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सपनों के शहर से खंडहर तक की कहानी एम्बी वैली…

एम्बी वैली को जानने से पहले आपका सुब्रत राय सहारा को जानना बहुत जरूरी है। एम्बी वैली जैसा सपना देखने वाला इंसान कोई आम आमदी नहीं हो सकता। सुब्रत राय सहारा यानी कि सहारा ग्रुप के संस्थापक जिन्होनें वर्ष 1978 में सहारा ग्रुप की स्थापना गोरखपुर में की थी। सुब्रत 1990 के दशक में लखनऊ चले गए और वही पर सहारा परिवार का मुख्यालय बना दिया। लखनऊ में ही सुब्रत ने सहारा सिटी का निर्माण किया जो कि लगभग 170 एकङ में है। इस के बाद सुब्रत का अगला सपना था, “एम्बी वैली”। सन् 2000 में पूणे के पास एम्बी वैली की नीव डाली गई।

 

यहाँ से कहानी शुरू होती है एम्बी वैली की, एम्बी वैली यानी 10,600 एकङ और 23 किलोमीटर में फैला सुब्र्रत राय सहारा के सपनों का शहर जो पूरे देश के अमिरों के लिए एक स्टेटस सिंबल बन गया था।

11 झीलें, 1300 यॉर्ड का अंतरराष्ट्रीय गोल्फ कोर्स, सुब्रत ने अपने सपनों का शहर बसाया पूणे से 120 किलोमीटर की दूरी पर बसाया था। एम्बी वैली को इस तरह से बनया गया था मानों भारत में कोई दूसरा देश बसा दिया हो। वैली में सबसे बङी झील 1.5 किलोमीटर की थी, इस झील के किनारे पर एक तरफ रिसोर्ट बना हुआ था और दूसरी तरफ वेडिंग सेंटर। यह शहर, भारत का पहला हिल टाउन था। इस शहर की प्लानिंग ने पूरे देश के लिए स्टैंडर्ड सेट कर दिया था। एंम्बी वैली में सरकार से मान्यता प्रापत प्राइवेट ऐयर्पोट भी था। सुब्रत राय सहारा ने इस के अंदर 60 करोङ रूपय केवल एक म्यूजीकल फव्वारे पे खर्च किए थे। सुब्रत ने इसे सपनों का शहर बनाने में कोई कसर नहीं छोङी थी। एम्बी वैली में घर की कीमत 8 करोङ से 20 करोङ तक की थी। इसमें इंटरनेशनल स्कूल एम्बी (आईएसए),स्कूल एंड होस्टल था जिसमें विश्व प्रसिद्ध पाठ्यक्रम प्रस्तुत करने वाली बोर्डिंग सुविधाओं के साथ  कैम्ब्रिज इंटरनेशनल बोर्ड था। हर छोटी से बङी जरूरत का इतने तरीके से ध्यान रखा गया था, मानों कोई शहर नहीं अपने रहने के लिए घर बना रहा हो। सिर्फ भारत ही नहीं विदेशी सैनानी, खिलाङी सब इसे देखने आते थे। फिल्मी सितारें जैसी जिंदगी और चका चौंध से भऱ पूर्ण जीवन का सपना दिखाती थी एम्बी वैली। प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी एन्ना कोर्निकोवा एम्बी वैली की ब्रेंड एम्बेस्डर थी। एक रिपोर्ट के अनुसार सुब्रत राय सहारा ने एम्बी वैली में 1 लाख करोङ खर्च करें थे।

 

लेकिन ये तब की बात है जब सुब्रत राय सहारा के सितारें बुलंदियो पर थे। लेकिन वक्त कभी एक सा नहीं रहता। सुब्रत का वक्त भी बदला और उस के साथ एम्बी वैली 2006 में पहली बार सुर्खियों में आई। सारे न्यूज चैनल एम्बी वैली के बारे में बात कर रहें थे क्योंकि एम्बी वैली ने 4.82 करोङ का एग्रिकल्चर टैक्स नहीं भरा था। उस के बाद आस पास के गांव वाले भी इस का विरोध करने लगे। उन्हें डर था एम्बी वैली की झिलें और डैम उनके गांव का सारा पानी ले लेंगी। सहारा को एम्बी वैली के घरों के दाम भी घटाने पङे। 8 से 20 करोङ के घर 1 से 10 करोङ पर आ गए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग यहाँ रहने आ सके। लेकिन इसकी मुश्किलें सही मायनें में तब बढी जब सुब्रत राय को जेल जाना पङा। 31 अगस्त 2014, ये वो दिन था जिस ने सहारा ग्रुप को बदल कर रख दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत राय सहारा तथा कंपनी के दो और निर्देशकों को दोषी मांते हुए निवेषकों  को 24000 करोङ का भुगतान करने का ऑर्डर दिया। सुप्रीम कोर्ट में पेश न होने लिए फरवरी 2014 को सुब्रत राय को गिरफ्तार कर लिया गया । तब से एम्बी वैली में भी सब कुछ बदल गया, लोग रहनें नहीं आए घर बिकने बंद हो गए। धीरे-धीरे हालात खराब होते रहे फिर कोर्ट ने 14000 करोङ की भरपाई के लिए इसकी निलामी का आदेश दे दिया। जो एम्बी वैली कभी सपनों का शहर हुआ करती थी आज विरान और सूनसान है जो लोग वहाँ रहते है वे वहाँ से जाना चाहते है।जब तक इसकी निलामी नहीं हो जाती तब तक सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को एम्बी वैली का रख रखाव करने का आदेश दिया है।

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