मोदी जी, मुझे गर्व है कि मैं बिहारी हूं और हिंदी भाषी हूं मगर मुझे शर्म आती है कि मैंने आपको अपना प्रधानमंत्री चुना है। आज जब मैं समाचार देखता हूं तो कहीं ना कहीं दंगे की खबर मिल ही जाती है।
ये दंगे कभी रामनवमी जैसे पर्व के दौरान होते हैं तो कभी ईद जैसे सुनहरे अवसर के समय। अगर अभी की बात करें तो इस नवरात्र में भी एक दंगा शुरू हुआ है और उस दंगे का केंद्र है गुजरात और उसके शिकार हुए हैं बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग।
हम अपने प्रधानमंत्री जी से बस यही पूछना चाहते हैं कि आखिर दंगो में ऐसी क्या राजनीति छिपी है जिसे आप छोड़ते ही नहीं हैं और अगर ऐसा नहीं है, तो हमेशा आपकी ही सरकार में या फिर बीजेपी शासित राज्यों में ही दंगे क्यों होते हैं?
हम यह भी मानते हैं कि अभी गुजरात में साबरकांठा ज़िले में 28 सितम्बर को 14 महीने की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ वो काफी निंदनीय और रूह कांप जाने वाली घटना है। वो दरिंदा बिहार से था और उसे सज़ा मिलनी चाहिए मगर इसका मतलब यह भी नहीं कि सभी बिहारियों को दोषी मान लिया जाए।
हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी, अमित शाह और बीजेपी के नेताओं द्वारा जिस गुजरात के मॉडल को चुनाव प्रचार में भुनाया जाता है आज वही मॉडल उत्तर भारतीयों के लिए अभिशाप बन गया है। यहां के गरीब, मज़दूर और लाचार आदमियों को तुक्ष्य वस्तु समझकर दंगों का शिकार बनाया जा रहा है।
अभी बाहर से बिहार आ रही अधिकांश ट्रेनों में खड़े होने की जगह तक नहीं है क्योंकि उनके मन में एक भय बस गया है जो कहीं-ना-कहीं सही है। यह डर अभी गुजरात तक सीमित नहीं है, ये लपटें अब महाराष्ट्र तक जा चुकी हैं वहां से भी बिहारियों को भगाया जा रहा है।
अब बिहारी क्या करें, उनके पक्ष में बोलने वाला भी तो कोई नहीं है। जब अपना सिक्का ही खोटा हो तो फिर दूसरों को क्या बोला जाए। जब हमारे सुशासन बाबू ही शांत हैं, तो फिर हम कर भी क्या सकते हैं?
सिवाय उस समय को याद करने के जब राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने मुंबई के बॉस कहे जाने वाले शख्स को जवाब देने के लिए मुंबई जाकर छठ पूजा की थी। अब तो मोदी जी की चाल ने तो उन्हें भी पिज़रे में कैद कर दिया है।
इस दंगे को देखकर तो यही लगता है कि मोदी जी पेट्रोल का दाम घटाएं या ना घटाएं, नौकरी दें या नहीं दें, अर्थव्यवस्था ठीक हो या ना हो लेकिन दंगों की कमी नहीं होगी। मुझे मोदी जी की एक लाइन भी याद आ रही है, “मैं एक ऐसी योजना को लॉन्च करूंगा जिससे सब राज्य आपस में बंधे रहेंगे और आपस में वो एक दूसरे के कल्चर और भाषा को देखेंगे और सीखेंगे”, पर यहां तो मोदी जी की बात पूरी उल्टी होती दिख रही है। ऐसे में मोदी जी हम आपसे क्या उम्मीद करें?
कभी दिल्ली के मुखर्जी नगर से बिहारी छात्रों को निकला जाता है तो कभी गुजरात से तो कभी महाराष्ट्र से। ऐसे में मोदी जी आपसे बस एक निवेदन है कि कुछ ऐसा करके दिखा दीजिये कि मुझे अफसोस ना हो कि मैंने आपको प्रधानमंत्री चुना।