इस बार लग रहा था कि सर्दियां जल्दी आ जाएंगी । खुशी हो रही थी कि चलो ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिछले कुछ सालों से मौसम का पूरा मामला ही गड़बड़ा गया है। पर पिछले हफ्ते से जल्दी सर्दियां आने की खुशी हवा हो गई जब दिल्ली की हवा में सांस लेना दूभर हो रहा है । सर्दियां तो नहीं आईं सही समय पर लेकिन प्रदूषण और धुंध जरूर आ गए है । सही समय पर आ गई है प्रदूषण से बचने कि चेतावनियां और तरीके जैसे पॉल्यूशन मास्क ।अब बच्चो , जवानों से लेकर बूढ़े लोगो तक सब एक जैसे चैन की सांस लेने के लिए ये मास्क लगाए दिखेंगे। पर ये प्रदूषण मास्क और बढ़ते प्रदूषण के कारण घर से बाहर ना निकलने वाले तरीके तो बहुत ही अस्थायी है । क्या सब ये मास्क खरीदने का खर्च उठा सकते है या काम धंधा छोड़ कर घर बैठ सकते हैं । वो लोग जिनका काम ही खुली सड़कों पर होता है जैसे सड़क किनारे लगी दुकाने, फ्लाईओवर के नीचे रहने वाले लोग , सड़कों पर फूल बेचते और करतब दिखाते बच्चे इन सब के काम का स्थान ही रोड और सड़के है। और हां प्रदूषण के मद्देनजर सरकार ने चेतावनियां और बचने के लिए सावधनियां ज़ारी करने के साथ दीवाली पर पटाखे जलाने के लिए समय भी बता दिया है रात 8 से 10 बजे तक मतलब अगर आप 2 पटाखे जलायेंगे तो उससे कम प्रदूषण होगा और तब आप थोड़े सस्ते मास्क ले सकते है इस हवा में सांस लेने के लिए। क्या सरकार पूरी तरह बैन नहीं लगा सकती थी पटाखे जलाने पर ? चलिए सरकार तो जो कर सकती थी और कर सकती है उसने कर दिया अब बारी आती है हम लोगो पर की खुद कुछ जिम्मेदारी उठाएं और पटाखे न जलाएं।