सुजीत स्वामी आईआईटी मंडी, हिमाचल प्रदेश में नवंबर 2016 से जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने 21 मई 2018 को प्रेस मीटिंग बुलाकर आईआईटी जैसे देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में भर्ती, एडमिशन एवं टेंडरिंग में हो रहे भारी घोटालों का सबूतों के साथ पर्दाफाश किया था।
यही नहीं उन्होंने संस्थान के डायरेक्टर जिसे महामहिम राष्ट्रपति की परामर्श के बाद नियुक्त किया जाता है पर गंभीर आरोप पुख्ता सबूतों के साथ लगाए थे। सुजीत ने बताया था कि यहां भाई-भतीजावाद के साथ ही चहेतों को नौकरी देने में मिलजुल कर घपला किया जाता है, कर-दाता के पैसे की बर्बादी होती है, नियमों को ताक पर रखकर सैलरी में 200% तक की बढ़ोतरी की जा रही है। इन्हीं सब खुलासे के बाद से शांत हिमाचल में एक अजीब सा माहौल पनप गया था।
सुजीत ने यह सारे सबूत प्रधानमंत्री, उच्च शिक्षामंत्री, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायलय के पास आगे की कार्रवाई के लिए भेजे थे, किन्तु सिस्टम तो पूरा आकाओं पर चलता है और अभी चुनाव में यदि यह मामला तूल पकड़ ले तो सत्ताधारी पार्टी के लिए यह मुश्किलें खड़ी कर दे। इसीलिए किसी भी मंत्री ने इस शिकायत पर ध्यान नहीं दिया। जब मीडिया ने मामले को मुख्यमंत्री के सामने रखा तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी को मजबूरन बोलना पड़ा कि इसकी जांच करवाएंगे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
लेकिन सुजीत को कहां पता था यह कि मीडिया के सामने मुख्यमंत्री जी का बोलना उनकी मजबूरी थी और कुछ समय बाद ही मुख्यमंत्री जी का फोटो डायरेक्टर के साथ हिमाचल प्रदेश की वेबसाइट पर देखकर सारी उम्मीद खत्म हो गई। लेकिन सुजीत भी कहां मानने वाले थे, उन्होंने 3 जुलाई को हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में स्थित सेरी मंच पर जनता की अदालत में अपने सर का मुंडन करवाकर सरकार की निष्क्रियता पर तीखे प्रहार करते हुए अपना रोष जताया। उन्होंने कहा कि सरकार के भरोसे में यह लड़ाई मोल ली है।
उसके फलस्वरूप मुख्यमंत्री ने सुजीत से मुलाकात के समय ही बीजेपी के सांसद को सारे सबूत सौंपते हुए इसपर कार्रवाई करने के निर्देश दिया और सांसद साहब ने इस मुद्दे को मौनसून सत्र में 30 जुलाई को उठाया, जिसपर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं होने पर सांसद ने पुनः 10 अगस्त को लोकसभा में इस मुद्दे उठाया और जांच के लिए उच्च समिति के गठन की मांग की।
किन्तु चींटी से भी धीरी चाल कहें या भ्रष्ट अधिकारियों का रुतबा कि कोई कार्रवाई नहीं हुई। आईआईटी के गलियरों में अधिकारियों के हौसले और बुलंद होने लगे हैं। उन्होंने अपने मनमाने ढंग से सुजीत पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के बहाने 10-15 पेज की चार्जशीट दायर करके अन्य सभी कर्मचारियों, विधार्थियों को सन्देश दिया है कि यदि कोई भी आवाज़ उठाएगा तो उसको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
आज वे लोग झुंड में हैं और सुजीत अकेला लड़ रहा है। यह हमारे सिस्टम एवं सरकार के लिए शर्म की बात है कि चार्जशीट जिनके हाथ में होनी चाहिए थी वो आज सुजीत को मानसिक प्रताड़ना दे रहे हैं।
यूं तो देश में बड़े-बड़े वादे हर सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ किये जाते हैं। यहां तक कि युवाओं को ऐसे सपने भी दिखाए जाते हैं कि यदि अब कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करेगा तो उसको पूरा सहयोग सरकर के द्वारा मिलेगा, बल्कि उसको सराहा भी जायेगा।
चाहे लद्दाख की रैली हो, या पार्लियामेंट में भाषण, खुद मोदी जी ने देश को बताया कि भ्रष्टाचार के दीमक से देश को बचाना बहुत ज़रूरी है और इसके लिए हर संभव कदम सरकार उठा रहे हैं।
इन तमाम वादों के झांसे में आये एक युवा सुजीत स्वामी की नौकरी जाना लगभग अब तय है, क्योंकि उसने देश के प्रधानमंत्री मोदी जी के वादों पर विश्वास करके अपने ही महकमे के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। उसको विश्वास था कि अब देश बदल चुका है और अब इन अधिकारियों की खैर नहीं लेकिन उसे कहां पता था कि राजनीतिक गलियारों में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की बातें ‘थोथा चना बाजे घना’ कहावत का सबसे बड़ा उदाहरण है और जब उसे पता चला तब तक काफी देर हो चुकी थी।
सुजीत को फिक्र है तो आईआईटी की जिसे वो इन भ्रष्ट अधिकारियों से मुक्त नहीं करा सका। उसको दुख है कि सरकार, मोदी जी के झूठे वादों ने उसकी जॉब छीन ली और इसी के साथ-साथ अब सुजीत कहीं भी सरकरी नौकरी नहीं कर पायेगा। ऐसा इनाम उसे इस लड़ाई में मिलने वाला है।
सुजीत की हार, इस भारतीय सिस्टम के ऊपर ज़ोरदार तमाचा है जो युवाओं को सुन्दर भारत की तस्वीर दिखाता है। सुजीत की हार उस सरकार के ऊपर तमाचा है जो युवाओं और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का संकल्प दिलाती है और उनकी इसी लड़ाई में उनको अकेला मरने के लिए छोड़ देती है। आज यदि सुजीत हारता है तो यह उसकी हार नहीं यह पूरे भारतवर्ष की हार है जो सच्चाई के लिए लड़ते हुए युवा के सपनों को पूरा नहीं कर सके।
आज वे लोग झुंड में हैं और सुजीत अकेला लड़ रहा है। यह हमारे सिस्टम एवं सरकार के लिए शर्म की बात है कि चार्जशीट, जांच, जिनके हाथ में होनी चाहिए थी वो आज सुजीत को मानसिक प्रताड़ना दे रहे हैं।