झारखंड के देवघर ज़िले की जाह्नवी ने अपनी शादी को लेकर तमाम तरह के सपने देखे थे। लेकिन जाह्नवी के अरमानों पर दहेज प्रथा और हिंसा की क्रूर निगाह ने घर कर लिया। जाह्नवी की शादी 14 मार्च 2016 को झारखंड के दुमका ज़िले के अंतर्गत प्रखंड “रानेश्वर” के तपन कुमार गुप्ता से हुई थी।
जाह्नवी बताती हैं कि मैं अपने पापा की बहुत लाडली बेटी हूं इसलिए पापा ने मेरी शादी को सबसे यादगार बनाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी थी। ससुरालवाले लगातार फोन करके दहेज में दी जाने वाली अलग-अलग चीज़ों की लिस्ट लिखवा रहे थे और मेरे पापा उन्हें जुटाने में लग गए थे।
वो आगे कहती हैं कि शादी होने तक तो लगभग सब ठीक ही रहा, लेकिन जैसे ही मैं घर से विदा होकर पति और बारातियों के साथ अपने ससुराल रानेश्वर पहुंची, तब मेरी आंखों के सामने जो हो रहा था उसपर यकीन करना बेहद मुश्किल था। हमारे यहां जब भी कोई नई दुल्हन पहली दफा अपने ससुराल में कदम रखती है, तब उन्हें आरती की थाली
के साथ अंदर लाया जाता है। लेकिन मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मैं सुन रही थी कि मेरी सास और ननद ज़ोर-ज़ोर से झगड़ा करते हुए कह रही थीं कि अरे, देखो लड़की की तरफ से तो कोई भी सामान नहीं आया। जबकि मेरे पापा ने उन्हें काफी कुछ दिया था। काफी हो-हंगामे के बीच जब आस-पड़ोस के लोगों ने कहा कि अच्छा ठीक है वो सब बाद में देखेंगे पहले बोऊदी (बंगाली भाषा में बहू का संबोधन) को अंदर लाते हैं, तब जाकर उन लोगों ने मुझे गाड़ी से उतारकर अंदर लाया।
रिसेप्शन वाले दिन नहीं दिया गया भोजन-
जाह्नवी अपनी आपबीती सुनाते हुए कहती हैं कि ससुराल में रिसेप्शन वाले दिन किसी ने भी उन्हें खाने के लिए कुछ भी देने की ज़हमत नहीं उठाई। वो बताती हैं कि रिसेप्शन के दिन की बात तो छोड़ ही दीजिए, मगर उससे पहले भी शादी की रस्म-रिवाज़ों को लेकर मैं दो दिनों से भूखी थी। इसके अलावा ससुराल वालों की नौटंकी देखकर मेरी आधी भूख गायब हो गई थी।
जाह्नवी बताती हैं कि मुझे उम्मीद थी रिसेप्शन वाले दिन नई बहू होने के नाते यदि मेरे सजने-संवरने के लिए ब्यूटीशियन की व्यवस्था ना हो तो कम-से-कम घर की महिलाएं ही इस काम में मेरी मदद करेंगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। जाह्नवी ने जब अपने ससुरालवालों से ये बातें कही तब उसे फटकारते हुए कहा गया कि जाओ खुद से मेक-अप कर लो। यहां तक कि रिसेप्शन में जाह्नवी को सारे मेहमान के सामने एक चौकी पर लाकर बैठा दिया गया।
भरी महफिल में लड़की के पिता की बेइज्ज़ती-
हो-हंगामे के बीच अब जाह्नवी के पिता दहेज में छूटी हुई चीज़ों को लेकर अपनी बिटिया रानी के ससुराल पहुंचते हैं। जाह्नवी के पिता, उनकी मां और देवघर ज़िले से उनके कुछ करीबी भी रिसेप्शन पार्टी में शिरकत करने आए थे। उनके आने भर की देरी थी कि उन्हें जाह्नवी के ससुराल वालों ने जमकर लताड़ लगा दी। इसी आक्रोश में जाह्नवी के मायके वालों से ना तो खाने के लिए पूछा गया और ना ही रात की ठंड में सोने के लिए कोई जगह दी गई।
