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खुशी

हाँ नही हूँ खुश..और अब खुश रहने की वजह भी नही मिलती और न खुश रहने का मन करता अब चाहता भी नही हूँ खुश रहना किसी से रोज मिलना, बाते करना अपने बारे में बताना या कुछ जानना समझना .. अब सब कुछ ठीक चल रहा लगता है और ना भी चले तो किसे फर्क पड़ता है कोई नही होता आपके साथ आप सदा अकेले ही होते है किसी को साथ देखते भी हो तो वो महज छलावा है देखना एक वक्त में वो भी नही होंगा फिर जब वो चला जायेगा ना तब घुटोगे अकेले । हर कोई कभी न कभी चला ही जाता है फिर बच जाते हो तो केवल आप और रह जाते हो यादो के साथ खुद को कोसते हुए..तो अभी से मान लीजिए के आपको जीवनपर्यंत अकेले ही रहना है आपके साथ कोई है तो वो आप स्वयं है जो कभी आपको छोड़कर नही जायेगा और ना फिर आपको यादो के साथ फिर घुटना पड़ेगा तो उस स्वयं को औरो के लिए तकलीफ देना बंद कीजिए उस स्वयं को खुश रखिये ख्याल रखिये उसका, उससे प्यार कीजिये वो आपको दुगना प्यार और खुशी देगा वो भी बिना छोड़े..?

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