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AMU में धर्मरक्षकों की आहत हुई ‘भावना’, लड़की से हुई थी ये ‘गलती’

मैं पिछले कुछ सालों से ‘भावना’ को तलाश रही हूं, जो बात-बात में आहत हो जाती है। किसी एक शख्स के कुछ कहने मात्र से ‘भावना’ बेचारी आहत हो जाती है और लोग हंगामा करना शुरू कर देते है। ये लोग किसी की हत्या करने से भी बाज नहीं आते हैं। गुरुग्राम में फ़िल्म पद्मावत से आहत लोगों ने स्कूल बस पर ही पथराव कर दिया था। लेखक सलमान रुश्दी को भारत से भगा दिया गया।

ताज़ा मामला, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का है। यहां के लड़कों की भावनाएं आहत हो गई है। वजह एक तस्वीर है, तस्वीर में तीन-चार लड़के हैं। लड़कों के हाथ में शराब है, साथ मे एक लड़की भी है। लड़की के दोस्तों ने फोटो फेसबुक शेयर किया और उसे टैग कर दिया। शेयर करने के साथ-साथ सुन्नी समुदाय को लेकर कुछ लिखा गया है। (क्या लिखा है तस्वीर में पढ़ लें)

यही लिखा हुआ कुछ मुस्लिम युवाओं को पसन्द नहीं आया और वो लड़की पर शाब्दिक हमले करने लगे। खबर ये भी है कि आहत युवा लड़की के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा चुके हैं। फेसबुक पर लड़की को जमकर गाली दी जा रही है। ये वही लोग हैं जो अभिनेता आमिर खान और उनकी बेटी की तस्वीर पर गाली देते हैं। क्रिकेटर मोहम्द शमी और उनकी पत्नी की तस्वीरों पर गाली देते हैं। ये बहुत ‘संस्कारी’ लोग है ये। ‘महिलाओं’ की इज्जत का इतना ख्याल रखते हैं कि इज्जत को ‘जाते’ देख मां-बहन की ही गलियां देने लगते हैं। 

इस तस्वीर में जो लड़की है उसने लगातार हो रहे हमलों से आहत होकर एक वीडियो बनाकर फेसबुक पर शेयर किया। वीडियो में नशरा बहुत डरी हुई लग रही है, बार-बार माफी मांग रही है, गलती स्वीकार कर रही है। बहुत मुमकिन है कि वीडियो बनाने से पहले और उसके बाद नसरा रोई होगी। एक लड़की हूं और लड़कियों का दर्द समझती हूं।

वीडियो के ज़रिए माफी मांगने के बावजूद भी आहत भावनाओं वाले लड़के, लड़की को गाली दे रहे हैं। हे आहत भावनाओं वाले दोस्तों, आपकी भावना तब क्यों नही आहत हुई, जब राजस्थान में धर्म के नाम पर एक मासूम लड़की का कत्ल कर दिया गया। कत्ल करने वाला उसका पिता ही था। कत्ल पाक महीने में ही हुआ। आपकी भावना तब क्यों नहीं आहत होती, जब आप पढ़ते है कि मुस्लिम लड़कियों को आज़ादी नहीं मिलती है, उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता है, रिपोर्ट हर साल आते हैं उसे पढ़ा कीजिए। हर बात के लिए सरकार ही ज़िम्मेदार नहीं है। कुछ आप और हम भी ज़िम्मेदार हैं।

तब आपकी भावना क्यों आहत नहीं होती है, जब आपके साथ आपकी पत्नी मार्केट जाती है, आप सूट-बूट में होते है और आपकी पत्नी बुर्का में। बदन तपाने वाली गर्मी हो या हाड़ कंपाने वाली ठंड उसे बुर्का ही पहनना होता है। तब आपको नहीं लगता है कि आप उसे गुलाम बनाकर रख रहे है। उसे आपकी तरह रहने का मन करता होगा। तब तो आप इस्लाम को लेकर चले आते हैं। आप मर्द बेहद मासूम होते है। धर्म की सारी पाबंदियां लड़कियों के लिए ही।

मैं आपके ‘भावना’ से मिलना चाहती हूं। उसे समझना और समझाना हूं। मिलेगी तो कहूंगी बहन बात-बात में आहत मत हुआ करो और अगर नहीं सुधर सकती हो तो आत्महत्या कर लो। तुम्हारी वजह से सालों से समाज मे बहुत गंध फैल रहा है।

इस मुल्क यानी भारत में हिन्दू-मुस्लिम भले आये दिन लड़ते रहते हैं, लेकिन दोनों की ‘भावनाएं’ एक जैसी है। जो हर मुख्तलिफ सोच वाले से आहत हो जाती है। भावना तुम मिलो यार।

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