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क्या भारत में गन्दगी फ़ैलाने पर या सफाई के लिए कोई विशेष कानून बनने से लाभ होगा ?

हमारे एक मित्र सिंगापुर कुछ अन्य दोस्तों संग घूमने गये थे. हमेशा की तरह लोगों ने रात किसी बार में ड्रिंक किया फिर सभी होटल की तरफ निकल पड़े. हमारे मित्र को ज़ोर से वोमिटिंग आने लगी कैब रोक वह बाहर सड़क किनारे वोमिटिंग कर खुद को हल्का किया. आराम लगा फिर सभी होटल पहुंच कमरे में लगभग रात 12 बजे के क़रीब सो गये. सुबह ठीक 5 बजे बेल की आवाज़ पर मित्र ने दरवाज़ा खोला तो देखा एक पुलिस का आदमी है साथ में एक सफाई कर्मी बाल्टी वाईपर फनायेल लिये खड़ा है. मित्र को देखते ही पुलिस कर्मी ने कहा कि जो जो वोमिटिंग रात हूई उसे साफ कीजिये आपने पहली बार गंदगी फैलाने की ग़ल्ती की है इस लिये आप पर जुर्माना नहीं लगेगा आप चलकर सफ़ाई करदें. हमेरे मित्र को जाना पड़ा और सफ़ाई करनी पड़ी.

तात्पर्य ये है कि सफ़ाई हेतु जो कानून बना है उसका पालन किस ईमानदारी से किया गया सोचने की बात है कि हमारे देश में यदि सफ़ाई पर कानून बन भी जाये तो क्या हम देशवासी पूरी ईमानदारी से इसका पालन करसकते हैं ???

पिछली सरकारों में फेल हुए तीन स्वच्छता अभियानों से सबक लेकर आगे बढ़ी मोदी सरकार ने सबको इस मिशन में जोड़ने की कोशिश की है। एक ओर राज्यों को साथ लेकर नीति आयोग का उपसमूह काम कर रहा है, वहीं पर्यावरण मंत्रालय गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ कानून बना रहा है। भारत में गंदगी का फीसद काफी बड़ा है। यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2012 में करीब 62.6 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं , जो जनसंख्या का लगभग 50 प्रतिशत हैं। हालांकि स्वच्छता केवल शौचालयों तक ही सीमित नहीं है। लेकिन मोदी सरकार स्वच्छता के लिए शौचालयों के निर्माण को प्राथमिकता पर लेकर चल रही है।

नीति आयोग जल्द देगा रिपोर्ट

अभियान को सफल बनाने के लिए नीति आयोग जून में प्रधानमंत्री को योजना और तंत्र पर रिपोर्ट सौंपेंगा। अभियान को सफल बनाने के उपाय होंगे। मिशन के लिए बनाए गए राज्यों के उपसमूह का नेतृत्व आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू कर रहे हैं। उपसमूह में आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, मिजोरम, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री सदस्य के रूप में शामिल हैं।

शिकंजा कसने को बनेगा कानून

पर्यावरण मंत्रालय कूड़ा फेंकने वालों पर शिकंजा कसने के लिए कानून लाने वाला है, जो पर्यावरण अधिनियम में संशोधित कर शामिल किया जाएगा। यह खुलेआम और सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फेंकने के खिलाफ होगा, साथ ही प्लास्टिक एवं इलेक्ट्रॉनिक कूड़े फेंकने की हरकत को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा।

बड़ी तादाद में जुड़े सेलिब्रिटी

अमिताभ बच्चन, आमिर खान, सलमान खान, हृतिक रोशन, नागार्जुन और कपिल शर्मा समेत कई अन्य अभिनेता स्वच्छ भारत अभियान के प्रचार से जुड़े हैं। सरकार की ओर से क्लीन इंडिया मिशन के ब्रांड एंबेस्डर के तौर पर शामिल किया है। इनके अलावा टेनिस स्टार सानिया मिर्जा, शूटर अंजलि भगत, उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी समेत बड़ी तादाद में मशहूर लोग अभियान से जुड़े हैं।

ऑटो-बस चालकों को जोड़ा

क्लीन इंडिया मिशन से मुंबई में डब्बावालों को जोड़ा गया। इसी तर्ज पर दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश और जयपुर समेत अन्य राज्यों में ऑटो और बस चालकों को जोड़ा गया। यही नहीं कई राज्यों में स्कूलों के अध्यापक, सरकारी कर्मचारी और सफाई कर्मचारी इस अभियान से जुड़े हैं।

बापू ने चलाया था अभियान

महात्मा गांधी ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने मंच से स्वच्छता का मुद्दा पहली बार उठाया था। भारत में बापू ने गांव की स्वच्छता के संदर्भ में सार्वजनिक रूप से पहला भाषण 14 फरवरी 1916 में मिशनरी सम्मेलन में दिया था। सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि गुरुकुल के बच्चों के लिए स्वच्छता के नियमों के ज्ञान के साथ ही उनका पालन करना भी प्रशिक्षण का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। महात्मा गांधी ने स्वच्छता के मसले को पहली बार दक्षिण अफ्रीका में उठाया था। इसके बाद वह जब भारत आए तो उन्होंने अपने इस मुद्दे को अभियान में बदल दिया।

अभियान एक नजर..

