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बेरोजगार युवाओं को भी लूट रही हैं सरकारें, बना रखा है अपनी कमाई का जरिया। मुहम्मद आदिल

मुहम्मद आदिल

26 दिसम्बर 2017 दिल्ली।

हाथो में डिग्री, आँखों में भविष्य के सुनहरे सपने, कंधो पर परिवार की जिम्मेदारी, काम की तलाश में इधर उधर भटकते बेरोजगार नोजवानो का कोई पुरसाने हाल नहीं।

दो वक़्त की रोटी के लिए रिक्शा चला रहा है तो कोई मजदूरी कोई दर दर की ठोकरे खा रहा है। मगर नोकरी नहीं मिलती, सपने टूट चुके है।

मगर इन बेरोजगारों पर सरकारों को भी दया नहीं आती

उलटे उन्हें लूट कर अपनी तिजोरियां भर रही है राज्य और केंद्र सरकारें, भर्तियां निकलती है, फार्म बेचे जाते है, आवेदन शुल्क लगता है, रजिस्ट्री शुल्क लगता है, शारीरिक परीक्षा, लिखित परीक्षा, इंटरव्यू में भी आने, जाने, खाने पीने, होटल का खर्च होता है।

मगर नोकरी मिलने के नाम पर बस भर्ती रद्द की सुचना मिलती है। आखिर सरकारे बेरोजगारों को रोजगार दे रही है या उन को खुलेआम लूट रही है ये सोचने का विषय है।

10,661 नौजवानों को ज्वाइनिंग का इंतज़ार, मंत्री जी देखिए भी इधर तीन भर्ती परीक्षाओं की दर्दनाक दास्तान, कोई सुनाने वाला भी नहीं है।

2016 में करीब 15 लाख छात्रों ने SSC-CGL का इम्तहान दिया। इसमें से 10,661 लड़के लड़कियों का नौकरी के लिए चयन हुआ। इस परीक्षा को पास करने वाले सीबीआई, आयकर अधिकारी, उत्पाद शुल्क अधिकारी, रेलवे में सेक्शन अफसर के पद पर ज्वाइन करते हैं। 5 अगस्त 2017 को नतीजे भी आ गए मगर इन नौजवानों की ज्वाइनिंग नहीं हो रही है। इन्होंने फेसबुक और ट्विटर पर कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह को भी सूचित किया मगर कइयों को ब्लाक कर दिया गया।

क्या सरकार का कुछ और इरादा है? अगर लंबी प्रक्रिया के बाद दस हज़ार लोग पास करते हैं तो फिर उनकी ज्वाइनिंग में तीन महीने से अधिक की देरी क्यों हो रही है? क्या सरकार में किसी को इन नौजवानों की मानसिक स्थिति का अंदाज़ा नहीं है? ये लगातार व्हाट्स अप संदेश भेज रहे हैं। ये नौजवान भी बीजेपी को ही वोट देने वाले होंगे। आख़िर इन्हें किस बात की सज़ा दी जा रही है। इसकी चर्चा क्यों नहीं है कि दस हज़ार से अधिक नौजवान परीक्षा पास कर महीनों से ज्वाइनिंग का इंतज़ार कर रहे हैं?

इसीलिए नौजवानों से कहता हूं कि इस टीवी से दूर रहो। ये तुम्हारे ख़िलाफ काम करता है। ये तुम्हारे लिए नहीं है। तुम किसी नेता के बने रहो, इसके लिए है।

आज एक और सूचना मिली है। जिसके आधार पर नौकरी के लिए ज्वाइनिंग में हो रही इस देरी के पीछे एक पैटर्न नज़र आ रहा है।

असम से सूचना है कि IBPS RRB ने 10 मार्च को अफसर ग्रेड का नतीजा निकाला। इसके लिए इम्हतानों की एक साल तक प्रक्रिया चली। छात्रों ने प्रीलिम्स दिया, मेन्स दिया और इंटरव्यू भी हुआ। रैकिंग के आधार पर 200 छात्रों ने असम ग्रामीण बैंक का चयन किया। एक साल बाद जब प्रोवेशन पूरा हुआ तो बैंक की तरफ से बताया गया कि इनकी ज़रूरत नहीं है। परीक्षा पास करने के बाद भी ये 200 नौजवान सड़क पर हैं। इन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट में मुकदमा किया है।

