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कच्चा अमरुद

कच्चा अमरुद

कच्चे अमरुद के पेड़ पर एक गौरैया बैठी थी
मन में उसके गहमा-गहमी थी ।
दिमाग के “आईडिया” से बने “जिओ” के टावर से ,
वो थोड़ी सहमी थी ।
“एयर” उसकी है वो लोगो को कबतक ” टेल” करेगी ;
लोग उसको कब तक “ट्राई” करेंगे ।
अब तो बच्चो के मौत के संदेसे भी मैसेज पर आ जातें हैं
गोरैया का गांव “डिजिटल” हो गया है ।
आज कल पेड़ बहुत जल्दी काट जातें हैं ,पहले समय लगता था ;
सुना है गांव का नया मुखिया बहुत मेहनती है ।
वो तालाब जहा गौरैया जाकर कुछ देर सुस्ता लेती थी ,
आजकल नज़र नहीं आता है , सुना है गौरैया के  गाँव को किसी ने  “गोद”  ले लिया है ।
आखिर गौरैया अपना दर्द किसको बातए ?
राजा सुनेगा नहीं ,विरोधी “समझ नहीं पाएगा”।
अदालतों में पहले से ही कई टूटे घोंसलों के मुक्कदमें चल रहें हैं ।
और गौरैया का अपना “ट्विटर” !
उसको पहले ही कौवो ने घेर रखा है ।

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