#SamvadYatra@Gandhi150
गाँधी 150 मनाने निकले लोग यह सवाल पूछ रहे हैं की क्या गूंगा समाज बात कर सकता है तो जवाब दे रही हैं देश भर से निकली लड़कियां की संवाद हम बनायेंगे | इसलिए वे चल पड़ी हैं साबरमती से कश्मीर तक समाज से संवाद कायम करने | 9 राज्यों के 17 लड़कियों की टोली इस विश्वास से आगे बढ़ रही है कि समस्याओं के समाधान के लिए गांधी ने लोगों के बीच जाने और संवाद करने का जो रास्ता दिखाया है आज की दिक्कतों का हल उसी रास्ते से संभव होगा | कश्मीर आज जिस तरह के हालात से गुजर रहा है उसका हल भी समुदायों की आपसी बातचीत से ही निकलेगा |
संवाद यात्रा की संयोजिका प्रेरणा देसाई कहती हैं कि हम जैसे जैसे आगे बढ़ रहे हैं बड़े पैमाने पर छात्र , छात्राएं , युवा और नागरिक न सिर्फ हमारी बातों को सुन रहे हैं बल्कि अपना समर्थन देते हुए हिंसा मुक्त समाज बनाने की जवाबदेही भी ले रहे हैं | पूरे रास्ते भर स्कूल, कॉलेज से लेकर गाँधी विचार से जुड़े जन और संस्थाएं यात्रा के रहने खाने का प्रबंध कर रहे हैं और अपना आर्थिक सहयोग भी दे रहे हैं | इससे यह विचार और मजबूत होता है कि बातचीत करने से कई आपसी समस्याएँ सुलझती हैं और सहजीवन आधारित समाज के नए रास्ते खुलते हैं | समाज को इन्हीं नए रास्तों की दरकार है जहाँ वह इंटरनेट और अपनी ही दुनिया में खोया हुआ नहीं बल्कि समाज की तकलीफ को दूर करने के लिए मिलकर सम्वाद करने और समस्याओं को सुलझाने की कोशिश हो |
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष में संवाद यात्रा पर निकली देश के 8 राज्यों की 17 महिलाएं पहुँच चुकी हैं पंजाब | 21 अक्टूबर को गुजरात के साबरमती आश्रम से शुरू हुई यह यात्रा 31 अक्टूबर को कश्मीर के जम्मू और 1 नवंबर को श्री नगर पहुंचकर संपन्न होगी | महिला पुरुष संबंधों में बढ़ रहे तनाव , महिला हिंसा और गैर बराबरी को ख़त्म करने के लिए आपसी संवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह यात्रा निकाली गई है | यात्रा का एक उद्देश्य गाँधी विचार के अनुसार समाज में प्रेम, विश्वास व महिला पुरुष समानता के लिए वातावरण तैयार करना है | इस यात्रा का संयोजन गाँधी150 की राष्ट्रीय संयोजन समिति गाँधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली द्वारा किया जा रहा है | यात्रा में गाँधी विचार से जुडी महिलाएं एवं राष्ट्रीय युवा संगठन के प्रतिनिधि शामिल हैं | यह यात्रा अब तक 15 पड़ाव पार कर लगभग 30000 छात्र छात्राओं , नागरिकों के बीच संवाद स्थापित कर चुकी है |
संवाद यात्रा में सहयोगी बहनें पुणे से श्रद्धा , मुंबई से प्रेरणा ,प्योली और गुड्डी , उड़ीसा की मिन्नती, भवानी, अनुपमा व सीमा , दिल्ली से रूपल, राखी व मधु, मध्यप्रदेश, से कलावती सिंह , शबनम , हैदराबाद से सरस्वती , उत्तर प्रदेश से जागृती, कहकशां और पुतुल , गुजरात से रिंकल , मानसी एवं उत्तराखंड से यशोदा सहभागी हैं। ये सभी बहने गीत गाते हुए अपने अनुभवों को साझा करते हुए युवाओं से अपील करते हैं कि बेटियों को सामाजिक आर्थिक बोझ मानना बंद कीजिये ! वे कहते हैं जो बोझ है वह आपको ख़ुशी कैसे दे सकती है और खुद भी कैसे खुश रह सकती है ? वे कहती हैं कि हम बेटियां भी मुकम्मल इन्सान हैं |
संवाद यात्रा को सफल बनाने में गुजरात विद्यापीठ , उदयपुर सेवा मंदिर , मौलाना मोहम्मद अली ट्रस्ट ब्यावर , PUCL व सोफ़िया कॉलेज अजमेर , सवाई सिंह , खादी ग्रामोद्योग जयपुर , समग्र सेवा संघ और राजसमन्द की अनुविभा समिति से संचय जैन ,तरावड़ी के सामाजिक कार्यकर्ता रामसिंह चौधरी सहित दिल्ली विश्वविधालय, पानीपत के PET कॉलेज एवं गाँधीवादी डा जयदेव , DAV स्कूल अम्बाला , रविदास एजुकेशन सोसायटी जालंधर , सुरेश राठी , राष्ट्रीय युवा संगठन के डा विश्वजीत , रणजीत , राजीव तथा हरदीप सिंग सहित कश्मीर के ग्लोबल गाँधी संगठन के डा . एस पी वर्मा आदि का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ है |