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सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले अंधभक्त क्या ‘जोम्बीज़’ बन गए हैं?

Zombies

सोशल मीडिया पर ट्रोल करने वाले Zombies की तरह होते हैं

ऐसी भक्ति को अंधभक्ति कहा जाता है जो किसी के प्रति उसके अवगुणों को नज़रअंदाज़ करते हुए पूर्ण रूप से समर्पित हो। सोशल मीडिया पर कुछ लोग बहुत अधिक मात्रा में खुले सांड की तरह घूम रहे हैं। ये लोग वैसे ही अंधभक्त हैं जिसकी परिभाषा मैने ऊपर लिखी है। इन लोगो का अपना ज़बरदस्त टशन होता है। सोशल मीडिया पर ऐसे लोग हर समय उपलब्ध मिल जाएंगे। एक छोटे से कमेंट पर इनके 100 रिप्लाई आसानी से जाते हैं। ऐसे रिप्लाई देने के अलावा गाली देने वाले अंधभक्तों की भी बड़ी लंबी फेहरिस्त है।

जोम्बीज़ की एक दो मूवी मैंने देखी है, उनमे जो जोम्बीज़ होते हैं वो साधारण इंसानों पर अटैक कर उनका खून चूसते है। खून चूसने के बाद वो इंसान भी जोम्बीज़ बन जाता है और अटैक करने की प्रक्रिया किसी तीसरे इंसान पर पहुंच जाती है। आज के समाज में भी जोम्बीज़ घूम रहे हैं, जिनको बीजेपी या मोदी का अंधभक्त कहा जाता है। इनका काम भी बिल्कुल जोम्बीज़ की तरह ही होता है। ये अपनी बातों और गालियों से हिंदुत्व के नाम पर अटैक करते हैं। जो इंसान इनकी बातों में आ जाता है वह किसी तीसरे को भड़काने का काम करने लगता है।

वक्त आ गया है इन जोम्बीज़ को पहचान कर इनसे सतर्क रहें। अगर कोई भी अंधभक्त रुपी जोम्बीज़ आपकी पोस्ट पर कमेंट करता है, तब उसका रिप्लाई “#Zombies Alert” लिखकर दीजिए। वो जब आपके रिप्लाई को पढ़कर कुछ कमेंट करेगा फिर आपको यही रिप्लाई “#Zombies Alert” तीन-चार बार करना है। ऐसा करने से वह भाग जाएगा।

मुझे सोशल मीडिया पर कुछ इस प्रकार के जोम्बीज़ (अंध भक्त) मिले हैं।

1. सीधा-साधा जोम्बीज़ (अंध भक्त) : इस तरह के अंधभक्त अपने मालिक के बहुत वफादार होते हैं। चमचागिरी ही इनका परम उद्देश्य होता है। ये अपने मालिक के खिलाफ की गई पोस्ट को सिर्फ देखते हैं और लाइक वाला रिएक्शन देकर आगे बढ़ जाते हैं। लोग समझते हैं इन्होंने पोस्ट लाइक की है और शायद ये समर्थन में होंगे। मगर ऐसा होता नहीं,  ये धान के अंदर रहने वाले घुन के समान होते हैं जो दिखाई नहीं देते। ये उस पोस्ट को अपने गली मोहल्लों में दिखाकर पोस्ट करने वाले के खिलाफ चर्चा शुरू कर देते हैं।

2. गुस्से वाला जोम्बीज़ (अंध भक्त) : ये अंधभक्त आपके पोस्ट पर गुस्से वाला कमेंट करते नज़र आते हैं। आपकी पोस्ट पर अपने मालिक की कही हुई बातों को याद दिलाते हुए गुस्से से लास होकर पिछले 60-70 सालों का हिसाब मांगते हैं।

3. गालियों वाला जोम्बीज़ (अंध भक्त) : इस तरह के अंधभक्त आपकी पोस्ट पर अपने मालिक का नाम देखकर कमेंट में  तो 60%  सिर्फ गालियों का ही प्रयोग करते हैं। ऐसे अंधभक्त अपनी बात सिर्फ 40% ही रखता है। कोई कुछ भी कहे इससे इनको मतलब नहीं होता। इन्हें सिर्फ गालियों से ही शुरुआत करनी होती है और गालियों पर ही अपनी बात खत्म करनी होती है।

