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Desh aur Deepika

वो जो इतिहास के पन्नो मे कही दब कर भुलाई जा चुकी थी उसकी इज़्ज़त बचाने कि किमत लगाई जा रही है,
वो जो अपना दामन फैलाये इज़्ज़त की भीख मांग रही है उस बेबस को ज़माने से बस रुस्वाई मिल रही है।

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