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“तीन तलाक :बुराई का अंत लेकिन कितना असरदार “
हम जानते हैं कि बहुचर्चित तीन तलाक को लेकर केन्द्र सरकार ने एक कानूनी बिल लोकसभा में पारित कर दिया है.. लेकिन क्या यह बुराई का अंत होगा कुछ कहना जल्दबाजी होगी…
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक को अवैध करार दिया था.लेकिन इसके बाद भी लगभग 100 मामले सामने आये. सबसे ज्यादा यूपी से मामले आये….
पाकिस्तान समेत लगभग 22 देशों में तीन तलाक पर बैन है… सबसे पहले मिस्र में 1929 में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया गया ….
हंगामा क्यूं बरपा : यह चर्चित मामला इसलिए है कि मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य समुदायों में तलाक सिर्फ कानूनी तरीके से दिया जा सकता है. लेकिन मुस्लिम कम्यूनिटी में यह मौखिक रूप से या अन्य संचार माध्यम के द्वारा दिया जाता रहां हैं… जो कि मुस्लिम महिलाओं के द्वारा विरोध का कारण बना.. ऐसा नहीं है कि इस तीन तलाक पर कानून की मांग अभी उठी हो.. इसके लिए सबसे पहले “शाह बानो ने 1978 में इसके लिए कानूनी लड़ाई की शुरुआत की थी 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने इनके हक में फैसला किया पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस निर्णय को पलट दिया था .. इसके बाद और भी कई महिलाओं ने जैसे फरहा फैज , रिजवाना, रजिया ने लम्बी लड़ाई लडी है… परिणाम सामने है…
लेकिन क्या कानून बना देने भर से कोई बुराई मिटायी जा सकती हैं… हमारे देश में अनेक कानून मौजूद हैं महिलाओं के लिए.. लेकिन इनकी हालात बहुत खराब है… तलाक सिर्फ मुस्लिम के लिए समस्या नहीं है अन्य समुदाय के आंकडे भी पेश कर रहां हूं… आप भी देखिए
2011 की जनसंख्या के लिहाज से तलाक
का प्रतिशत
बिना तलाक लिए अलग रहने वाले :ईसाई समुदाय में =9.4% तलाक का प्रतिशत =3.9%
बौद्ध समुदाय में बिना तलाक लिए अलग रहने वाले का प्रतिशत 9.5% एव तलाक का प्रतिशत =4.3%
जैन समुदाय : बिना तलाक अलग रहने वाले का प्रतिशत =3.1% तलाक का प्रतिशत =2.8%
मुस्लिम समुदाय में बिना तलाक लिए अलग रहने वाले का प्रतिशत =4.8% एव तलाक का प्रतिशत =3.4%
हिन्दू समुदाय में बिना तलाक लिए अलग रहने वाले का प्रतिशत =5.5% एंव तलाक का प्रतिशत =1.8%
सिख समुदाय में यह आंकड़ा 4.2% एव तलाक का प्रतिशत 2.8% हैं… यह सभी समुदाय के लिए चिंता का विषय है… परन्तु मुस्लिम समुदाय के अपने कानून कायदे के कारण शोषित वर्ग यह ही है… मुस्लिम महिलाओं ने निश्चित ही खुशी जाहिर की होगी… लेकिन ये तो महज शुरूआत है….
बिल में क्या है :1: इस बिल के अनुसार बोल कर या अन्य मैसेज.फोन कॉल द्वारा दिया गया तलाक अवैध माना जायेगा….
2.एक साथ तीन तलाक देने वाले को 3 साल की जेल जुर्माना देना पड सकता है…
3.अगर आरोप सही साबित होते है तो पत्नी एवं बच्चो के लिए गुजारा भत्ता देना पड़ेगा…
उम्मीद हैं कि यह कानून बन जाने के बाद कितने सार्थक परिणाम सामने आते हैं… बदलाव समय की मांग हैं… लेकिन सबसे जरूरी है कि आप महिलाओं के प्रति अपना दृष्टिकोण सही रखे तो बेहतर परिणाम बिना कानून के मिल सकते हैं….
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