प्रखर शूल हों पथ पर तेरे
चाहे बिखरे हों अंगारे,
भीषण सागर पड़ा सामने,
या दानव-दावानल तुझे घेरे,
चाहे बीच भंवर डूबे नाव तुम्हारी,
या घिर आए तम-घटा घनेरी,
चाहे हों झंझावात क्रुद्ध हवाओं के,
या हो समय सांझ के लंबे पांवों के,
चाहे भाग्य विरूद्ध हो जाये,
या जीवन-मार्ग निरूद्ध हो जाये,
मार्ग विकटता से बाहर तुम
गीत खुशी के गाते जाओ
शूलों-शरों के राह में भी
साहस से पांव जमाते जाओ,
तुम गीत खुशी के गाते जाओ,
साहस से पांव जमाते जाओ,
मार्ग विकटता से अनिरुद्ध,
तुम लक्षित कदम बढ़ाते जाओ।