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मैं उदयपुर, जिसकी खूबसूरती को आप गंदगी का ढेर बना रहे हैं

नमस्कार, मैं उदयपुर बोल रहा हूं। वही उदयपुर जिसने अपने भीतर मेवाड़ की शान संजो रखी है। मैं प्रताप की धरती का केंद्र, मैं शक्ति, त्याग और बलिदान के लिए पहचाने जाने वाले मेवाड़ का केंद्र हूं। मुझे खूबसूरत शहरों में से एक कहते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि मैं किस दुर्दशा से हर रोज़ गुज़रता हूं? बाहर से आने वाले लोग मुझे हिकारत की नज़रों से देखते हैं।

जब वो मेरे अंदर गंदगी देखते हैं, सड़कों पर कचरों का ढेर देखते हैं, क्या आप जानते हैं मुझे उस वक्त कैसा महसूस होता है? जब लोग मेरे पास सुकून की तलाश में आते हैं पर फिर वो इन गंदगियों को देखकर शिकायत करते हैं, मुझे उस वक्त कैसा लगता है? मैं निराश हो गया था, मुझे पता चल गया कि मेरे सभी वासी स्वार्थी हैं, उन्हें सिर्फ मेरा दोहन करना है।

कुछ साल पहले मेरी उम्मीद जगी थी, जब नई सरकार की स्मार्ट सिटी योजना में मैंने अपना नाम पाया और पता चला कि 1 करोड़ रुपये हर वर्ष मेरे ऊपर खर्च होंगे। 4 साल बीत गए पर ढाक के तीन पात।

मेरे बीचों-बीच से एक जलधारा निकलती है, जिसे आप लोग आयड के नाम से जानते हैं। वो मेरी आत्मा है। मैं उसके बिना कुछ नहीं हूं, परंतु शहरवासियों ने उसे भी नहीं छोड़ा।

सैकड़ों नाले बनाए गए, इस मकसद से कि मेरी आत्मा मैली की जा सके और बधाई हो आप कामयाब हुए। अब वो मैली है और अब तो वो बदबू भी मारती है। जलकुंभियों ने मेरी आत्मा को जकड़ा हुआ है और लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। आप उसके किनारे बैठना तो दूर की बात, वहां खड़े रहना भी पसंद नहीं करेंगे।

राजस्थान अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत पिछले वर्ष 120 करोड़ रुपये के कार्यादेश जारी किये गए थे। क्या कभी आप लोगों ने जानने की कोशिश की कि उन पैसों का क्या हुआ? वो पैसे मेरी आयड पर तो खर्च नहीं हुए, वो तो खूबसूरत नहीं बनी। तो क्या अफसरों और नेताओं के घर खूबसूरत बना दिए गए उन पैसों से?

मुझे अरावली ने इतना खूबसूरत बनाया और मानव जाति, जो मेरा दोहन करती है वो मुझे बदसूरत बनाने में लगी है। मेरे पहाड़ काटकर वहां होटल्स बनाये जा रहे हैं, कहीं प्लॉट काटकर बस्तियां बसाई जा रही हैं।

मेरे सीने पर ज़ख्म करके मुझे बदसूरत करके मुझे तोड़-फोड़ करके कैसे खुश रहोगे या फिर हो सकता है आप खुश रह भी लोगे, क्योंकि मानव जाति को कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी खुशी के पीछे किसने कितना बलिदान दिया है। आने वाली पीढ़ी कहां जाएगी, वो आपके ही बच्चे होंगे जो मेरे भीतर सांस भी नहीं ले पाएंगे। तब तक तुम बूढ़े हो जाओगे और बैठे-बैठे कहोगे कि एक वक्त था जब उदयपुर बहुत खूबसूरत हुआ करता था।

याद रखना मैं उस महान प्रकृति का हिस्सा हूं, जो तुमसे खफा है और एक दिन मैं भी इस विश्व की प्रकृति के साथ मिलकर तुमसे बदला लूंगा, तुम्हारे ही किये का। उस दिन सबकुछ तहस-नहस कर दिया जाएगा। फिर करना तुम विकास अपनी अपनी कब्रों का। परंतु तब तक मेरी कब्र खुद चुकी होगी।

आपका शहर उदयपुर

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