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विद्या बालन मामला: देश सेवा की आङ में कुछ भी कह देना कितना सही?

विद्या के बयान के जवाब में एक सैनिक की बेतुकी/अभद्र भाषा सुनी होगी आपने. यदि नहीं सुनी होगी तो यू ट्यूब पर सुनिए कि किस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया गया है. सैनिक अभिनेत्री को वेश्या के तुल्य बता रहा है. यह केवल विद्या के लिए नहीं बल्कि पूरे अभिनेत्री पर उंगली उठाई जा रही है. अभिनेत्री के अधखुले कपड़े को देह व्यापार के साथ बताया जा रहा है. टांग से लेकर गाल-बाल पर अश्लील बातें कही जा रही है. और भी बहुत कुछ है…

हमारे सैनिकों की मानसिकता ऐसी है पता नहीं थी. वैसे उस सैनिक को कहना चाहूंगा कि पैसे की बात क्या कर रहे हो साहेब, कईयों की इज्ज़त लूट बैठे हो! जो कि कई बार सिध्द हो चुके हैं, आरोप की बात ही छोड़ दो. वेश्या हो या कोई और उसके सम्मान के लिए उसका महिला होना काफी है. आपकी देश सेवा महान है लेकिन देश सेवा की आङ में कुछ भी कह देना, अत्याचार करने जैसा ही है जिसकी इजाजत संविधान नहीं देता है.

मान लेते हैं कि विद्या बालन ने पब्लिसिटी के लिए बयान दिया. इतना तो कहा जा सकता है कि यह एक कथित आरोप है जब तक कि साबित नही हो जाता है. लेकिन आपकी कविता से तो जाहिलपना का बोध हो रहा है. साथ ही इस कविता में तिरंगा का उपयोग कर उसकी गरिमा भी गिरा रहे हो! मेरे देश के सैनिक की भाषा ऐसी नहीं हो सकती! सैनिकों के प्रति मेरा पूरा सम्मान है लेकिन इस तरह की हरकत मेरे जैसा जागरूक नागरिक नहीं झेल सकता है. विद्या बालन पैसे के लिए जो करती है वह उनका पेशा है. वह आजाद नारी है, लाखों लङकियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. रही बात सैनिकों की तो उनसे अनुरोध है कि वह पब्लिसिटी के लिए ऐसे कदम नहीं उठाए वरना सैनिक व प्रदर्शन करने वालों में फर्क क्या रह जाएगा. खुद ही सोच कर बताएं कि किसी के आरोप के बदले इस तरह की भाषा शोभा देती है क्या?

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