4. चयन वाले जोम्बीज़ (अंध भक्त) : ये वो अंधभक्त होते हैं जो पोस्ट का चयन अच्छी तरह से करते है। ऐसे भक्तों के द्वारा उन्ही पोस्ट की चयन होती है जो इनके मालिक के पक्ष में हो। ये अंधभक्त इन पोस्ट्स को आगे शेयर भी करते रहते हैं।

5.निष्कर्ष निकालने वाले जोम्बीज़ (अंध भक्त) : इस तरह के अंधभक्त आपकी पोस्ट को पढ़कर उसका निष्कर्ष निकालने की कोशिश करते हैं। इनकी कोशिश पूरी एक हफ्ते तक चलती है और जब निष्कर्ष निकल जाता है तब अपने मन में एक ईर्ष्या का भाव रख लेते हैं।

6.फैसला सुनाने वाले जोम्बीज़ (अंध भक्त): ऐसे अंंधभक्त सीधे-सीधे फैसला सुनाते हैं। मालिकों के लिए क्या सही और क्या गलत है इन्हें अच्छे से पता होता है।

ऐसे अनेक प्रकार के अंधभक्त मिल जाएंगे जिनसे देश को खतरा भी हो सकता है। इनको जोम्बीज़ (अंध भक्त) बनाने के पीछे एक बहुत तगड़ा नेटवर्क काम करता है, जो हिन्दू और हिन्दुत्व के नाम पर देश में नफरत फैलाने काम करते हैं। 2014 में बीजेपी के भाषणों का युवाओं पर इतना असर हुआ कि उनके दिल और दिमाग में हिन्दू ‘शब्द’ अटक गया। देश के युवाओं को पैसे का लालच दिया गया और उनके दिल में ये भावना जगाई गई कि तुम हिन्दू हो, बस कट्टर हिन्दू हो और बीजेपी कट्टर हिन्दुओं की पार्टी है। एक हिन्दू होने के नाते बीजेपी पार्टी को वोट दो। अगर एक हिन्दू पार्टी जीत जाएगी तो हिन्दुओ का झंडा हमेशा ऊपर रहेगा।

हिन्दुओं के बच्चे को बेहतर शिक्षा मिलेगी, बेहतर रोज़गार मिलेगा और उनका भविष्य सुनहरा होगा।  इन्हीं सब बातों को बार-बार देश के युवाओं के दिमाग में डाला जाता रहा। इतना करने के बाद इस नेटवर्किंग का अगला कदम ये था कि हिन्दुत्व के नाम पर इकट्ठा हुए युवाओं को कार्यकर्ता बनाया जाए। देश में कार्यकर्ता बनने की एक लहर सी दौर पड़ी। इसके बाद हिन्दुओ की छोटी-छोटी संसथाओं में इन युवाओं को कोई ना कोई पद दे दिया गया।

इसका असर ये हुआ कि देश का युवा धीरे-धीरे बेरोज़गार होता चला गया। उसका ध्यान रोज़गार पाने की जगह इन संस्थाओ और राजनीति में घुस गया। देश के असली मुद्दों से देश के युवाओं का ध्यान हटता चला गया। देश की अर्थव्यवस्था, रोज़गार, बेहतर शिक्षा और किसानी जैसे मुद्दों पर चर्चा करना अब पिछले सालो में बहुत कम हो गया।

बाइक्स पर सवार होकर, माथे पर तिलक लगाकर, सड़क पर ज़ोर से जय श्री राम के नारे लगाते हुए ये बेरोज़गार कितने मासूम लगते हैं। घर पर माँ बीमार है और इनके पिताजी बीमारी के इलाज़ के लिए पैसे तक नहीं जुटा पा रहे हैं लेकिन युवाओं को क्या फर्क पड़ता है।

जो लोग इन चीज़ों से बच गए वो आज के समय में बहुत सही है। उन्हें इनसे दूर रहने में ही भलाई है नहीं तो देश बर्बाद हो जाएगा। अब फैसला आपके हाथ में है कि आपको जोम्बीज़ बनना है या देश को समर्पित एक ईमानदार इंसान।

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