आज पूर्वोत्तर भारत का एक छोटा सा राज्य असम पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न (एनआरसी) यानी कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की सूची में 40 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं है। अब उन लोगों की भारतीय नागरिकता सवालों के घेरे में है।
एनआरसी जारी होने के बाद कई राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं। इसे मुस्लिम विरोधी कदम भी बताया जा रहा है।
इन सबके बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है,
केंद्र सरकार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगी, अंतिम ड्राफ्ट में किसी भी भारतीय नागरिक का नाम काटा नहीं जाएगा लेकिन, सूची में जिनके नाम शामिल नहीं है, वे लोग भारतीय नहीं हैं।
अमित शाह ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि संसद में इस मसले पर उन्हें बात रखने का मौका नहीं मिला है। शाह ने कहा कि कॉंग्रेस के भीतर घुसपैठियों को देश से बाहर करने का साहस नहीं था, जिससे वो एनआरसी लागू नहीं कर पाई। बीजेपी में इस काम को करने की हिम्मत थी, इसलिए हमने असम में ऐसा किया। कॉंग्रेस केवल वोट बैंक के लिए इस मुद्दे पर सवाल खड़े कर रही है। शाह ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर सब कुछ सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में किया गया है।
देश में बढ़ रहे घुसपैठियों के खिलाफ एनआरसी लागू करना बहुत ज़रूरी है, जिससे आतंकवादी और घुसपैठियों पर मज़बूती से नज़र रखी जा सके। 2012 में असम के कोकराझार में आदिवासी और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच सांप्रदायिक झड़प के कारण 77 लोगों की मौत हो गई थी। इसके कारण बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रति अविश्वास का माहौल तैयार हो गया था और ये माहौल हर दिन बढ़ता गया, जिसने आज देश को ऐसे कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।
हिंदुस्तान सरकार के बॉर्डर फोर्स टास्क फोर्स की साल 2000 की रिपोर्ट के मुताबिक 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और अभी भी घुसपैठ जारी है। कई हमले ऐसे भी हुए जिनमें बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ है।
हम सवाल आपसे पूछ रहे हैं कि अगर केंद्र सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठियों और आतंकवादियों को रोकने के लिए एनआरसी लागू किया है तो ये सही है लेकिन, असम में रह रहें उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे कई राज्यों के लोगों का भी एनआरसी रिपोर्ट में नाम नहीं होने पर आप क्या कहेंगे?
अगर घुसपैठी आएं तो कैसे आएं, सरकार क्या कर रही थी? क्यों इन घुसपैठियों पर लगाम नहीं लगा पा रही थी? क्यों ऐसे घुसपैठियों को शरण दी जा रही थी? अब लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान या बांग्लादेशी घुसपैठियों को हटाने के लिए केंद्र सरकार कमर कस रही है लेकिन, अब ये लोग जाएंगे कहां?