उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के शरीर में अंडाणुओं की संख्या भी घटती जाती है और वे पहले जितने स्वस्थ भी नहीं
रहते. ऐसे में एग्स फ्रीजिंग तकनीक कैरियर को अधिक प्राथमिकता देनेवाली तथा बांझपन झेल रही महिलाओं के लिए
मेडिकल साइंस के एक वरदान की तरह है.
हाल ही में पूर्व मिस इंडिया डायना हेडन के दोबारा से इसी तकनीक की सहायता से प्रेग्नेंट होने की खबर ने सबको चौंका दिया. पहले से भी डायना के दो जुड़वा बच्चे हैं, जो वर्ष 2016 में इसी तकनीक से पैदा हुए हैं.खबरों के अनुसार मां बनने से आठ साल पहले उन्होंने इन एग्स को हॉस्पिटल में फ्रीज करवाया था. इसे मेडिकल विज्ञान का एक चमत्कार माना जा रहा है. डायना की वर्तमान उम्र 44 साल है. उन्होंने चार वर्ष पूर्व यानी कि 40 साल की उम्र में अमेरिकी म्यूजिशियन कॉलिन डिक से शादी की थी. अधिक उम्र में बच्चों को जन्म देने की ख्वाहिश रखनेवाली महिलाओं के लिए एग फ्रीजिंग ‘इंश्योरेंस पॉलिसी’ की तरह है. एक दशक पहले एग्स फ्रीज करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. मेडिकल साइंस ने इस असंभव सी लगनेवाली तकनीक को संभव कर दिखाया है. यह प्रक्रिया माहवारी के 21वें दिन से जीएनआरएच एनालॉग के साथ शुरू होती है और माहवारी आने तक जारी रहती है. इसके बाद गोनेडोट्रॉफिन हॉर्मोन की बड़ी खुराक दी जाती है, जो ओवरी को इस तरह सक्रिय कर देती है कि वह अधिक संख्या में अंडाणु पैदा कर सके. फिर मासिक चक्र के दूसरे दिन से लेकर 10-12 दिन तक रोजाना इंजेक्शन दिये जाते हैं. अंडाणु के एक खास आकार में आने के बाद उसे पूर्ण परिपक्व अवस्था में लाने के लिए ह्यूमन क्रॉनिक गोनेडोट्रॉफिन का इंजेक्शन दिया जाता है. 30 घंटे बाद महिला को बेहोश करके उसकी ओवरी से इन अंडाणुओं को निकाल लिया जाता है. परिपक्वता के आधार पर अच्छे अंडाणुओं को छांट कर लिक्विड नाइट्रोजन में रख दिया जाता है और फिर उसे -196 सेंटीग्रेट (-320 फॉरेनहाइट) पर फ्रीज किया जाता है. इस तरह से फ्रीज किये गये एग्स के द्वारा आइवीएफ टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके गर्भधारण करवाया जाता है. एग्स की गुणवत्ता की जांच ट्रांस वेजाइनल अल्ट्रासाउंड से की जाती है. वैसे तो एग फ्रीज करने की कई तकनीकें हैं, लेकिन सबसे नवीनतम तकनीक ”विट्रीफिकेशन ऑफ ओसाइट्स टेक्नोलॉजी” है. इस विधि से फ्रीज किये गये एग से गर्भधारण के रिजल्ट अच्छे आते हैं.इस तरह से फ्रीज किये गये एग्स के द्वारा आइवीएफ
टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके गर्भधारण करवाया जाता है. एग्स की गुणवत्ता की जांच ट्रांस वेजाइनल अल्ट्रासाउंड से की जाती
है. वैसे तो एग फ्रीज करने की कई तकनीकें हैं, लेकिन सबसे नवीनतम तकनीक ”विट्रीफिकेशन ऑफ ओसाइट्स टेक्नोलॉजी” है. इस विधि से फ्रीज किये गये एग से गर्भधारण के रिजल्ट अच्छे आते हैं.