जाह्नवी आगे कहती हैं कि रिसेप्शन की अगली सुबह मेरे पापा, मम्मी और करीबी रिश्तेदार वापस देवघर लौट गए और फिर इन लोगों ने अगले आठ दिनों तक मेरी लाइफ को जहन्नुम में बदल दिया। मैं एक बिहारी फैमली से हूं और मेरी शादी बंगाली कल्चर में हुई। मेरी सास और ननद बंगाली भाषा में मुझे और मेरी फैमिली वालों को खूब गालियां देती थीं, उन्हें लगता था कि मैं नहीं समझती हूं, लेकिन मैं B.Sc पास हूं, उनके एक्सप्रेशन से पता लगता है कि वे क्या बातें कर रही हैं।
शारीरिक संपर्क बनाने की इजाज़त नहीं-
रिसेप्शन पार्टी की अगली रात जाह्नवी को घर के सबसे कोने वाला कमरा दिया गया। उसे लगा कि शायद पीरियड्स चलने की वजह से ये लोग मेरा केयर कर रहे थे। लेकिन मामला तो कुछ और ही था। जाह्नवी कहती हैं,
मुझे बाद में खबर मिली कि मेरी सास ने अपने बेटे को सिखा कर रखा था कि इस लड़की के साथ हर हाल में शारीरिक संबंध नहीं बनाना है, क्योंकि बाद में जब दहेज का सारा सामान ले लेंगे, तब इसे घर से निकाल देना है। यदि इस हाल में हमारे वंश की संतान इसकी कोख में पलने लगेगा, तब ये लड़की कानूनी लड़ाई जीत जाएगी।
जाह्नवी के पिता को फोन पर दी गई चीज़ों की लंबी लिस्ट-
जाह्नवी बताती हैं कि मुझे ससुराल वालों ने घर के कोने में एक अलग सा कमरा दिया था, जहां से मैं अपनी सास की सारी बातें सुन पा रही थी कि वो किस तरह से मेरे पापा को लगभग ढाई लाख रूपये के सामानों की लिस्ट दे रही थीं। उस लिस्ट में सबसे पहले बड़े कांसे के बर्तन की मांग की गई जिसकी अब भी कीमत 50 हज़ार रूपये के करीब है। वे आगे कहती हैं कि उनकी डिमांड यहीं आकर नहीं थमती। मेरे घर से मेरे लिए गहने के तमाम सेट्स दिए जाने के बावजूद भी डेढ़ लाख रूपये का नेकलेस मांगा गया। गर्मी के मौसम का हवाला देते हुए कूलर की भी मांग की गई। जबकि फ्रिज तो पहले ही दे दिए गए थे। जाह्नवी की माने तो उनकी पूरी फैमिली दहेज प्रथा के खिलाफ रही है। उनकी फैमिली में हुई तमाम शादियों में दहेज की मांग नहीं की गई।
मगर जाह्नवी को खुश रखने के लिए अपनी मेहनत की जमापूंजी में से दहेज के तौर पर उन्हें चीज़ें देनी पड़ी। धीरे-धीरे दहेज प्रथा की आड़ में जाह्नवी को मानसिक और शारीरिक यातनाएं मिलनी शुरू हो गई।
जाह्नवी को मायके जाने से रोका-
जाह्नवी की सास ने अपने समधी (जाह्नवी के पिता) से दो टूक बात करते हुए फरमान जारी कर दिया कि जिन चीज़ों की लिस्ट हमने दी है, पहले हमें वो चाहिए तब ही हम जाह्नवी को होली में घर जाने देंगे। बेटी की खुशियों के आगे नतमस्तक होकर पिता ने ये शर्त रखी कि ठीक है तपन (जाह्नवी के पति) के हाथों बिटिया को घर भिजवा दीजिए और फिर हम बाकी के सामान दे देंगे।
