प्रिय राइटर्स,
अगर आप अपने लेखन में बेहतरी लाने के इच्छुक हैं तो यह पोस्ट आपके लिए है। अगर आपको यकीन है कि आपके लिखने से फर्क पड़ता है तो यह पोस्ट आपके लिए है। और अगर आपको भी यकीन है कि लिखने से बदलाव आ सकता है तो यह पोस्ट आपके लिए है।
एक समय मेरे अंदर भी एक अच्छी लेखिका बनने की तीव्र इच्छा थी, साथ ही अपने लेखन को और बेहतर बनाने का एक जज़्बा था। आज आठ सालों और करीब एक हज़ार से ज़्यादा लेखों के बाद आज मैं खुद को काफी बेहतर जगह पर पाती हूं। मैं जानती हूं कि हम लिखने वालों के लिए सही तरह की मदद और मार्गदर्शन कितना ज़्यादा मायने रखता है।
इसी वजह से मैं आपके साथ कुछ वो चीज़ें साझा कर रहीं हूं जिनसे शुरूआती दौर में मुझे, मेरे लेखन को बेहतर बनाने में मदद मिली। उम्मीद है कि यह आपके लिए भी सहायक साबित होंगी।
1. लेख की रूपरेखा पहले से तय कर लें
लिखना शुरू करने से पहले अपने लेख का एक स्ट्रक्चर यानि कि एक खाका तैयार कर लें, जिससे आप यह तय कर सकें कि लेख की शुरुआत से लेकर अंत तक क्या लिखा जाएगा।
2. शुरुआत से ही पाठक पर पकड़ बनाएं रखें
किसी भी लेख में उसकी शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छी शुरुआत तुरंत पाठक का ध्यान अपनी और खींचती है, जबकि एक सामान्य शुरुआत के चलते मुमकिन है कि पाठक लेख को पूरा भी ना पढ़े। आपके लेख की शुरुआत इसे बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है, इस बात का हमेशा खयाल रखें। इसलिए लेख की शुरुआत पर खासा ध्यान दें।
3. पाठक को अपने लेख के सफर का हिस्सा बनाएं
कल्पना कीजिए की आप 40 स्टूडेंट्स की एक क्लास में मौजूद हैं जिसमें किसी विषय पर एक प्रोफेसर का लेक्चर चल रहा है। विषय के रोचक होने पर भी अगर उसे पढ़ाने का तरीका उबाऊ हो तो मुमकिन है कि कुछ समय बाद आपका ध्यान कहीं और चला जाए। अब उसी प्रोफेसर की कल्पना करिए और सोचिये कि आप उनके साथ उसी विषय पर एक चर्चा में शामिल हैं, जिसमें एक दोतरफा संवाद हो रहा है। अब आप खुद ही सोचिये कि इन दोनों में से आपको कौन सा तरीका पसंद है? बातचीत वाला, सही कहा ना? वजह है कि यह एक निजी अनुभव होगा।
यही बातें आपके लेखन में भी लागू होती हैं। पाठक से एक संवाद बनाने की कोशिश करें, आपके लेख के ज़रिये उनसे सवाल करें। उदाहरणों, तुलनाओं और उपमाओं के इस्तेमाल से पाठक को अपने विचार, अपनी बात समझाएं।
4. सही वाक्यों से कहें अपनी बात
कर्म प्रधान वाक्यों यानि कि पैसिव वॉइस का इस्तेमाल करने से बचें, याद रखें कि एक्टिव वॉइस यानि कि कर्ता प्रधान वाक्य आपके लेख को मज़बूती देते हैं। आइये इसे एक उदहारण से समझते हैं-
पैसिव वॉइस- मुगल वंश का पहला शासक बाबर था।
एक्टिव वॉइस- बाबर, मुगल वंश का पहला शासक था।
पैसिव वॉइस- 1983 में पहली बार क्रिकेट वर्ल्डकप जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तानी कपिल देव ने की थी।
एक्टिव वॉइस- कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम ने 1983 में पहली बार क्रिकेट वर्ल्डकप जीता था।
आप इस एक नियम से ज़्यादा बेहतर तरीके से अपनी बात लिख सकते हैं, साथ ही इससे आपके लेख में उलझन कम होगी और वो समझने में ज़्यादा आसान होंगे।
5. वाक्यों की संरचना
कठिन या जाटिल वाक्य आपके लेख को समझने में मुश्किल तो बनाते ही हैं साथ ही इसके कारण, पाठक पर लेखन के हावी हो जाने की भी सम्भावना बन जाती है। आम बोलचाल की भाषा और आसान वाक्य आपके लेख को सजीव और रोचक बनाते हैं और यह आपके लेख से पाठक को जोड़ने में भी सहायक साबित होते हैं।
6. शब्दों की सीमा का ध्यान रखें
हर पैराग्राफ और हर वाक्य के लिए एक मेन पॉइंट तय कर लें। जब आप लेख पूरा कर लें तो इसे एक एडिटर की नज़र से पढ़ें और लेख में जो भी हिस्सा गैरज़रूरी लगे उसे हटा लें।
मुझे एक बार किसी ने एक बहुत अच्छा सुझाव दिया था कि भावनाओं के साथ ज़रूर लिखो लेकिन एडिट करते समय भावनाओं को एक कोने में रख दो। तो एडिट करते समय इस बात का ख़याल रखें और आपके लेख को बिल्कुल वैसा बनाएं जैसा आप चाहते हैं, ना एक शब्द कम और ना एक शब्द ज़्यादा।
7. अब एक एडिटर को अपना लेख पढ़ने के लिए भेजें
कोई भी एकदम परफेक्ट लेख नहीं लिख देता। अपना लेख खुद एडिट करना अच्छा है, लेकिन जब एक अलग इंसान उसे एडिट करता है तो वह और बेहतर होता है। एक एडिटर आपके लेखन के मज़बूत और कमज़ोर हिस्सों को सामने लाने में सहायक साबित हो सकता है, इससे आपको भी पता चलेगा कि आपको लेख के किन हिस्सों पर काम करने की ज़रूरत है। जब आपका लेख पूरा हो जाए तो उसे Youth Ki Awaaz के अनुभवी एडिटर्स को भेज दें, और हम आपके लेखन को बेहतर बनाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करेंगे।
हर महीने हज़ारों लोग Youth Ki Awaaz पर लिख रहे हैं और अपने शब्दों के ज़रिये बदलाव का हिस्सा बन रहे हैं। आप भी उनमें से एक बन सकते हैं। तो आपका लेख खुद से पब्लिश करने के लिए यहां क्लिक कीजिए और बदलाव के इस सफर में हमारे साथ आइये।
हमें आपके लेख का इंतज़ार रहेगा।