उत्तर प्रदेश की योगी सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे कर रही हो, लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है इसका अंदाज़ा बलिया के ज़िला अस्पताल की हालत को देखकर साफ तौर पर लगाया जा सकता है।
अस्पताल में मरीज़ों के लिए पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है और गंदगी का आलम यह है कि अस्पताल परिसर में कूड़ों के ढ़ेर पर सुअर लोट रहे हैं। अस्पताल में मरीज़ों और तीमारदारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लाखों रुपये का आरओ प्लांट लगाया गया है लेकिन अस्पताल का आरओ प्लांट देखरेख के अभाव में शोपीस बना हुआ है।
इससे अस्पताल में आए मरीज़ एवं उनके तीमारदारों को बंद बोतल पानी खरीदना पड़ रहा है। वहीं, डॉक्टर एवं कर्मचारी भी घर से पानी लेकर आते हैं। इसके साथ ही अस्पताल की लिफ्ट भी काफी लंबे समय से खराब है।
लिफ्ट को मरीज़ों की सेवा के लिए लगाया गया था, लेकिन यह लिफ्ट अब मरीज़ों की सेवा नहीं करती। मरीज़ों को उपर जाने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिससे मरीज़ों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस अस्पताल में रोज़ हज़ारों लोगों का आना जाना रहता है। इन तमाम असुविधाओं की वजह से अस्पलाल में मरीज़ों और तीमारदारों को परेशानियां उठानी पड़ रही है।
लेकिन जब अस्पताल की हालत के बारे में अस्पताल प्रशासन और ज़िला चिकित्सा अधिकारी से पूछा गया तो वह ज़िम्मेदारी से बचते नज़र आए। ज़िला चिकित्सा अधिकारी ने तो इस मामले पर बड़ा ही अटपटा बयान दे डाला।
जब शिकायतकर्ता मदन सचेस, अध्यक्ष- सामाजिक चेतना समिति, मनियर, और इसके सदस्य अविनाश वर्मा ने उनसे आरओ के बारे में पूछा तो उन्होंने पानी बाहर से खरीद कर पीने की सलाह दे डाली। उन्होंने ज़िम्मेदारी से बचते हुए कहा कि आरओ प्लांट विधायक ने लगवाया था, इसकी शिकायत आप लोग विधायक से करें। उन्होंने कहा जिसको पानी पीना है बाहर से बिसलेरी खरीद कर पी ले।
जब अस्पताल के खराब हैंड पंप के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसकी ज़िम्मेदारी नगर निगम की बताकर खुद का पल्ला झाड़ लिया। वहीं, प्रभारी सीएमएस डा. बीपी सिंह से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि आरओ प्लांट की मशीन खराब पड़ी हुई है।
इसका रिमाइंडर संबंधित संस्था को भेजा गया है। फिलहाल इन तमाम शिकायतों के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने सुधार के कोई कदम नहीं उठाए हैं।