होली में जाह्नवी अपने पति तपन के साथ मायके आती हैं और तपन उसे छोड़कर अपने दोस्तों के संग देवघर में ही कहीं होली मनाने निकल पड़ता है। इस बीच पिता किसी तरह इधर-उधर से पैसे जोड़कर ससुराल वालों के द्वारा दी गई लिस्ट पूरी करने में लग जाते हैं। इन सबके बीच जब होली का पर्व खत्म हो जाता है तब जाह्नवी के पिता अपने जमाई से कहते हैं कि आप लोगों ने कांसे की बरतन, गले का हार और कूलर की मांग की थी जिसमें से हम अभी दो ही सामान देने की स्थिति में हैं और गले का हार अभी नहीं दे सकते। आप इन्हें लेने की कृपा करें और बेटी को घर ले जाएं। ससुर की बातें सुनकर तपन ने कहा कि आप पहले गले के हार का जुगाड़ कीजिए, फिर हम जाह्नवी को लेकर जाएंगे। जाह्नवी के पिता ने अपनी बेटी की खुशियों के लिए जब गले का हार बनवा दिया तब ससुराल वालों ने दूसरी लिस्ट जारी कर दी, जिसमें बरतन के अलावा कई चीज़ें शामिल थीं। हार भी मिल गया, चीज़ें भी मिल गईं, लेकिन जाह्नवी को देवघर से अपने घर ले जाने के लिए तपन राज़ी नहीं हुआ। उसने जाह्नवी से कहा कि अब तुम मेरे भैया की शादी में ही आना।
उधर तपन के भाई की शादी की तैयारियां चल रही थी, तब जाह्नवी को जबरन बारात में भारी भरकम गहने पहनाकर ले जाया गया ताकि उनके मायके वालों से भी महंगी चीज़ें मांगी जा सके। जाह्नवी अपने ससुराल वालों के साथ तपन के बड़े भैया की दूसरी शादी में शिरकत होने जा रही थीं, जाह्नवी को मोहरा बनाकर उस गरीब परिवार की बेटी से भी लगभग 60 हज़ार कैश और चालीस हज़ार के सामान वसूल लिए गए।
शुरू हुआ टॉर्चर का दौर-
तपन के बड़े भैया की शादी हो गई, इससे पहले जाह्नवी भी ससुराल आ गईं। अब जाह्नवी और उसकी गोतनी को हद से ज़्यादा घर के गैरज़रूरी काम देकर टॉर्चर करना शुरू किया गया।
जाह्नवी कहती हैं कि हमें वे लोग बैल की तरह खटाते थे मगर भोजन के लिए कोई पूछने तक नहीं आता। हम दिन भर बगैर कुछ खाए ही गुज़ार देते थे। हमारी हालत खराब हो जाती थी मगर किसी को कोई फिक्र नहीं होती थी। जाह्नवी आगे बताती हैं कि तपन के बड़े भैया की शादी के 15 रोज़ गुजर जाने के बाद वे लोग मुझपर दवाब बनाने लगे कि तुम अपने मायके चली जाओ। भुवनेश्वर से मेरा भाई आकर मुझे देवघर अपने मायके ले गया। देखते-देखते दिन बीतते गए मगर तपन नहीं आया। दुर्गा पूजा, दीपावली और छट तक मैं मायके में रही और तब जाकर तपन छठ पर्व के बाद आता है। अब तक मेरे खर्च के लिए पैसे भी वहां से नहीं भेजे गए। जब तपन छठ के बाद मेरे घर पर आता है तब मैं उससे कहती हूं कि अब तो हमें ले चलो अपने घर, इस बात पर फिर से चीज़ों की एक लिस्ट थमाते हुए तपन कहता है कि अभी रहो ना यार, काहे टेंशन लेती हो। पापा से बोलो एक ब्लैंकेट देंगे। ठंड आ गई है, मैं ओढ़ूंगा क्या?
