आए दिन हम अपने आस-पास आत्महत्या की खबरें पढ़ते या सुनते हैं। इन आत्महत्या करने वालों में बच्चे, जवान, बुज़ुर्ग, हर उम्र के लोग शामिल होते हैं। इनकी आत्महत्या का फैसला अमूमन डिप्रेशन जैसी बीमारी की वजह से होता है।
डिप्रेशन किसी भी इंसान को अंदर से खोखला करना शुरू कर देता है। वो कब अपनी हंसती-मुस्कुराती दुनिया छोड़ जाए पता भी नहीं चलता। ताज्जुब की बात यह होती है कि ऐसे इंसान आपके आस-पास ही रहते हैं और उनके डिप्रेशन से ग्रस्त होने का आपको पता भी नहीं चलता है। मगर उस व्यक्ति को ये खतरनाक बीमारी अन्दर से खा रही होती है।
आपके आस-पास कोई भी डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। वो आपके भाई-बहन भी हो सकते हैं, परिवार का कोई भी सदस्य हो सकता है, आपके दोस्त हो सकते हैं। या खुद मैं भी डिप्रेशन का शिकार हो सकती हूं। नहीं हंसिए नहीं ये एक गंभीर समस्या है।
डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। पढ़ाई में असफलता, बिसनेस में नुकसान, नौकरी, दोस्ती, शादी और बहुत से ऐसे कारण जहां हमें निराशा हाथ लगती है। ये बातें हमारे दिमाग में घर कर जाती हैं और उसी बात को सोचते-सोचते हम कब डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं हमें पता ही नहीं चलता है।
खाना-पीना छोड़ देना, रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बदलाव आना, दोस्तों और करीबी लोगों से बात ना करना ये डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं। हम कई बार अपने दोस्तों और परिवार वालों के करीब होने के बावजदू उनसे कई बातें शेयर नहीं कर पाते हैं। बस अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं लेकिन ये अंदर ही अंदर घुटना समस्या का समाधान नहीं है।
हम सोचते हैं अपनी बात शेयर करने पर लोग मज़ाक उड़ाएंगे। ऐसा होता भी है, हमारे आस-पास ऐसे लोग होते हैं जिनको आप अपना दुख बताने जाते हैं तो लोग उसे हंसी में उड़ा देते हैं या उस बात को उतनी तवज्जों नहीं दी जाती है। इसके समाधान के लिए ज़रूरी है कि हम सब इस ओर जागरूक हों। अगर कोई हमसे अपनी बात, अपनी समस्या शेयर करता है तो हमें उसकी बात ध्यान से सुननी चाहिए। हमें ये समझना चाहिए कि किसी की छोटी सी प्रॉब्लम भी उसके लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है।
परीक्षा में फेल हो जाने के कारण कई बच्चे अपनी जान दे देते हैं क्यों? क्योंकि उनको हमारा सामाज ही ताने मरेगा। बस ये सोचकर बच्चे अपनी खूबसूरत सी दुनिया को छोड़ जाते हैं, या कोई प्यार में धोखे की वजह से अपनी जान देने पर उतारू हो जाता है। हमारे समाज में खुलकर कोई भी इस विषय पर बात करना उचित नहीं समझता है।
आप हाल की ही घटना ले लीजिए, दीपिका पादुकोण द्वारा अपनी बातें शेयर किये जाने पर मुझे लगा कि इतनी मॉर्डन ख्यालात होने के बावजूद भी दीपिका अपनी लाइफ में इतनी टेंशन में थीं और डिप्रेशन का शिकार उन्हें भी होना पड़ा था। खैर, डिप्रेशन के शिकार हर 10 में 7 लोग होते हैं और आपको ऐसे लोगों का साथ देना चाहिए ना कि उनपर हंसकर उनकी परेशानियों को और बढ़ाना चाहिए।
आपको इस विषय पर खुलकर बात करनी चाहिए। लोगों में इस दिशा में जागरूकता फैलानी चाहिए। खुलकर किसी से बात कर लो उनकी बातें ही सुन लो हो सकता है आपका कुछ समय जाये पर उनको अच्छा लगेगा जो इस समय किसी बात से बुरी तरह परेशान हैं।
मेरी सलाह है कि किसी बात से अंदर-अंदर घुटने की बजाय आप किसी अपने से उस बात को शेयर करें, डॉक्टर से या अपने बहुत ही करीबी लोग से इस विषय पर बात करें। सच मानिये कुछ नहीं बिगड़ेगा और हां परिणाम भी अच्छा ही निकलेगा। बहुत ही नॉर्मल सी लाइफ जीने वाले लोग भी डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं बस हमें उन्हें पहचानना है और उनकी मदद करनी है।