रेलवे ने 26 दिसंबर 2015 को गैर टेक्निकल पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी। विज्ञापन 18000 पदों का आया था, जिसे परीक्षा की प्रक्रिया के बीच में घटाकर 14000 कर दिया गया। चार हज़ार छात्र बीच प्रक्रिया से ही बाहर कर दिए गए हैं। उस विज्ञापन को निकले दो साल हो गए हैं। अभी तक इस परीक्षा का मेडिकल नहीं हुआ है।

क्या इन नौजवानों के हक में आवाज़ उठाना, मोदी का विरोध करना है? आपके साथ ऐसा होगा तब आप क्या करेंगे, आरती उतारेंगे या सवाल करेंगे? आवाज़ उठाना विरोध करना ही नहीं होता है। सुनाना भी होता है कि देरी हो रही है। अन्याय हो रहा है। जबकि संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 और 2018 के बीच भारत में बेरोजगारी में मामूली इजाफा हो सकता है और रोजगार सृजन में बाधा आने के संकेत हैं।

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने ‘2017 में वैश्विक रोजगार एवं सामाजिक दृष्टिकोण’ पर कल अपनी रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार रोजगार जरूरतों के कारण आर्थिक विकास पिछड़ता प्रतीत हो रहा है और इसमें पूरे 2017 के दौरान बेरोजगारी बढ़ने तथा सामाजिक असामनता की स्थिति के और बिगड़ने की आशंका जताई गई है। वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में भारत में रोजगार सृजन की गतिविधियों के गति पकड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि इस दौरान धीरे-धीरे बेरोजगारी बढ़ेगी और प्रतिशत के संदर्भ में इसमें गतिहीनता दिखाई देगी।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘आशंका है कि पिछले साल के 1.77 करोड़ बेरोजगारों की तुलना में 2017 में भारत में बेरोजगारों की संख्या 1.78 करोड़ और उसके अगले साल 1.8 करोड़ हो सकती है। प्रतिशत के संदर्भ में 2017-18 में बेरोजगारी दर 3.4 प्रतिशत बनी रहेगी।’ वर्ष 2016 में रोजगार सृजन के संदर्भ में भारत का प्रदर्शन थोड़ा अच्छा था। रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि 2016 में भारत की 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर ने पिछले साल दक्षिण एशिया के लिए 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने में मदद की है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘विनिर्माण विकास ने भारत के हालिया आर्थिक प्रदर्शन को आधार मुहैया कराया है, जो क्षेत्र के जिंस निर्यातकों के लिए अतिरिक्त मांग बढ़ाने में मदद कर सकता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक बेरोजगारी दर और स्तर अल्पकालिक तौर पर उच्च बने रह सकते हैं क्योंकि वैश्विक श्रम बल में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। विशेषकर वैश्विक बेरोजगारी दर में 2016 के 5.7 प्रतिशत की तुलना में 2017 में 5.8 प्रतिशत की मामूली बढ़त की संभावना है।

आईएलओ के महानिदेशक गाइ राइडर ने कहा, ‘इस वक्त हमलोग वैश्विक अर्थव्यवस्था के कारण उत्पन्न क्षति एवं सामाजिक संकट में सुधार लाने और हर साल श्रम बाजार में आने वाले लाखों नवआगंतुकों के लिए गुणवत्तापूर्ण नौकरियों के निर्माण की दोहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं।’ आईएलओ के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के मुख्य लेखक स्टीवेन टॉबिन ने कहा, ‘उभरते देशों में हर दो श्रमिकों में से एक जबकि विकासशील देशों में हर पांच में से चार श्रमिकों को रोजगार की बेहतर स्थितियों की आवश्यकता है।’ इस आंकड़े में दक्षिण एशिया एवं उप-सहारा अफ्रीका में और अधिक गिरावट आने का खतरा है। इसके अलावा, विकसित देशों में बेरोजगारी में भी गिरावट आने की संभावना है और यह दर 2016 के 6.3 प्रतिशत से घटकर 6.2 प्रतिशत तक हो जाने की संभावना है।

लेखक नेचर वाच में उप संपादक है।

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