पुरुष भी इंसान है कौन करेगा उनके उत्पीड़न की बात ? 

पुरुष शब्द सुनते ही “मर्द को दर्द नही होता ” सरीखा डायलॉग याद आ जाते है हर एक मंच पर हर एक स्थान पर हमेशा महिला उत्पीड़न महिला पर अत्याचार महिला का शोषण ही विषय होता है पुरुषों को तो सर्वभौमिक रूप से अत्याचार करने वाला क्रूर मान लिया गया है आईये आज पुरुषों की बात करे
घर मे बच्चे होते ही अगर लड़का है तो सारा घर हजार महत्वाकांक्षा का बोझ शुरू से ही उस पर लाद देते है दो भाई बहन के बीच छोटी सी बात पर कुटाई भाई की ही होती है और थोड़े से बड़े युवा होते है बेरोजगार होने का ठप्पा चस्पा कर दिया जाता बेरोजगार लड़की की चर्चा शायद ही कही हो पर बेरोजगार लड़के की चर्चा हर दूसरे तीसरे घर मे सुनने को मिल जाएगी, प्रेम सम्बन्धो में भी 99% मामलों में दोषी पुरुष को ही मान लिया जाता है युवक युवती स्वयं की इच्छा से साथ होते है रहते है पर अगर सम्बन्ध विच्छेद हो तो दोष लड़के पर ही आता है कि बहला फुसला कर लड़की का उपयोग किया अब सोचिए जब चारो ओर नारी इतनी सशक्त हो रही बुद्धिमत्ता सिद्ध कर रही तो क्या ये सम्भव है कि बिना उनकी अनुमति के कोई उन्हें बहला फुसला सकता है ? लड़की पर लड़के को बहला फुसला कर उपयोग करने का आरोप कभी क्यो नही आता ? क्या सिर्फ इस लिए पुरुष ही दोषी है क्योंकि वो पुरुष है ? महिला बॉस के सामने घण्टो हाथ बंधे खड़े रहने वाले उनकी चाय बनानें से लेकर सब्जियां लाने वाले पुरुषों के दर्द और मानसिक उत्पीड़न की चर्चा कभी नही होती पर पुरुष बॉस और उनकी सेक्रेटरी के चर्चे हर जुबान पर होते है थोड़ा ऊँचे आवाज में भी महिलाओं से बात कर लेने वाले अधिकारी को गलत और शोषक साबित करने में आज कल टाइम नही लगता क्यो ? किसी भी ट्रेन बस में महिला सीट पर दिन भर का थका हारा पुरुष बैठ गया तो जिस तरह झिड़क कर उसे उठाया जाता है उसकी चर्चा क्यो नही होती अपनी बीबी बच्चों से मिलने की जल्दी में लेडीज कोच में चढ़ गए पुरुष की पिटाई तक होने पर खामोशी क्यो रहती है ? दहेज उत्पीड़न के नाम पर सैकड़ो लाखो निर्दोष पुरुष को जेल की हवा खानी पड़ती है उनकी बात क्यो नही होती , राह चलते किसी युवा को कोई लड़की बिना बात भी थप्पड़ मार दे तो उसे पीटने वालो की कमी नही होती आखिर ऐसा क्यों क्या सिर्फ पुरुष होना ही व्यक्ति को दोषी होने का प्रमाण मान लिया जाता है
आखिर कब तक पुरुषों को समाज द्वारा अपमानित और जलील होना पड़ेगा ? हम पुरुष है तो इसमें हमारा क्या दोष

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