Site icon Youth Ki Awaaz

स्वच्छ भारत मिशन की आलोचना करने वालों को इसके फायदे क्यों नहीं दिखते?

स्वच्छ भारत मिशन

स्वच्छ भारत मिशन

तो क्या है आपकी नज़रों में स्वच्छ भारत मिशन? हमसब की स्वच्छता से आखिर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का क्या संबंध है? मतलब यह कि हमारी साफ-सफाई से सरकार का क्या लेना-देना। सरकार क्यों चाहती है कि हम साफ-सुथरा रहें, खुले में शौच ना करें तथा अपने घर से निकलने वाले कचरे का भी सही प्रबंधन करें।

अब आपके ज़हन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर भारत सरकार इतने पैसे क्यों खर्च कर रही है। सरकार की बात अगर छोड़ दी जाए तब ‘टाटा’ और ‘पीरामल’ जैसे बड़े औद्योगिक घराने भी अर्जित किए गए धन को स्वच्छता के नाम पर लुटा रहे हैं।

आप यह भी सोच रहे होंगे कि भारत सरकार कभी बैनर, पोस्टर तो कभी फिल्मों और विज्ञापनों के ज़रिए करोड़ों रुपये आखिर स्वच्छता के नाम पर क्यों खर्च कर रही है।

कभी अमिताभ बच्चन, अनुष्का शर्मा तो कभी अक्षय कुमार जैसे कलाकार शौचालय के संदर्भ में विज्ञापन के ज़रिए सामने आकर कहते हैं, “भैया खुले में शौच ना कीजिए, दरवाज़ा बंद करके शौचालय का इस्तेमाल कीजिए।

चलिए मान लेते हैं देश में और भी मुद्दें हैं, फिर आप शौचालय पर ही क्यों चिंता प्रकट करेंगे। मैं जानता हूं कि आप शिक्षित हैं, आपको स्वच्छता का महत्व पता है और आप इसके फायदों से भी वाकिफ हैं। आप अमिताभ बच्चन, अनुष्का शर्मा, अक्षय कुमार और नरेंद्र मोदी के बताए बगैर भी यह जानते हैं कि खुले में शौच करने से क्या नुकसान हैं।

मगर जनाब इस देश में सिर्फ आप जैसे ही शिक्षित लोग तो नहीं हैं ना! कुछ मुझ जैसे अनपढ़ और जाहिल लोग भी हैं जिन्हें यह नहीं पता कि स्वच्छता क्या है? इसके फायदे और इसका नुकसान क्या हैं?

आइए अब बात करते हैं कि आदमी सीखता कैसे है ? सीखने की प्रक्रिया शुरू कहां से होती है और आपने जो अबतक सीखा, समझा और जाना, वह आपके व्यक्तित्व में शामिल कैसे हुआ है? तो जनाब, कोई भी व्यक्ति सबसे पहले अपने आसपास का माहौल देखकर सीखता है

स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में चलाए जा रहे अभियानों के ज़रिए भी लोगों को स्वच्छता के प्रति अच्छी आदत लगाने की कोशिश की जा रही है। आजतक एक बहुत बड़ी आबादी जो खुले में शौच करने को विवश थी, वही आबादी अब शौचालय के महत्व को समझने लगी है, क्योंकि सरकार के साथ-साथ कुछ जागरूक संगठनों एवं लोगों ने भी घर-घर जाकर ग्रामीणों को प्रेरित करना शुरू कर दिया है। शौचालय के महत्व पर बहस शुरू हुई है और खुले में शौच करने से होने वाली बीमारियों  पर भी चर्चा शुरू हुई है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत सफाई कार्यक्रम

कुल मिलाकर मामला यह है कि हिन्दुस्तानी लोग तबतक किसी बात को नहीं मानते हैं जबतक आप उनके समक्ष प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत ना कर दें। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि हमलोग अपना बनियान और चड्ढी भी टेलीविज़न देखकर खरीदते हैं। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा देने के लिए अगर प्रचार तंत्र का इस्तेमाल किया भी जा रहा है तो हमें दिक्कत क्यों हो गई।

कभी उन महिलाओं, बच्चियों, बुज़ुर्गों और पर्सन विद डिसएबिलिटी से बात करने पर आप जान पाएंगे कि स्वच्छ भारत मिशन के आने से पहले जब वे खुले में शौच करने जाते थे, तब उन्हें कैसा लगता था। आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि अब उनके जीवन में क्या तब्दिली आई है।

एक महिला जब दिन के उजाले में शौच करने के लिए जाती थीं तब उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। रास्ते में अगर उनके जेठ, ससुर या कोई परिचित लोग दिख जाते थे, तब उन्हें उल्टे पांव भागना पड़ता था।

कभी उस विकलांग बच्ची से बात करके देखिएगा जिसकी विकलांगता की वजह से किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। वो ना सिर्फ सही से कपड़े पहन पाती थी बल्कि विकलांगता की वजह से उसे चलने में भी दिक्तक होती थी। कई बार वह बच्ची अपने किए शौच पर ही गिर जाती थी और उसकी साथी महिलाएं उसको ताना देते हुए उसे उसके हाल पर छोड़कर घर वापस आ जाती थी। मगर अब उस बच्ची के पास भी अपना शौचालय है।

कभी उन दलितों से बात कीजिएगा जिन्हें लोग खुले में शौच करने के लिए बदनाम करते थे। पूरा गॉंव ही कहता था कि इन दलितों की वजह से गॉंव में गंदगी फैलती है लेकिन जब दलितों ने स्वच्छ भारत मिशन के ज़रिए शौचालय बनवाकर उसका प्रयोग करना शुरू किया तब सच्चाई सामने आई।

कभी उन महिलाओं से बात कीजिएगा जिनके सशक्तिकरण के नाम पर आप अपना गला फाड़ते रहते हैं, इस स्वच्छ भारत मिशन ने उनको भी नेतृत्व करने का अवसर दिया है। जो महिलाएं सिर्फ चौखट के अंदर ही रहती थी, अब वो भी सामाजिक नेतृत्व की अगुवाई कर रही हैं।

अंत में जाते-जाते एक बात और कहना चाहूंगा कि हर व्यक्ति के पास चार तरह की ज़िम्मेदारियां होती हैं।

तो आइए अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करते हुए अपने-अपने इलाकों में स्वच्छ भारत मिशन के प्रति लोगों को जागरूक करना शुरू करें।

Exit mobile version