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झारखंड के डॉ वागिश मरीज़ों को धमकाते हैं परिजनों पर धौंस जमाते हैं

झारखंड राज्य के दुमका ज़िले में एक डॉक्टर के द्वारा मरीज़ के परिजन से दबंगई करने का मामला सामने आया है। घटना 29 मार्च की है जब गोड्डा ज़िले के महगामा प्रखंड से अपनी 65 वर्षीय मां का इलाज कराने आए जितेन्द्र दास से डॉ. कुमार वागिश ने बदतमीज़ी की। प्राप्त जानकारी के मुताबिक जितेन्द्र दास की मां की सेहत गुरूवार सुबह से ही काफी बिगड़ गई थी। चूंकि जितेन्द्र की मां पिछले कई वर्षों से डॉ. वागिश से इलाज करा रही थीं, इस वजह से जितेन्द्र ने अपनी मां को गोड्डा में किसी डॉक्टर से तत्काल इलाज कराने के बजाए दुमका आकर डॉ. वागिश को दिखाया।

गौरतलब है कि जितेन्द्र दास के एक मित्र ने कई घंटे पहले ही उनकी मां के नाम से एक अप्वाइंटमेंट बुक करा ली थी। जब जितेन्द्र अपने मित्र के साथ मां को लेकर डॉ. वागिश के पास पहुंचे तब करीब 20 मिनट तक उन्हें स्ट्रेचर पर लेटाकर रखा गया। जबकि उनकी मां की हालत काफी नाज़ुक थी। जितेन्द्र दास के मित्र के द्वारा उनके कम्पाउंडर से जितेन्द्र की मां को इमरजेंसी में दिखाए जाने के सवाल पर पहले तो डॉ. वागिश के कम्पाउंडर मौन रहे और एक-एक कर अन्य मरीज़ों को डॉक्टर के चेंबर में भेजते रहे और फिर ऊंची आवाज़ में ये कह दिया कि हमारे यहां नंबर सिस्टम चलता है।

हालांकि जितेन्द्र दास के मित्र ने जब कई दफा उनकी मां को इमरजेंसी में न दिखाए जाने को लेकर सवाल किए तब मजबूरन कम्पाउंडर के कहने पर डॉ. ने उनकी मां का चेकअप किया।

डॉक्टर वागिश के द्वारा जितेन्द्र की मां का चेकअप किए जाने के बाद जब उन्हें ECG रूम में भेजा गया, तब जितेन्द्र के ही एक मित्र ने कम्पाउंडर से यह प्रश्न कर दिया कि 20 मिनट वक्त ज़ाया करने के बजाए यदि डॉक्टर साहब ने मरीज़ को पहले ही देख लिया होता तब शायद उनकी हालत और नाज़ुक न हुई होती। ये सवाल पूछने भर की देरी थी कि एक-एक कर डॉ. वागिश के कम्पाउंडर इकट्ठे होने शुरू हुए और बहस करने लग गए।

इन सबके बीच जब जितेन्द्र के मित्र उनकी मां के लिए ग्लूकॉन डी लाने बाज़ार की तरफ गए तब डॉ. वागिश ने जितेन्द्र को बुलाकर खूब फटकार लगाई। उन्होंने कहा,

यदि मैं अपने चेंबर से बाहर निकल गया तो फिर तमाशा शुरू हो जाएगा। बहुत पैसा का गर्मी हो गया है, अभी तुम्हारी मां को रेफर कर दूं कहीं बाहर। बोलो। बताऊं क्या अभी?

