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काले पैसे की धंधा

कितना न्यारा, कितना प्यारा,
यह है हिंदुस्तान हमारा।
जहाँ बिना रोक -टोक के चलता है,
काले – पैसों की धंधा हमारा,
कुछ कर भी नहीं सकता है निगरानी,
विदेशी बैंक मददगार है ही हमारा।
न आयकर, न हीं सीमा कर की चिंता,
घाटे की भरपाई कर्ज से कर लेता है देश हमारा।
कितना न्यारा, कितना प्यारा,
यह है हिंदुस्तान हमारा।
मीठे -मीठे बात और घोषणाओं की अम्बार लगा दें,
पाप मुक्त कर देती है जनता हमारी।
जनता यदि बात बात समझने लगे तो,
साम्प्रदायिकता की आग लगाकर ।
पहले तेज करके फिर,
बुझाने का पावन कार्य है ही हमारा।
फिर कहना क्या? देखते-ही-देखते ,
राम का दूत मानने ही लगता है जनता हमारा।
यहीं देखो न, देश के कर्ज का दस गुणा सम्पति,
ब्याजमुक्त विदेशी बैंकों में जमा है हमारा।
कितना न्यारा, कितना प्यारा,
हिंदुस्तान की जनता है हमारा।
हिंदुस्तान तो अमेरिका और ब्रिटेन नहीं न,
की यू. बी.एस. दे देगी काले धन की सूचि हमारी।
न आयकर, न हीं सीमा कर की चिंता,
घाटे की भरपाई कर्ज से कर लेता है देश हमारा।
यदि भड़के भी जन आंदोलन तो हमें क्या फर्क,
गुंडों और अधिकारियों का साथ है हीं हमारा।
कितना न्यारा, कितना प्यारा,
यह है हिंदुस्तान हमारा।

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