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राजनीति के चुनावी मायने ………

जब GST आया तो कोंग्रेस कह रही थी ये हमारी सोच थी और भाजपा इसे अब तक का सबसे सफल कर सुधार का हवाला दे कर बधाईयां लुटने का प्रयास कर रही थी और पीएम साहब राष्ट्रप्रेम की आड़ में इसके नियमो में किसी भी प्रकार की ढील देने से मना कर रहे थे bcz दोनो पार्टियां कही ना कही ये सोच रही थी की ये पहल सकारात्म्क बदलाव लेकर आयेगी और इस मुद्दे पर अपनी राजनैतिक रोटियां आराम से सेंकी जा सकती है …………………लेकिन अब जब दोनो को लगने लगा की gst राजनैतिक मायनो में गलत दिशा में जा रहा है तो दोनो अपने हिसाब से gst को समझाने में लगे ,,कोंग्रेस इसे भयानक तथा घटिया आर्थिक  सुधार बता रही है वही दूसरी तरफ़ सरकार धड़ाधड़ टेक्स हटाने में लग गयी है ( गुजरात में वोट जो पाने है) …………क्या है ये ? ,,…………बस ज्यादा कुछ नही यही की राजनीति में सबकुछ अपने हिसाब से तय होता है ………………इनके केंद्र में लोकतंत्र व भारतीय जनता नही बल्कि अपना स्वार्थतंत्र व वोट बैंक होता है …………

 

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