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क्या “सैराट” के जादू के आगे टीक पाएगी “धड़क”

जाह्नवी कपूर और ईशान खट्टर की फिल्म धड़क का दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार होगा। पर मुझे कोई इंतज़ार नहीं है, जाह्ववी कपूर को देखने के लिए लोग काफी उत्साहित होंगे, पर मैं ज़रा सा भी उत्साहित नहीं हूं।

फिल्म ‘धड़क’ का नया गाना ‘झिंगाट’ रिलीज़ कर दिया गया है। “बाबू ये तो रीमेक का ज़माना है, यहां ओरिजनल का रोल ही नहीं”। ट्यून वही है जो मराठी फिल्म ‘सैराट’ में थी, इस गाने को हू-ब-हू वैसा ही शूट किया गया है।

बॉलीवुड के पास अब कुछ बचा भी नहीं है इसलिए या तो घिसी-पिटी स्टोरी दिखाई जा रही है या फिर रीमेक का सहारा लिया जा रहा है। पूराने डिब्बे में नया माल बेचने का तर्क क्या सही है? क्या आज के डायरेक्टर्स के पास फिल्म बनाने के मुद्दे खत्म हो रहे हैं।

सैराट एक शानदार प्रेम कहानी है। सैराट मराठी सिनेमा की पहली फिल्म थी, जिसने बॉक्स-ऑफिस पर करीबन 100 करोड़ की कमाई का आंकड़ा पार किया था, और यह फिल्म सिनेमाघरों में करीबन 100 दिनों तक चली थी।

बॉलीवुड इतिहास में कुछ ही ऐसी गिनी-चुनी रीमेक फिल्में हैं, जिन्हें दर्शकों ने पसंद किया। इसके बाद भी बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक रीमेक के फॉर्मूले को भुनाने की कोशिश से बाज़ नहीं आ रहे।

https://www.youtube.com/watch?v=yX3GRuwS9M4

मेरे हिसाब से तो, रीमेक फिल्मों की कोई ज़रूरत नहीं है। क्लासिकल फिल्मों का चार्म अलग ही होता है कोई उनकी जगह नहीं ले सकता। ऐसी फिल्मों की ज़रूरत नहीं है, जो टेस्ट खराब करें,
सही मायने में तो रीमेक फिल्मों के भरोसे चल रहा है बॉलीवुड।

एक लंबे समय से बॉलीवुड में रीमेक फिल्में बनाई जा रही हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में फिल्मों को कॉपी करके बनाने के इस चलन ने खूब रफ़्तार पकड़ी है, इसके पीछे के कई कारण भी हैं। पहला तो ये कि ऐसी फिल्मों को लेकर ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। बनी-बनाई स्क्रिप्ट मिल जाती है। दूसरी बात ये कि किसी सुपरहिट फिल्म को कॉपी करके दर्शकों के सामने रखना ज़्यादा रिस्की भी नहीं रहता है। केवल फिल्म को परोसने का अंदाज़ इस कदर बदला जाता है कि फिल्म दर्शकों को पसंद आ ही जाती है। नतीजा यह होता है कि ऐसी ज़्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन करती हैं। गजनी और वॉन्टेड इसका अच्छा उदाहरण है। बाकी देखते हैं कि धड़क, सैराट के मुकाबले कैसी होगी।

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