Site icon Youth Ki Awaaz

महिलाओं को इग्नोर करके किसी देश का विकास संभव नहीं है

हमारे भारतीय समाज में एक तरफ तो औरत को देवी कहा जाता है, मगर वहीं दूसरी ओर उसी देवी का तिरस्कार किया जाता है। कहने को तो औरत को हमारे समाज में बराबरी का अधिकार दिया जाता है मगर, क्या सच में ऐसा है? हमारे समाज में कई ऐसे माता-पिता मिल जाएंगे, जो कहते तो हैं कि उनके लिए बेटा-बेटी दोनों ही बराबर है लेकिन, बेटी के पैदा होते ही वे मायूस भी हो जाते हैं।

एक लड़की को बचपन से ही यह कहा जाता है कि तुम्हें पराये घर जाना है मगर, उसी लड़की की जब शादी हो जाती है, तो उसके ससुराल में उसे यह कहकर सम्मान नहीं दिया जाता कि ये तो पराये घर से आयी है। उसकी सारी ज़िन्दगी ये समझने में निकल जाती है कि आखिर उसका अपना घर कहां है। मगर, यही पर उसके दुखों का अंत नहीं होता, जब उसे अपने ही घर में प्यार और सम्मान नहीं मिलता तो बाहरी पुरुष-प्रधान समाज में उसे सम्मान कैसे मिल सकता है?

वैसे यह सब हमारी अपनी परम्परागत कथाओं की देन है। जब राजा राम किसी धोबी के कहने पर सीता की अग्नि-परीक्षा ले सकते हैं, तो औरत को अपने से नीचा दिखाना, तिरस्कृत करना भी हमारे समाज के मर्द अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं। औरत को देवी तो लोगों के सामने कहा जाता है, मगर उसे देवी कभी समझा ही नहीं गया।

अगर सच में ऐसा होता तो आज उसे पराया नहीं कहा जाता, आज उसे दहेज के लिए जलाया नहीं जाता, आज उसे अपनी हवस का शिकार नहीं बनाया जाता।

आज इस मर्द प्रधान समाज के मर्दों की मर्दानगी इस हद तक भर चुकी है कि वो औरत और बच्ची में फर्क करना भी भूल गए हैं। बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि वो दिन दूर नहीं जब एक भाई अपनी मां-बहन को भी अपनी हवस का शिकार बनाने में गुरेज़ नहीं करेगा। ज़ाहिर है मेरी बात आपको बुरी लगी होगी मगर, भविष्य में यही होने की सम्भावना है। ये सच कड़वा ज़रूर है मगर सत्य तो यही है।

आखिर ऐसा क्यों हो रहा है हमारे देश में, कोई भी बेटी, मां, दादी आज सुरक्षित नहीं है। कौन है इन सबका ज़िम्मेदार? इसमें सबसे बड़ा योगदान है, हमारी सोच का जो कि आज इतनी गिर चुकी है कि हम सही और गलत में फर्क करना भूल चुके हैं। 

आखिर कब तक हम अंधे बने रहेंगे। अब वक्त आ गया है नींद से जागने का, अगर अब भी हम नींद में रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हमारे समाज में ना तो औरत का अस्तिव रहेगा ना ही मर्द का। सोच बदलेगी नहीं तो बहुत देर हो जाएगी और भारत का वजूद ही खत्म हो जायेगा। सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत, विभिन भाषाओं का ज्ञाता भारत, महज़ एक मिट्टी का टुकड़ा बनकर रह जायेगा। आइए हम नींद से जागें और सब को जगाए।

Exit mobile version