– 05 साल में 11.11 करोड़ शौचालयों के निर्माण में एक लाख 34 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च आएगा।

– 60 प्रतिशत शौचालयों का इस्तेमाल नहीं होता है, जो 10 साल के दौरान बने हैं। उन्हें सुचारू किया जाएगा।

निर्धारित लक्ष्य

– 2015 की समाप्ति तक 2 करोड़ शौचालयों का।

– 2019 तक 1.04 करोड़ परिवारों को शौचालय।

– 2019 तक 4,041 शहरों में ठोस कचरा प्रबंधन।

– 2022 तक खुले में शौच को खत्म करना।

ये अभियान हुए फेल

– 1986 में केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम।

– 1999 में संपूर्ण स्वच्छता अभियान।

– 2012 में यूपीए का निर्मल भारत अभियान।

क्लीन इंडिया की चुनौतियां

– शौचालयों के लिए जगहों की पहचान

– अभियान के लिए जागरूकता फैलाना

– प्रशासन की लापरवाही पर निगरानी

मुहिम के लिए आगे आए ये

– भारती और टीसीएस जैसी कई कंपनियों ने इस मिशन में आर्थिक मदद देने को कहा है।

– विश्व बैंक भी इसमें भारत को देगा सहयोग।

प्राथमिक फायदे

– स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च कम होगा, जिसका फायदा सरकार के साथ लोगों को भी मिलेगा।

– स्वच्छता के क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा।

– पर्यटन को बढ़ावा देने में अहम होगा।

जमीनी स्तर पर शुरुआत

– प्रधानमंत्री कार्यालय में एक विशेष टीम इस प्रोजेक्ट की देख-रेख कर रही है।

– मंत्रियों से कहा गया है कि वे राज्यों का दौरा करें और सार्वजनिक जगहों की सफाई करें।

– नौकरशाहों ने कई दफ्तरों, सिनेमाघरों, बाजारों, मॉल्स और रेलवे स्टेशनों में एक दिन में दो बार सफाई की शुरुआत की है।

– स्कूलों से कहा गया है कि वे ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करें, जिनसे विद्यार्थियों को पता चले कि साफ-सफाई बेहद अहम है।

– सफाई अभियान से जुड़े संदेश आठ लाख लोगों तक भेजे गए हैं।

– सभी नगर निगमों से कहा गया है कि स्कूलों और सार्वजनिक शौचालयों में स्वच्छता से जुड़े काम शुरू करें।

– फुटपाथों की मरम्मत करवाएं और सार्वजनिक जगहों से अतिक्रमण हटवाएं।

– जोनल रेलवे को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि दो स्टेशनों के बीच का ट्रैक कूड़े-कचरे से मुक्त रहे।

आंखों देखी साफ़ – सफ़ाई

दिल्ली: बदला मंदिर मार्ग थाना

सात माह पूर्व जिस मंदिर मार्ग थाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झाड़ू लगा कर गंदगी साफ की उसकी तस्वीर अब पूरी तरह बदल गई है। अब वहां हरियाली और फूल दिखने लगे हैं। थाने में 150 से अधिक गमले लगाए गए हैं। इस परिसर में थाने के अलावा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का सरकारी निवास भी है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री बीते दो अक्तूबर को स्वच्छता अभियान की शुरुआत के लिए वाल्मीकि बस्ती जा रहे थे, लेकिन वहां अचानक वह मंदिर मार्ग थाने के परिसर में पहुंच गए। वहां पड़ी गंदगी को देख कर उन्होंने खुद झाड़ू लगाई। मंदिर मार्ग थाने में जिस जगह गंदगी पड़ी थी, वहां लोग अक्सर अपनी गाडि़यां खड़ी करते थे। इस कारण वहां कभी सफाई नहीं हो पाती थी। इस वाकये के बाद वहां गाड़ी खड़ी करने पर पुलिस की तरफ से रोक लगा दी गई।

पटना में निकली हवा

पटना जंक्शन व राजेंद्रनगर टर्मिनल पर कई दिग्गज केंद्रीय मंत्रियों के नेतृत्व में पिछले साल स्वच्छता अभियान चला था। आज स्थिति यह है कि पान की पीक, बोगियों में गंदगी, जमा कचरा परिसर की सूरत बिगाड़ रहे हैं। राजेंद्रनगर टर्मिनल पर चार नंबर प्लेटफॉर्म पर फर्श टूटा है। रेलवे कॉलोनियों में निकासी नालों का बुरा हाल है। बीएसएनएल परिसर के पिछले हिस्से में कूड़े का ढेर जमा है। दीवारें पान की पीक से रंगी हुई हैं।

