लालटेन की रोशनी में पढ़कर मैंने आईएएस
बनते देखा है,
बिजली की चकाचौंध में मैंने बच्चे को
बिगड़ते देखा है,
जिनमें होती हैं हिम्मत उसको कुछ
कर गुज़रते देखा है,
जिनको होती है दिक्कत उनको
हालात बदलते देखा है,
फूंक-फूंक के रखना कदम मेरे दोस्तों,
छिपकली से भी ज़्यादा मैंने इंसानों को
रंग बदलते देखा है,
बहुत ईमानदारी से पढ़कर तैयारी करते हैं,
मेरे देश के बच्चे,
लेकिन कुछ भ्रष्ट लोगों को इनके भविष्य से
खिलवाड़ करते देखा है,
जुनून में ही कुछ कर जाते हैं या बन जाते
हैं कुछ लोग,
बाकि को तो मैंने सड़को पर भटकते देखा है।