जाह्नवी आगे कहती हैं कि तपन की बातें सुनकर मैंने पापा से बोलकर फॉरन एक ब्लैंकेट अपने ससुराल भिजवा दिया। लेकिन फिर भी वे मुझे मायके से अपने घर लेकर नहीं गए।
जाह्नवी को गंदी-गंदी गालियां दी जाने लगी
जाह्नवी की परीक्षाएं चल ही रही थीं और इस बीच खबर आती है कि स्वंय सेवक के पद पर उसकी नियुक्ति हो चुकी है। यह खबर सुनकर जाह्नवी के घर वाले बहुत खुश होते हैं, उन्हें लगता है कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा। एक रात जाह्नवी ने फोन कर अपने पति को कहा कि मुझे काफी दिक्कतें हो रही हैं, आपके रहते हुए मेरे पापा मुझे अपने काम छोड़कर एग्ज़ाम दिलाने ले जा रहे हैं। ये बात कहने भर की देरी थी कि तपन ने जाह्नवी और उसके परिवार वालों के लिए गालियों की बरसात कर दी। जाह्नवी बताती हैं कि तपन मुझे लेने नहीं आया और अंत में मेरे पापा कार रिज़र्व करके मुझे स्वंय सेवक के लिए ज्वाइन कराने ले गए।
एक रोज़ मैं तपन के साथ रानेश्वर ब्लॉक में मेरे डॉक्यूमेंट्स जमा कराकर बाइक से लौट रही थी, बीच रास्ते में उसने सबके सामने बाइक रोककर मेरे साथ छेड़खानी करनी शुरू कर दी। ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी बीवी नहीं, कोई गैर औरत हूं।
जाह्नवी की बहन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर की वायरल-
जाह्नवी बताती हैं कि 2017 के नव वर्ष से पहले दो रात तपन मेरे मायके में था। 30 दिसंबर को उसने मेरी बहन की सीम कार्ड और मेमोरी कार्ड कमरे में पड़ी चीज़ों के बीच से तलाश कर अपने पास रख ली। 31 दिसंबर की रात जब मैं सो गई तब वो किसी फोन में मेरी बहन की सीम और मेमेरी कार्ड लगाकर कुछ कर रहा था। जब मैंने उससे पूछा कि उसने इन चीज़ों को उठाकर क्यों अपने पास रखी है, तब उसने मुझे भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए मार-पीट कर नीचे गिरा दिया और फिर थक-हारकर मैं सो गई। अब तक उसने मेरी बहन की कुछ तस्वीरें वायरल कर दी। जाह्नवी आगे बताती हैं कि इतना सब कुछ होने के बाद भी मैं एक्सपेक्ट कर रही थी कि 01 जनवरी को वो हम लोगों के साथ ही रहेगा। लेकिन वह तैयार होकर कहीं चला गया। जब वापस वो घर लौटा तब उसने मेरी बहन के सामने मुझे प्रॉस्टिट्यूट कह दिया। ये बात मेरी बहन को बर्दाश्त नहीं हुई और उसने जैसे ही विरोध प्रकट किया तपन ने मेरी सैंडल उठाई और मेरी बहन के गाल पर रसीद दिया।
अब जब मेरे और मेरे भाई की आंखों के सामने वो मेरी छोटी बहन के साथ ऐसा सलूक करने लगा तब मुझसे देखा नहीं गया। मैंने तपन से बोला कि आपको शर्म नहीं आ रही है क्या? अब उसने मुझपर लात-जूते बरसाने शुरू कर दिए। जब उसका ड्रामा खत्म हो गया तो अगली सुबह वो अपने घर चला गया। लेकिन कहीं ना कहीं उसके दिमाग में ये चीज़ थी कि अब मुझे इनसे बदला लेना है।
