गौरवान्वित महसूस करने का बिहारियों का एक ही जरिया है UPSC | चाहत के साथ लक्ष्य बनाकर चलने वाले बहुत कम हैं | ज़्यादातर वो लोग हैं जिनके पिताजी या दादाजी का सपना था कि वो बने | वह सपना भी हमारे बिहार में सिर्फ अखबार के पन्नो में अपना नाम छपवाकर दिल में खुद से ही गदगद महसूस करने के लिए होता है | दरअसल ये लोग पढ़े लिखे तो हैं, पर एक खास किस्म की मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं, जिसे अंग्रेज़ी में Obsession कहते हैं | बिहार में जब जनता को जागरूक करने के लिए कुछ गलतियों को दर्शाया जाता है तब समाज के कुछ बुद्धिजीवी लोग एकमात्र दलील देते हैं “आज भी बिहार सबसे ज्यादा IAS, IPS पैदा करता है “| मैं ये कहता हूँ कि और कुछ करने की सोचता ही नहीं, फॉर्म ही उसका भरेगा तो और क्या बनेगा ? मैं उस पद की बहुत इज्ज़त करता हूँ पर ज़रूरी नहीं कि सबके सब वही बने | अखबार के पन्नो पर अप्रैल से जून /जुलाई तक के महीने में सिर्फ IIT JEE, UPSC, NEET और बोर्ड परीक्षा बस इसके अलावा ना ही अखबार वालों को कुछ सूझता है और न ही जनता को | “XYZ के बेटे/पोते /नाती/नातिन/पोती ABC ने बिहार में लहराया परचम”, कुछ ऐसा ही छपता है हर बार | बस इसके लिए लोग competition में आ जाते हैं | आज भारत के बाकी हिस्से में सिर्फ समाचार मात्र के लिए अखबारों में छपता है कि रिजल्ट आ गया और पहला स्थान किसी ABC को मिला | पर हमारे बिहार में जैसे कोई समाचार उस दिन बनता ही नहीं | इंजीनियरिंग , मेडिकल और UPSC के रिजल्ट की खबर समाचार के तौर पर नहीं बल्कि ADVERTISEMENT (प्रचार ) के तौर पर छपती है | बिहार के विकास के लिए SERVICE BASED (सेवा आधारित ) काम से कहीं ज्यादा PROJECT/PRODUCT BASED काम की ज़रूरत है | बहुत ज़रूरी है कि इस मानसिकता से बाहर निकला जाये कि सबसे पहले इंजीनियरिंग/मेडिकल कर लो ताकि समाज में इज्ज़त बनी रहे और फिर दूसरे पेशे में लग जाना | एक ही क्षेत्र में भीड़ लगाने से विकास नहीं होने वाला, विकास के लिए हर क्षेत्र का बराबर से बढना ज़रूरी है | आज बाकी प्रदेश कहीं न कहीं बिहार से इसीलिए आगे हैं | इस सच को स्वीकार कर अगर लोग हर क्षेत्र में बढने की कोशिश करेंगे तो शायद बहुत जल्द ही बिहार का चेहरा बदला हुआ नज़र आएगा | सबसे पहले सोच बदलने की ज़रूरत है | सिर्फ 4-5 बुनियादी सुविधाओं (वो भी कामचलाऊ ) को ले आने से विकास नहीं होता |