विदेशी कंपनियां दे रही एग्स फ्रीजिंग का प्रस्ताव
एप्पल और फेसबुक जैसे बड़ी कंपनियों ने अपने यहां कार्यरत महिला कर्मचारियों के सामने मां बनने का सपना टालने का प्रस्ताव रखा है. वे इसके बदले में उन कर्मचारियों को अपने अंडाणु फ्रीज करवाने के लिए लाखों रुपये दे रहीं है. अभी तक ये कंपनियां अपने कर्मचारियों को मुफ्त लंच, ड्राइ क्लीनिंग और मसाज जैसी सुविधाएं दे रहीं थीं. अब ये अपनी महिला कर्मचारियों को फ्रोजन एग्स की सुविधा भी देगीं. इस लुभावने ऑफर के तरत एप्पल और फेसबुक कर्मचारियों को इंफर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स, स्पर्म डोनर्स और एग्स फ्रीज करने के लिए 20000 डॉलर (करीब 12 लाख भारतीय रुपये) दे रही हैं. कंपनियों के मुताबिक ऐसा करने से महिलाएं अपने कैरियर पर ठीक से फोकस कर पायेंगी और वक्त बीतने के बाद भी आसानी से मां बन पायेंगी.
कुछ अहम सवाल भी हैं
एग फ्रीजिंग तकनीक को महिलाओं के लिए मेडिकल साइंस का वरदान माना जा रहा है, लेकिन यह कुछ अहम सवाल भी
खड़े करता है. पहला सवाल, जिस तरह से फ्रीज में रखा एक दिन पुराना खाना पौष्टिक नहीं रहता, ठीक उसी तरह सुरक्षित अंडाणु कितना स्वस्थ रह सकेगा? दूसरा सवाल कि क्या 40 से 45 की उम्र तक महिलाए रिटायर होकर पूरी तरह बच्चों के लिए समय निकाल पायेंगी? ऑफिस और कैरियर में लंबा वक्त गुजारने और चीजों को अपने हिसाब से नियंत्रित करने की आदत का आदी होने के बाद क्या वे अचानक उसे पूरी तरह छोड़ने के लिए मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार होगीं? तीसरा सवाल, पहली नजर में तो ये कंपनियां के लड़कियों को राहत देतीं और उनके मातृत्व पक्ष के लिए बड़ी चिंतित नजर आती हों, लेकिन इस तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि क्या उनके लिए किसी भी लड़की के मातृत्व और कैरियर को एक साथ लेकर चलना संभव नहीं है? चौथा सवाल, अपने अंडाणुओं को फ्रीज किये बिना भी न सिर्फ भारतीय समाज में, बल्कि पूरी दुनिया में लड़कियों के मां बनने की उम्र में भारी बदलाव हुआ है. पिछली पीढ़ी की लड़कियां 15-20 साल की उम्र में मां बन जाती थीं, वहीं आज लड़कियां 25 से 30 की उम्र में शादी ही कर रही हैं. ऐसे में गर्भधारण की इस प्राकृतिक प्रक्रिया को और भी लंबे समय के लिए टाला जाना शारीरिक स्वास्थ के दृष्टिकोण कितना सही होगा?
इनके अलावा, एग फ्रीजिंग तकनीक से जुड़ी कुछ जरूरी बातें : अंडाणु फ्रीज करने की सबसे सही उम्र 20 से 30 (अमूमन 35 से पहले) होती है. उस पर भी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि फ्रीज्ड किये गये अंडों से सफलतापूर्वक गर्भधारण होगा ही. यह एक लंबी और कष्टकारी प्रक्रिया है, जिसमें अमूमन 15 दिन से लेकर एक महीने का वक्त लग सकता है. इसमें 50 हजार रुपये महीने से लेकर लाख रुपये तक का खर्च आता है. आगे अंडों को फ्रीज करवाने की अवधि के अनुसार फीस भी बढ़ती जाती है. भारत में इस तकनीक का इस्तेमाल करनेवाले एक्सपर्ट डॉक्टरों और हॉस्पिटल की संख्या सीमित है और विदेशों में जाकर इलाज करवाना हर किसी के वश की बात नहीं.