अभी हाल ही में झारखंड सरकार की 108 नंबर पर डायल करने का संयोग हुआ। ऑफिस से लौटते वक्त सड़क किनारे एक लहुलूहान आदमी पर नज़र पड़ी, जिसे दर्जनों लोगों ने घेर रखा था। कुछ लोग वीडियो बनाने में जुटे थे, कुछ लोग घायल की दशा पर दु:ख जता रहे थे, कुछ ब्रेकर की मांग कर रहे थे तो कुछ लापरवाही से वाहन चलाने वालों को चिन्हित कर दंडित करने की बात कर रहे थे। मुद्दा यह है कि कोई भी उस आदमी के लिए कुछ नहीं कर रहा था, जिसके बारे में सोचने की उस समय सबसे अधिक ज़रूरत थी और जिसके लिए वह भीड़ जमा थी।
सरकार के द्वारा इतनी जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद भी स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण ही नज़र आती है। मैंने बिना विलम्ब किये ‘108’ और ‘100’ दोनों नम्बरों पर कॉल किया, जिसकी अप्रत्याशित रूप से तत्काल प्रतिक्रिया मिली और हेडक्वार्टर से आये फोन कॉलों पर मैंने पर्याप्त सूचनाएं दी। जहां 108 नम्बर से आने वाली प्रतिक्रियात्मक कॉलें एम्बुलेंस नहीं मिल पाने की बात कह हर 5 मिनट में स्थिति से अपडेट कर रहीं थीं, वहीं केवल 10-15 मिनट के अंदर ही स्थानीय पुलिस थाने की गश्ती वाहन घटनास्थल पर पहुंच गई।
पुलिस वालों ने ही घायल को उठाया और उसे लेकर अस्पताल चले गए। दो पुलिस वाले वहीं रुककर उपस्थित लोगों का बयान लेने लगे। मैंने उन्हे धन्यवाद दिया और घर के लिये निकल पड़ा।
इस घटना से पुलिस की एक बड़ी सकारात्मक छवि मेरे दिमाग में बनी। मेरा हमेशा से यह मानना है कि पुलिस और सेना की ड्यूटी सबसे कठिन सेवाओं मे से हैं। घर-परिवार, समाज-बिरादरी के मसलों से कहीं ऊपर उनके लिए देश की सेवा है। लोग अपने-अपने परिवारों के साथ छुट्टियां मनाते हैं लेकिन लोगों की छुट्टियां सुरक्षित बीते, इसके इंतज़ाम में पुलिस लगी होती है। इन सबके बावजूद खाकी वर्दी लोगों के बीच अपनी सकारात्मक छवि बनाने में असफल रही है। इसलिये उक्त घटना का मेरे लिये बड़ा ही महत्त्व रहा, जिसमें मैंने पुलिस को एक ज़िंदगी को बचाने के लिये तत्पर देखा।
ऐसी प्रतिक्रियाएं इसलिये भी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि ये पुलिस और पब्लिक के बीच के सम्बंध को बेहतर करने में मददगार साबित होंगी, जो पुलिस को लोगों को उत्कृष्ट पुलिस सेवा प्रदान करने में निश्चित रूप से सहायता करेगी। छोटी घटनाओं के परिणाम बड़े ही वृहत होते हैं। छोटी सुधारों में ही बड़े और क्रांतिकारी सुधार निहित होते हैं। इस छोटी घटना को उस परिवार के नज़रिये से देखने की ज़रूरत है जिसने पुलिस की तत्परता से अपने घर को बिखरने से बचते देखा हो। पुलिस को धन्यवाद देने की बडी हार्दिक इच्छा हो रही थी मगर कुछ दूरी पर ही कुछ पुलिसवाले ट्रकों से वसूली में लगे थे। अभी-अभी पुलिसवालों को लेकर मेरे ज़हन में अच्छी छवि बनी ही थी जिसे ट्रक से वसूली वाली घटना ने खत्म कर दिया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश के अलग-अलग इलाकों में पुलिस के द्वारा छोटी-छोटी बहुत अच्छी चीज़ें की जाती हैं लेकिन वसूली या पुलिस की बर्बरता वाली तस्वीर जब सामने आती है, तब फिर से पुलिस की छवि खराब हो जाती है।
नोट: तस्वीर प्रतीकात्मक है। सौजन्य: Flickr