घर जाकर उसने मेरी बहन के नाम से एक फर्ज़ी फेसबुक की आईडी बनाई और फिर उसमें मेरी बहन के फ्रेंड्स को रिक्वेस्ट भेजकर गंदी-गंदी बाते करने लगा। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में 11 जून 2018 को जाह्नवी ने एसपी ऑफिस देवघर में लिखित शिकायत दर्ज कराई जिसे महिला थाना फॉरवर्ड कर दिया गया। जाह्नवी के मुताबिक महिला थाना में ये कहकर टाल दिया गया कि ऐसे मामले तो हर रोज़ आते हैं।
हर बात पर होने लगी जाह्नवी की पिटाई-
अब जाह्नवी अपने पति के साथ ससुराल चली आई थी। क्योंकि रानेश्वर ब्लॉक से खबर किया गया था कि जाह्नवी को स्वंय सेवक के काम अब करने होंगे। तपती धूप में घर-घर जाकर सरकारी योजनाओं का सर्वे करके जब जाह्नवी घर लौटती थीं, तब उससे घर के सारे काम करवाए जाते थे और उसे भोजन नहीं दिया जाता था। इस बीच एक रोज़ जाह्नवी के भाई का कॉल आ गया और वो कमरे से बाहर जाकर अपने भाई से बात करने लगी। तपन ने अपने फोन में ऑटो रिकॉर्डिंग ऑन करके रखा था ताकि जब भी जाह्नवी कहीं बात करे तो उसपर पैनी नज़र रखी जाए। इस बार बात भाई से हो रही थी और उसने अपने बहन को टॉर्चर किए जाने की खीझ में जाह्नवी से कह दिया कि मुझे जीजाजी से बात नहीं करनी है। अब जाह्नवी को डर सताने लगा कि यदि पति ने रिकॉर्डिंग सुन ली तो फिर मार पड़ेगी। उसने डर के मारे रिकॉर्डिंग को डिलीट कर दिया।
पति की जब नींद खुलती है तब वह जाह्नवी से पूछता है कि रिकॉर्डिंग कहां है? जाह्नवी कहती हैं कि गलती से डिलीट हो गई। ये सुनते ही तपन बुरी तरह से जाह्नवी की पिटाई कर देता है। जाह्नवी बताती हैं, “मैं चाहती थी कि उसने जब मेरी पिटाई कर ही दी है, तो अब ये बात वो अपनी मां से ना बताए। मैंने जब देखा कि उसका गुस्सा शांत हो गया है और वो बैठकर टीवी देख रहा था, तब मैंने कहा कि यार अब तो इतना मार लिए मां से मत कहना। लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी, तपन मां से कहता है कि ये बहुत हरामी लड़की है। इसपर भरोसा मत करना, बेचकर खा जाएगी। तब मेरी सास कहती है कि और लेकर आओ पढ़ी-लिखी लड़की, तो यहीं सबना होगा। मेरे द्वारा इन बातों का विरोध जताए जाने पर तपन अचानक आकर मेरे गाल पर कस के एक थप्पड़ रसीद देता है। अब आप सोच ही सकते हैं कि मर्द ज़ात यदि किसी औरत को इस तरह से मारता है तो क्या होगा। मेरा जबरा टेढ़ा हो गया।”
जाह्नवी आगे कहती हैं कि मारने का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। तपन ने गाल पर थप्पड़ मारने के बाद घर के आंगन पर रखी फुल झाड़ू उठाई और मेरे शरीर पर मारना शुरू कर दिया। मारते-मारते वो झाडू ही टूट गई।