आपको बता दें इससे पहले जब जितेन्द्र दास अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने जा रहे थे तब डॉ. वागिश के यहां मौजूद करीब चार कम्पाउंडर्स ने जितेन्द्र को जबरन पकड़कर उनके हाथ से प्रेस्क्रिप्शन छीनते हुए कहा कि आप कहां जा रहे हैं? आपको दवाइयां हमारे यहां से ही लेनी है और जो ब्लड टेस्ट डॉक्टर साहब ने लिखे हैं वो भी हमारे यहां ही होगा। जबकि जितेन्द्र दास के पास कैश नहीं थे और वे पास के किसी एटीएम में पैसे निकासी के लिए जा रहे थे। करीब चार घंटे तक जितेन्द्र की मां को अपनी डिस्पेंसरी में भर्ती रखने के बाद छुट्टी दे दी गई।

डॉ. वागिश से जब हमने इस विषय पर बात करने की कोशिश की तब कई दफा उनके कम्पाउंडर्स ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि डॉक्टर साहब अभी व्यस्त हैं, आप कभी और कॉल कर लीजिए। काफी मशक्कत करने के बाद जब डॉक्टर वागिश के पर्सनल नंबर पर हमने कॉल किया तब पहली दफा उन्होंने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। दूसरी दफा जब हमने उनसे मरीज़ को देर से देखे जाने और परिजन के साथ बदतमीज़ी से पेश आने को लेकर प्रश्न किया तब उन्होंने मरीज़ के आरोपों को न सिर्फ गलत बताया बल्कि यह भी कहा कि मैं डे केयर क्लिनिक चलाता हूं।

इलाज के बहाने सदर अस्पताल से लंबे वक्त से छुटी पर हैं डॉ. वागिश

डॉ. वागिश ज़िले के सदर अस्पताल में बतौर चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे थे। हालांकि पिछले कई महीनों से वे इलाज के बहाने छुट्टी पर हैं। सदर अस्पताल से छुट्टी पर चल रहे वागिश अपने निजी आवास पर धड़ल्ले से प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। उधर सदर अस्पताल दुमका में डॉक्टरों की किल्लत से मरीज़ बेहाल हैं, वहीं लंबे वक्त से सदर अस्पताल दुमका से इलाज के बहाने छुट्टी पर चल रहे वागिश को लेकर अस्पताल प्रशासन भी खामोश है।

सामाजिक कार्यकर्ता मानस के द्वारा दुमका ज़िले के डीसी ऑफिस जन संवाद में डॉ. कुमार वागिश के खिलाफ की गई लिखित शिकायत की कॉपी

वागिश की डिग्री को लेकर भी ज़िले में कई तरह की चर्चाएं हैं। 14 नवंबर 2017 को ज़िले के सामाजिक कार्यकर्ता मानस दास ने डीसी ऑफिस की जन शिकायत कोषांत में एक लिखित अर्ज़ी दी है, जिसमें डॉ. वागिश की डिग्री के फर्ज़ी होने का दावा किया गया है।

डॉक्टर वागिश के बचाव में जुटा अस्पताल प्रशासन-

सिविल सर्जन डॉक्टर सुरेश से फोन पर बातचीत के दौरान जब हमने डॉक्टर कुमार वागिश की अनुपस्थिति को लेकर सवाल पूछा तब वे उनका बचाव करते नज़र आएं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर वागिश ने जब छुट्टी के लिए आवेदन दी थी तब मैं यहां सिविल सर्जन नहीं था, डॉक्टर योगेन्द्र प्रभार में थे। डॉक्टर सुरेश कहते हैं कि डॉक्टर वागिश लगभग पांच महीने से छुट्टी पर चल रहे हैं और अभी मैं उन्हें कुछ नहीं कह सकता। हां जब वे आकर ज्वाइन करेंगे तब भले मैं उनसे कुछ कहूंगा।

इस बीच जब हमने दुमका के पूर्व सिविल सर्जन योगेन्द्र महतो से डॉक्टर वागिश की अनुपस्थिति को लेकर प्रश्न किए तब उन्होंने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मैं प्रभार में नहीं हूं। आप डॉक्टर सुरेश से बात करें।

इन सबके बीच सदर अस्पताल दुमका में हर रोज़ मरीज़ों का तांता लग रहा है और इक्के-दुक्के डॉक्टर्स किसी तरह से कतारों में खड़े रोगियों को देख रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर वागिश का इलाज के बहाने लंबे वक्त से छुट्टी पर बैठ जाना और अपनी डिस्पेंसरी में प्रैक्टिस जारी रखना अस्पताल प्रशासन की नाकामी की पोल खोलता दिखाई पड़ता है।

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