करोड़ों की संपती रखने वाले 2312 पूर्व सांसदो को वर्ष 2017 में 54 करोड़ रुपय पेन्शन के तौर पर बाट दिए गये और ना जाने कितने हज़ार करोड़ पूरे देश में पूर्व विधायकों को पेन्शन के तौर पर दिए गए।
उसी वर्ष क़र्ज़ के बोझ तले दबे लगभग 12000 किसानो ने आत्महत्या की। २ ऑक्टोबर को दिल्ली की तरफ़ बढ़ते हुए किसानो की एक माँग यह भी थी की बूढ़े किसानो को भी पेन्शन का लाभ दिया जाए जिसके बदले सरकार की तरफ़ से उन्हें लाठियाँ तो मिली पर कोई आश्वासन तक नहि दिया गया ।
अटल सरकार द्वारा २००4 मे सरकारी कर्मचारियो की पेन्शन योजना समाप्त की गयी पर सांसदो और विधायकों की नहि। यह बात ग़ौरतलब है कि एक दिन के लिए भी बने सांसद या विधायक को भारत में पेन्शन का लाभ मिलता है परंतु तपती धूँप में ताउम्र देश का पेट भरने के लिए खेती करने वाले किसान को नहि ।
भारतवासी खाने से लेकर सड़क पे चलने तक के लिए सरकार को टैक्स देते है बेहतर होगा अगर टैक्स के द्वारा लिये गये पैसे से सरकार अमीर सांसदो और विधायकों को पेन्शन ना देकर ग़रीब किसान को पेन्शन दे ।