आने वाले दस दिनों के बाद हमारी मैरिज एनिवर्सरी थी। मार पड़ने के बाद मेरी बॉडी में काफी दर्द था, फिर भी इसी हालत में वे लोग मुझसे घर के सारे काम करवा रहे थे। हमारी एनिवर्सरी के लिए मेरी बहन ने मुझे बधाई देने के लिए कॉल किया। इस दौरान जब मैं अपनी मां से बात कर रही थी तब मैंने अपनी मां को सारी बात दी कि किस तरह से यहां पर तपन मुझे मारता है और गंदी-गंदी गालियां देता है। उधर कमरे के बाहर खड़े होकर तपन दांत पीसते हुए मुझे धमकाने लगा कि तू आ तुझे दिखाता हूं।
अब मैं काफी डर चुकी थी, मैं डर से मां को बोली कि मां सब ठीक है मैं फोन रख रही हूं।
अब मेरी शामत आ चुकी थी। मैं आंगन के अंदर गई और तपन ने मेरी उस रोज़ से भी डबल पिटाई कर दी। अभी मैं फूट-फूट कर रो ही रही थी कि उसने मेरे गाल पर एक ज़ोरदार पंच मार दिया। बात बस इतनी सी थी कि वे लोग मेरे परिवार वालों को गालियां दे रहे थे जो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ था।
जाह्नवी आगे बताती हैं कि जब मेरे पति हद की सारी सीमाएं लांघ कर हर रोज़ मेरी पिटाई करने लगा, तब मैनें और फोन पर मेरी मां ने उन्हें जेल भिजवाने की बात कही। ये बातें उन्हें नागावार गुज़री और अब फिर से उन लोगों ने मुझे गंदी-गंदी गालियां, मेरी बहन को रेप करने की बात और भाई को जान से मारने की धमकी देते हुए पीटने लगे।
तीन दिनों तक बिना भोजन और पानी तरसती रहीं जाह्नवी-
जाह्नवी नम आखों में बताती हैं कि किसी भी लड़की के लिए पीरियड्स का दौर काफी मुश्किलों भरा होता है और ऐसे में चाहिए होती है प्रॉपर केयर। मेरे पति उन दिनों मेरा केयर करने के बजाए मेरे पेट पर ज़ोर-ज़ोर से लात मारते थे। और फिर ब्लीडिंग होनी शुरू हो जाती थी। आलम ये हुआ कि मेरे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बहुत कम हो गई। जब भी मैं डॉक्टर को दिखाने की बात करती तब वे मुझे बहुत मारते थे। जब मेरी हालत बेहद नाज़ुक हो गई तब वे मुझे मारते-मारते डॉक्टर के पास ले गए। हम डॉक्टर दिखाकर जब घर लौटे तब गुस्से में तपन ने मेरे मुंह पर थूक दिया। मार-पीट और लड़ाई झगड़े तो मेरे ससुराल में मेरे दिनचर्या में शामिल हो चुके थे। ऐसा कोई भी दिन नहीं होता था जब तपन मुझे मारता नहीं था। ऐसे ही एक रोज़ बुरी तरह से मार खाने के बाद तपन, मेरी सास, मेरे जेठ जी और ननद के पैर पकड़कर उनके आगे गिड़गिड़ाने लगी कि मुझे मेरे मायके जाने दो, मेरी तबियत काफी बिगड़ गई है। फिर भी उनका दिन नहीं पसीजा। मेरे जेठ जी के कहने पर मेरे पापा को फोन लगा कर कहा गया कि 25 हज़ार रूपये दो और बेटी को लेकर जाओ। मेरे पापा रूपये लेकर आएं और तब उन लोगों ने मुझे जाने दिया।
अब मैं अपने मायके आ चुकी थीं जहां मेरे घरवालों को जब विस्तार से मेरे शोषण की सारी बातें बताई तब उन्होंने कहा कि बेटी तू अब वहां नहीं जाएगी। मगर अब तपन ने नया ड्रामा शुरू कर दिया। हर रोज़ फोन करके एक ही बात कहता कि आओ आकर यहां ब्लॉक के काम करो, क्योंकि तपन अवैध रूप से ग्रामीणों से पैसे वसूलता था और जब मैं इसका विरोध करती थी तब मुझे मार पड़ती थी।
