बगैर मेरे न रह सकोगे तो हो जाऊंगा फिर में तुम्हारा
यकीन मानो में कल भी था और कल भी होऊंगा में तुम्हारा
तुम्हारी आँखों मे डूब कर के भुला दिया है मेने खुद को
न हु में इसका न हु में उसका फकत हु यारा में तुम्हारा
भुला न पाया वो चार लम्हे गुजारे जो भी थे साथ तेरे
पकड़ के हाथों को तेरे जिस पल हो गया था में तुम्हारा
तेरे खतों को समेट कर के रखे है मेने तिजोरियों में
सबूत है वो तेरे प्यार के जब तलक था में तुम्हारा
अजब सितम है के कुछ दिनों से नजर तुम्हारी मिली नही है
कब मिलाओगे मुझ से नजरे नही रहूंगा जब में तुम्हारा
नसीब में ये नही है शायद कि बन सको तुम सफर के साथी
क्यो अब तलक ये न हो सका की बनू में रहबर फकत तुम्हारा
HF ABDULLAH USAMA BAIG रहबर