भारतीय लोकतंत्र मे सोशल नेटवर्क के जितने लाभ है उससे कहीं गुना अधिक नुकसान है। देश की साम्प्रदायिकता के लिए खतरा पैदा करने के लिए जिम्मेदार है सोशल मीडिया। राजनीति को शर्मिंदा और राजनीति का दिन प्रतिदिन गिरता स्तर इसी मिडिया की देन है। सोशल मिडिया देश को धोखा दे रहा है देश की नींव को खोखला कर देश को लोकतंत्र को धराशायी करने के लिए प्रयत्नशील है, शिक्षित वर्ग मे अव्यावहारिक और अनैतिक गुणों का भण्डारण भी इसी मिडिया की बदौलत ही संभव हुआ है और वर्तमान मे हावी हो गया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दायरा तय करना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा देश मे असहिष्णुता और विकृतियों के गम्भीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं मेरी प्रशासन और सरकार से गुजारिश है कि अपना देश संगठित रहे और लोकतंत्र की मर्यादा बनी रहे क्योंकि भारत देश विश्व गुरु रहा है। सोशल मीडिया पर हो रहे बदलाव और आये हो रही फिजूल की बयानबाजी को तत्काल प्रभाव से रोकना होगा अन्यथा ये समय-समय पर भारत को विघटित और विकृत करते रहेंगे, समय रहते संभलने मे देश एकता और व्यवस्था के लिए लाभदायक है। समय निकल जाने के बाद अगर आप कोई कार्रवाई करते हैं ये आपकी कमजोरी और आपकी देश के प्रति उदासीनता होगी और मात्र देश से छलावा होगा। सोशल मीडिया ने राजनीति को बर्बाद कर दिया है और हमारे नेताओं को देश के प्रति लापरवाह कर दिया है। आपसी वैमनस्य की स्थिति और देश मे साम्प्रदायिक जहर घोलने का अनुचित और गैरजिम्मेदार कार्य हमारे राजनेता कर रहे हैं जो कि कानून का उल्लंघन है और इन्हें रोकना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा देश की भावनाओं से खिलवाड़ होगा। वर्तमान समय मे गुजरात के चुनावों ने देश की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया है शर्म है ऐसे राजनेताओं पर जिन्होने भारत की आत्मा को चोट पहुंचाई है। भारतीय चुनाव आयोग को ऐसे बडबोले नेताओं पर बैन लगा देना चाहिए जो देश की परवाह किये बिना अपनी जीत को सर्वोपरि माने। देश मे राजनीति असभ्य रुप मे प्रदर्शन कर रही है जिसे रोकना होगा।