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क्या शिक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी योगी सरकार को ले डूबेगी?

योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

सरकारी नौकरियों में फर्ज़ीवाड़े के मामलों में उत्तर प्रदेश का इतिहास काफी पुराना रहा है। हर सरकार के दौरान फर्ज़ीवाड़े की घटनाएं सामने आती रहीं हैं। उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन में जब घोटाले के आरोप लगे थे उस वक्त अखिलेश यादव की सरकार थी, जिसकी जांच अब भी चल रही है। यूपीपीएससी की परीक्षा में सबसे ज़्यादा सीटों पर एक ही जाति के लोग सफल हुए थे। जिसके कारण सरकार पर जातिवाद का आरोप लगा था। इस भर्ती ने पूरे उत्तर प्रदेश में अखिलेश विरोधी लहर पैदा कर दी थी।

साल 2011 में जब मायावती सत्ता पर थी तब 72000 शिक्षकों की भर्ती जारी की गई थी। मायावती सरकार में दिए आदेश के अनुसार चयन प्रक्रिया टीईटी यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्राप्त मेरिट के अाधार पर होनी थी, लेकिन सरकार बदल जाने के कारण भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। सपा सरकार के आने पर टीईटी मेरिट की बजाय एकेडमिक मेरिट पर नियुक्ति करने का आदेश दिया गया, जिससे छात्रों में गुस्से का खासा उबाल देखने को मिला और तमाम छात्र अंदोलन करने के लिए मजबूर हो गए।

यूपीपीएससी नियुक्ति से असंतुष्ट और टीईटी पास छात्रों ने एक साथ मिलकर इलाहाबाद में धरना प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश में इलाहबाद हमेशा से ही शिक्षा का गढ़ रहा है। लाखों की संख्या में छात्र यहां रहकर पढ़ाई करते हैं। जब अखिलेश सरकार ने छात्रों की नहीं सुनी तब अपनी मांगों को लेकर तमाम छात्र इलाहाबाद हाईकोर्ट तक चले गए। दो वर्षों के बाद हाईकोर्ट ने छात्रों के पक्ष में फैसला सुनाया और राज्य सरकार को फटकार भी लगाई। इससे अखिलेश सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी और बीजेपी ने इसे यूपी के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनाया था।

वर्तमान सरकार में भी कुछ इसी तरह का महौल बनता नज़र आ रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती परीक्षा में अनियमितता की जांच शुरु हो गई है। इससे पहले भी वर्तमान सरकार में यूपीपीएससी का पेपर आउट हुआ था, जिसके बाद छात्रों ने आंदोलन और धरना प्रदर्शन किया। पिछली और वर्तमान सरकारों की अगर तुलना की जाए तब समस्याएं एक जैसी ही नज़र आती है।

उत्तर प्रदेश की जनता ने अगर बीजेपी को मौका दिया है तब उसके पीछे कहीं ना कहीं पिछली सरकार की विफलता थी। युवा वर्ग पिछली सरकार से काफी नाराज़ दिखाई पड़ रहे थे, क्योंकि हर भर्ती में सरकार पर फर्जीवाड़े का आरोप लगता रहा है। युवाओं ने बीजेपी को इसलिए राज्य  की सत्ता पर काबिज़ कराया, ताकि सरकार युवाओं को रोज़गार दे सके। लेकिन परिणाम इसके विपरीत दिखाई पड़ रहा है। अगर इसी तरह के आरोप वर्तमान की बीजेपी सरकार पर लगते रहे तब उसे भी सत्ता गवांनी पड़ेगी।

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