आरा में पहले जैसे ही स्थिति: शहर में आईएमए भवन के पास स्थित महादलित बस्ती, सदर अस्पताल और स्टेशन परिसर में हालात पहले जैसे ही हैं। हर तरफ कूड़े का अम्बार। महादलित बस्ती में नालियां जाम हैं। सदर अस्पताल में महिला वार्ड के समीप चिकित्सा पदाधिकारी के कक्ष के पास कचरे का ढेर है।

रांची में कूड़े के ढेर

स्वच्छता अभियान का रांची में अब कहीं कोई असर नहीं दिख रहा है। जिन स्थानों पर वीआईपी लोगों ने झाड़ू लगाई थी, वहां आज कूड़े के ढेर मुंह चिढ़ा रहे हैं। रांची रेलवे स्टेशन का आलम तो यह है कि सफाईकर्मी साफ-सफाई करते नहीं दिखते।

धनबाद में गंदगी आबाद: यहां सात माह बाद ही स्वच्छता अभियान का दम फूल गया। शुरू में नगर निगम ने जागरूकता रथ भी निकाला था। 100 दिनों में शहर को चमकाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन आज स्टेशन रोड, नगर निगम कार्यालय के सामने, पुराना बाजार जैसी जगहों पर कचरे का ढेर है। स्टेशन के समीप और निगम कार्यालय के समीप अभियान चला था, लेकिन आज तक यहां बदलाव नहीं हुआ।

यहां है सफाई: बैंक मोड़ के करबला रोड में कचरे का ढेर रहता था, लेकिन गुजराती मोहल्ले के लोगों ने मिल कर इसे हटाया। आज वहां छोटा-सा पार्क बना हुआ है।

देहरादून में असर नहीं

घंटाघर के पास सफाई अभियान चलाया गया था। उस दौरान घंटाघर पार्क समेत आसपास काफी कचरा समेटा गया था। सफाई अभियान का असर पार्क पर तो पड़ा, लेकिन इसके ईद-गिर्द के क्षेत्र में गंदगी बरकरार है। हालांकि नगर निगम के सफाई कर्मचारी सुबह-सुबह यहां सफाई करते हैं। गांधी पार्क के भीतर पान और गुटखे की पीक बिखरी हुई। यही नहीं पार्क में भी सफाई ज्यादा नहीं दिखाई देती। यहां पर घूमने आने वाले लोग इसका इस्तेमाल पिकनिक स्पाट की तरह करते है। इससे भी गंदगी फैलती है। देहरादून के मेयर विनोद चमोली का कहना है कि स्वच्छता के लिए सहभागिता जरूरी है। नगर निगम अंडरग्राउंड कूड़ा कलेक्शन सेंटर भी तैयार कर रहा है, ताकि सड़क पर रखे डस्टबिन में कूड़ा इधर-उधर बिखर कर शहर को गंदा न कर सके।

लखनऊ में बेअसर

चारबाग रेलवे स्टेशन: यहां प्लेटफार्म नंबर एक को छोड़ दिया जाए तो सफाई कहीं नजर नहीं आती। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। माहौल में बदबू है। शुक्रवार को बाहरी परिसर में किसी बड़े अधिकारी के आने पर सुबह सफाईकर्मी जुट गए थे, पर मुख्य सड़क के अलावा स्टेशन को जाने वाले अन्य मार्गों पर कई जगह गड्ढों में पानी भरा था।

लालबाग चौराहा: विधानसभा से सटा लालबाग इलाका. यहां नगर निगम लखनऊ का मुख्यालय भी है। सभी बड़े अफसर यहीं बैठते हैं. यानी यहां चिराग तले अंधेरा. स्थानीय लोगों में भी सफाई के प्रति खास जागरूकता नहीं है. यही कारण है कि शुक्रवार सुबह नालियां कूड़े, गंदगी और पन्नियों से पटी हुई मिलीं.

इन पर नहीं हुआ काम: चारबाग जैसे इलाके में मूत्रालयों की कमी है. कई जगह शौचालय की सफाई में कमी नजर आती है.

महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने का बीड़ा उठा चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान की राह में रोड़े बहुत हैं, जिन्हें सड़क पर झाड़ू लगा कर वह खुद साफ नहीं कर सकते. इसका अंदाजा लगते ही अपील के साथ नीति, तंत्र और कानून बनाने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है. प्रयास अच्छा है, दिशा भी ठीक है, अब नतीजों का इंतजार है.

लेकिन, सत्य ये है कि हम भारत में हैं सिंगापुर में नहीं अत: लाख कानून बना लीजिये लेकिन, जब तक मंत्री से संत्री , सरकार से जनता, सत्ता से विपक्ष तक ख़ुद के द्वारा निभाये जारहे फ़र्ज़ के प्रति ईमानदार नहीं बनेंगे तब तक ना तो देश नाही मन की गंदगी‌साफ़ होगी.

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