मेरे पापा ने कहा कि चलो एक बार और देखते हैं उन लोगों का क्या रूख रहता है। मुझे गाड़ी करके मेरे ससुराल भिजवाया जाता है। लगभग सात दिनों तक सब कुछ ठीक ही रहा, अब सावन की दूसरी सोमवारी के रोज़ मैं मंदिर में जलार्पण करने के लिए जाती हूं। मेरी गलती इतनी होती है कि दोनों कलाई चुड़ियों से भरी होती हैं इसलिए मैं और चुड़ियां नहीं पहन पाती हूं। इस बात पर तपन मेरे गाल पर ज़ोर-ज़ोर से इतना मारता है कि मेरे दाएं कान से खून गिरना शुरू हो जाता है। जाह्नवी कहती हैं कि इतने वक्त तक मैं अपने पापा की लाज रखने के लिए ये सोच रही थी कि चाहे कुछ भी हो मुझे अपने ससुराल में ही रहना है। क्या पता धीरे-धीरे मार पड़ते-पड़ते मेरे प्रति मेरे पति को दया आ जाए। लेकिन सावन की दूसरी सोमवारी वाले रोज़ जिस हैवानियत के साथ मुझे पीटा गया, अब मैं मन बना चुकी थी कि मुझे यहां नहीं रहना है।
ये लोग वैसे तो मुझे जाने देने वालों में से थे नहीं। मैनें कहा कि रक्षाबंधन आ रहा है, ले चलो मुझे घर। इस बहाने उसने कहा कि पापा से कहो मुझे एक लाख रूपये दें और तब ही मैं तुम्हें ले जाउंगा। इस तरह से वो मुझे लेकर देवघर मेरे मायके जाने लगा। सब कुछ ठीक ही था, लेकिन अचानक बीच सुनसान रास्ते में गाड़ी रोक कर मुझे वहीं छोड़ भाग गया। तेज़ बारिश के बीच भीगते-भीगते किसी तरह मैं घर पहुंची। घर पहुंचकर पापा से आपबीती सुनाई और तब पापा ने कहा कि अब तो बिल्कुल भी वहां नहीं जाना है।
मेरे लिए एक और संकट थी कि मेरे सारे ज़रूरी कागज़ात और पापा के द्वारा दिए गए गहने-ज़ेवरात वहीं मेरे ससुराल में रह गए थे। अब पापा ने मेरे लिए एक कार रिज़र्व कर दी और मेरे कज़न भाई जो भोपाल से आए थे उनके साथ मुझे रानेश्वर भेजा गया, ताकि मैं अपने कागज़ात लेकर आ सकूं। जाह्नवी आगे कहती हैं कि मैं जब अपने ससुराल पहुंचती हूं तब मेरे होश उड़ जाते हैं, क्योंकि मैं देखती हूं तपन वहीं हैं, जबकि वो मुझसे झूठ बोला था कि मैं कोलकाता जॉब करने जा रहा हूं। उसने कभी कोई नौकरी की ही नहीं।
मैं जैसे ही घर के आंगन में कदम रखा वैसे ही तपन ने गंदी-गंदी गालियां देते हुए कहा कि आ साली, अब तुझे जाने ही नहीं दूंगा। तू जाती है तो वहां बैठ ही जाती है। चूंकी मेरे स्वंय सेवक वाले काम से कुछ पैसे ब्लॉक में आने वाले थे, तो तपन मेरे साथ ब्लॉक जाकर कागज़ में मेरी साइन कराकर सारे पैसे निकाल लिया। इसके अलावा ग्रामीणों से अवैध वसूली करके भी उसे काफी पैसे मिल जाते थे।
जाह्नवी बताती हैं कि अब ब्लॉक के काम को खत्म करने के बाद मैं वापस ससुराल जा रही थी। मैंने अपने कज़न भाई के हाथ में मेरे डॉक्यूमेंट्स की फाइल देते हुए गाड़ी में रखने को कहा। इस बीच तपन बेरहमी से मेरी पिटाई करने लगा, तब भाई मुझे बचाने जैसे ही आया, मेरे पति ने उसके हाथ से फाइल लेकर अपनी मां को दे दी।
