बिगड़ी हुई लड़की या बिगड़ा हुआ लड़का तब ही सुनने के लिए मिलता था जब हम खाना नही खाते थे या समय पर पढ़ाई नही करते थे हमारे माँ से. परंतु हमारे समाज मे तो इसकी परिभाषा ही अलग हैं . लोग खिताब देते है बिगड़ी हुई लड़की का जब हम समाज़ के बनाए हुए रूल पर चलना बंद कर दे।
“ज़्यादा जोर से हसना या हसाना लड्की का, देर से घर आना,छोटे कपड़े पहनना,लड़को के साथ दोस्ती ” ये तो बहोत आम बात है लोगो से सुनना पर क्या ये सही है?? आज कल तो हम “my life, my rules,my career,” ये सब खुद के लिए सोचना भी हुमे बिगड़ी हुई लड़की /लड़का साबित कर देते हैं. बस हम इसी डर मैं जीते आए हैं की ‘ वो चार लोग क्या कहेंगे”
हमारे माँ पिताजी ने तो यही सिखाया की वो चार लोग को ही साथ मैं ले कर चलो जो आपको ऐसा कहते है ताकि उनका मन भी बादल जाए।
अगर कुछ अपने मन का करना भी हो वो भी आपके समाज के हिसाब से तो अपने आप को नही अपने सम्माज की सोच बदलो।
decision maker बनना अगर बिगड़ा हुआ कहलाता है तो जी हाँ मैं बिगड़ी हूँ। क्यूंकी हम बिगड़ी हुई लाइफ जीने मैं यकीन करते है.. तो बस हम खुद का फैसला खुद करे और इसे किसी और की जहाँगीर न बनाए!!
So stay happy and being bigdi hui ladki!!