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“मैं आज तक अपने घर नहीं जा पाई क्योंकि मैंने दूसरी जाति के लड़के से शादी की”

आज के भारत की तस्वीर देखी जाए तो आज भी वह जातिगत भेदभाव को दर्शाती हुई दिखती है। आज भी अंतरजातीय विवाह को स्वीकृति मिल पाना बहुत मुश्किल है लेकिन हमारी कहानी में हमने समाज की इसी कुरीति को तोड़ा और साथ ही कई अन्य कुरीतियों को भी समाप्त किया।

हम बचपन से ही प्रेम विवाह करना चाहते थे लेकिन डरते थे कि कभी हमें परिवार की स्वीकृति मिलेगी भी की नहीं। हम जब 26 साल के हुए तो हमारी जान-पहचान प्रशांत कनौजिया से हुई। उनसे ऑनलाइन बातचीत के बाद हम एक दिन उनसे मिले। कहने को यह एक फिल्मी कहानी लगेगी लेकिन हमें पहली नज़र में ही उनसे प्यार हो गया।

एक लड़की के तौर पर हम बताए तो प्रशांत समाज के बाकी मर्दों जैसे नहीं हैं। वह औरत को एक इंसान समझते हैं। उनकी सादगी और औरतों के प्रति सम्मान ही हमें उनसे प्यार करने से नहीं रोक सका। हमें उन्होंने बताया की वह दलित हैं और उन्हें इसमें न कोई शर्म है और न ही वह किसी से यह बात छिपाते है। हम जिस परिवार से आते है वह रुढ़िवादी है और हमारे परिवार में दूसरी जाति में शादी नहीं की जाती इसलिए हम बहुत डर गए थे कि उन्हें यह बात कैसे बताएंगे।

हमारे परिवार को तब हम दोनों के बारे में पता चला जब हमने फेसबुक पर हमारी तस्वीर लगाई। इसके बाद मेरे परिवार वाले बेहद गुस्से में आ गए। उन्होंने हमसे कहा कि तुम समाज में हमारा नाम खराब कर रही हो और हम खानदान में क्या मुँह दिखाएंगे। इन सब बातों के बीच हमारे बड़े भाई ने हमसे घर से जाने को कहा और हम अपना घर छोड़कर आ गए लेकिन हमारे आने के बाद हमें धमकियां मिलने लगीं और जब प्रशांत को भी मारने की धमकी मिली तो हम डर गए।

हमने थाने में जाकर एफआईआर लिखवाई और फिर उसके बाद अलग रहने लगे। हमने इसके बाद अपने कुछ दोस्तों के साथ जाकर लखनऊ में आर्यसमाज रीति-रिवाज़ों से शादी की। आज हमारी शादी को 1 महीने से ज़्यादा हो गया है लेकिन आज भी हम अपने घर नहीं जा पाए हैं। आज भी घरवाले समाज और जात-बिरादरी को ज़्यादा अहमियत देते हैं।

जाति और धर्म न तो गर्व करने की चीज़ है और न ही शर्म करने की। समाज हम सबसे बनता है लेकिन हम आज भी अंतरजातीय विवाह होते हुए कम देखते हैं। आजादी के 70 साल बाद भी हम जकड़े हुए हैं कई कुरीतियों में और हाँ हमने शादी की और दहेज के बिना की। हमारी शादी बिल्कुल साधारण थी। ना ही हमने अपनी शादी में ज़्यादा पैसे खर्च किए थे क्योंकि प्रशांत कहते हैं अगर कर्ज़ लेकर शादी की जाए उस शादी का क्या मतलब? हमें बधाईयां दी गईं कि हमने बहुत बड़ा काम किया है लेकिन हम सपना देखते हैं कि किसी को कभी यह ना सुनना पड़े और अंतरजातीय विवाह इस समाज में सामान्य हो जाए।

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