सबके सामने जाह्नवी को किया निर्वस्त्र-
हद की सारी बंदिशे तो उस वक्त टूट चुकी थी जब जाह्नवी के पति तपन ने पूरे घर वालों और जाह्नवी के छोटे भाई के सामने जाह्नवी को निर्वस्त्र कर दिया। जाह्नवी बेबस नज़र आ रहीं थीं और ससुराल वालें तमाशबीन बनकर नज़ारे का आनंद ले रहे थे। हालात बेकाबू ना हो जाए इस लिहाज़ से जाह्नवी के पापा ने एक जानकार ड्राइवर को भेजा था जिन्हें उन लोगों ने घर की दहलीज़ पर घुसने ही नहीं दिया। जाह्ववी ने किसी तरह से साड़ी पहनी और वहां से भाग कर निकल गई।
जाह्नवी के पिता सुरेश साह अपनी बेटी के साथ ससुराल में हुई यातनाओं का ज़िक्र करते हुए कहते हैं,
जाह्नवी हमारी बड़ी बेटी है। बड़े ही लाड़-प्यार से हमने इसे पाला है। शादी से पहले यदि हमें अंदाज़ा होता कि लड़का इस तरीके से मेरी बेटी को टॉर्चर करेगा, तब मैं कतई ऐसे घर में बेटी की शादी नहीं होने देता। देश की न्याय व्यवस्था पर अब भी मुझे विश्वास है। हमें मालूम है एक दिन ज़रूर मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2017 में जाह्नवी के पिता ने तपन और उसके परिवार वालों के खिलाफ देवघर कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया है, जहां जाह्नवी के ससुराल वाले लगातार केस वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उधर मार्च 2018 में जाह्नवी के ससुराल वालों ने हिन्दू विवाह कानून की “धारा 9” के तहत दुमका व्यवहार न्यायालय में मामला दर्ज कराया है।
जाह्नवी के वकील सुधीर कुमार बताते हैं कि धारा 9 के तहत केस दर्ज होने के बाद मामले को मेडिएशन सेंटर दुमका रेफर किया गया जहां दोनों पक्षों ने इस बात के लिए हामी भरी है कि बगैर लेन-देन के तलाक की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। पुन: दुमका कोर्ट में तलाक याचिका दाखिल किए जाने के बाद दोनों पक्षों का बयान दर्ज कर लिया गया है। अब 17 जुलाई को कोर्ट में पेशी होने के बाद तलाक की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
इससे पहले 21 मई 2018 को जाह्नवी ने दुमका ज़िले की जन शिकायत कोषांग में अपने पति के खिलाफ मारने-पीटने, दहेज और अत्याचार मामले में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। इसके अलावा जाह्नवी के मायके आ जाने के बाद से पति तपन के द्वारा ग्रामीणों से अवैध रूप से पैसों की वसूली करने के खिलाफ भी जाह्नवी ने शिकायत की है। एप्लिकेशन में स्वंय सेवक पद से इस्तीफे की भी मांग की गई है।
जाह्नवी अगस्त 2017 से देवघर स्थित अपने मायके में रह रही हैं। जाह्नवी को उस दिन की पूरी उम्मीद है जब पति तपन समेत उसके तमाम गुनेहगार जेल की सलाखों में होंगे, साथ-ही-साथ इस देश में जाह्नवी जैसी ही अन्य लड़कियों के साथ हो रही दहेज के नाम पर हिंसा पर भी विराम लगेगा।