उत्तर प्रदेश में नगर निकाय की 16 में से 14 सीट भाजपा ने जीत ली हैं। 2012 में यूपी नगर निकाय की कुल 12 सीटें थीं। इसमें से भाजपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज कर उत्तर प्रदेश के निचले पायदान पर अपने अस्तित्व की छाप छोड़ दी थी। ठीक वैसा ही अब यानी 1 दिसंबर 2017 को हुआ है। 16 सीटों में से 14 सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया है। नगर निकाय चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लिटमस टेस्ट माना जा रहा था।
अब जीत दर्ज कर ये तो साफ है कि सीएम योगी आदित्यनाथ में कुछ तो है खास, खास नहीं तो इतना कि उनके काम को जनता ने पसंद किया है, भले ही काम को नहीं तो व्यक्तित्व को। जनाधार या जीत के आंकड़े को झुठला तो कोई सकता नहीं। अब तो भइय्या योगी आदित्यनाथ ने अपना गोरखपुरिया अंदाज दिखा दिया।
कांग्रेस की तो उत्तर प्रदेश में इतनी बुरी हालत है कि एक भी सीट हाथ नहीं लगी। वहीं बसपा ने अपनी वापसी की थोड़ी सी झलक दिखाई है। बसपा ने दो सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मार्च 2017 में मुख्यमंत्री पद पर थे। पद संभालने के बाद कहा जा रहा था कि योगी आदित्यनाथ से उत्तर प्रदेश की जनता खुश नहीं है। रोमियो को पकड़ने के लिए बनाई गई रोमियो स्क्वायड हो या गोरखपुर हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सप्लाई का मुद्दा। इन मुद्दों ने योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्रीत्व पर संशय ठहरा दिया था। अन्य पार्टियां या अन्य राज्य नहीं बल्कि खुद भाजपा भी नगर निकाय चुनाव को बहुत करीब से देखना चाहती होगी। क्योंकि इतना हो हल्ला होने के बाद नगर निकाय चुनाव ही भाजपा और योगी आदित्यनाथ के नए साल को और रोशन कर सकते थे। ऐसे में इस लिटमस टेस्ट में योगी आदित्यनाथ पास हो गए हैं।
ग्रीन कार्ड हो सकते हैं नगर निकाय चुनाव
देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, अटल बिहारी बाजपेयी जैसे महानतम और बड़े राजनीतिज्ञों की केंद्र राजनीति का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर गुजरा था। देश में सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश ने ही दिए। योगी अदित्यनाथ संभावित प्रधानमंत्री हैं। भले ही 2019 के या फिर 2024।
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