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“ये लुटेरा विकास मॉडल सिर्फ ताकतवरों की झोली भरता है”

हाल ही में आई ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत की 1% जनसंख्या देश की 73 फीसदी सम्पति पर कब्ज़ा किये हुए है, उनमें से हम और आप बाकि के 99 फीसदी वाले कॉलम में आते हैं।

वैसे ऐसी रिपोर्ट आपने पहले भी पढ़ी होगी। कभी-कभार अखबार के पीछे वाले पन्नों में ऐसी खबरें छप जाती हैं। इन रिपोर्ट्स में सिर्फ आंकड़े पेश किये जाते हैं। इनमें यह तस्वीर नहीं दिखाई जाती कि इसके चलते पिछले 20 सालों में 3 लाख से भी ज़्यादा किसान मारे गए। इस देश में बेरोज़गारी, शिक्षा की बदहाली, लचर स्वास्थ्य और न्यायिक व्यवस्था की क्या हालत है, वो आप मुझसे बेहतर जानते होंगे।

हालांकि आज़ादी का क्या वादा था? हम अपने देश का विकास करेंगे लेकिन हम क्या करने लगे? हम आज इस हालत में हैं कि हमारी सरकार अपने ही देश के लोगों को विकास यानी जीडीपी के नाम पर लूट रही है।

हम इस हाल में कैसे पहुंच गए इसे जानने के लिए हमें गांधी की बात याद करनी चाहिए। आज़ादी मिलने के दौरान गांधी ने कहा था कि अंग्रेज़ी विकास का मॉडल शैतानी मॉडल है। क्यों?

क्योंकि अंग्रेज़ी विकास का मॉडल कहता है कि आप तभी विकसित हैं जब आपके पास “ज़्यादा” है। अगर आपके पास “कम” है तो आप पिछड़े हैं। आपके पास ज़्यादा कपड़े हैं तो आप विकसित हैं लेकिन अगर आपके पास केवल दो कुर्ता पजामा है तो आप पिछड़े हैं। आपके पास कार है तो आप विकसित हैं लेकिन अगर आपके पास साइकिल है तो आप पिछड़े हैं।

गांधी ने कहा था कि प्रकृति ने सबको बराबर दिया है। आपके पास ज़्यादा तभी हो सकता है जब आप दूसरे का हिस्सा ले रहे हैं। दूसरा देगा नहीं, तो आप दूसरे से छीनेंगे। आप छीन तभी सकते हैं जब आपके पास ताकत हो। गांधी ने यह भी कहा था कि यह विकास का मॉडल ताकतवर के पक्ष में काम करता है कमज़ोर के नहीं। इस विकास के मॉडल में ताकतवर का विकास होगा कमज़ोर का नहीं।

अंग्रेज़ों के लिए कहा जाता था कि अंग्रेज़ी राज में कभी सूरज नहीं डूबता लेकिन एक अंग्रेज़ ने ही कहा था कि यह भी सच है कि अंग्रेज़ी राज में कभी खून नहीं सूखता। अंग्रेज़ अपने इस लुटेरे विकास यानी जीडीपी के मॉडल को बनाये रखने के लिए दुनियाभर में अपनी सेनाओं को युद्ध में भेजते थे और खून बहाते थे।

गांधी ने कहा भारत अगर अंग्रेज़ी विकास का मॉडल अपनाएगा तो भारत किसको लूटेगा? लिखकर ले लो इस मॉडल को अपनाने के बाद एक दिन तुम अपने ही गांव को लुटोगे। इस विकास के मॉडल से दो चीज़ें निकलेंगी, एक निकलेगी लड़ाई, दूसरा निकलेगा पर्यावरण का विनाश और इन दोनों से तुम नष्ट हो जाओगे।

यह वही पर्यावरण का विनाश है जो हर साल देश में बाढ़ और सुखाड़ के रूप में आती है। पहले उत्तराखंड, फिर बिहार, अब केरल और पूर्वोत्तर भारत में इसकी तबाही देखने को मिल रही है। यह वही लड़ाई है जो अभी आदिवासी इलाकों में चल रही है, नक्सलियों और हमारी सेना के बीच जिसे भारत का ‘साइलेंट वॉर’ भी कहा जाता है।

अभी जिन पांच एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी हुई है वो आदिवासियों के अधिकार के लिए काम करते हैं और सरकार किसकी तरफ है वो आप देख ही रहे हैं। आज विकास एक बड़ा राजनैतिक मुद्दा बन चुका है और खरीदी हुई मीडिया ने पूंजीपतियों के इंटरव्यू दिखा दिखाकर उनको विकास का नायक बना दिया है।

पूंजीपति तो मुनाफे के लिए काम करेंगे, वह रोज़गार देने के बजाये मशीनें लगाते हैं लेकिन जनता तो सरकार से लगातार रोज़गार मांगती है।सरकार चलाने वाली पार्टियां तो पूंजीपतियों से चंदा लेती है, तो आप समझ ही रहे होंगे कि वो फिर किसके लिए काम करेंगे।

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