भारत एक संस्कृतियो का देश है जहाँ एक और लोग राष्ट्र माता’गाय’ को राष्ट्रीय पशु घोषित करने में लगे हुये हैं वहीं दुसरी और इनका वंश खतरे में नजर आ रहा है आये दिन हमारी गौ माता सड़को पर दुर्घटना का शिकार हो रही है गाँव व् शहरो में उन्है रूकने के कोई उचित स्थान नही है लोगो द्वारा उनका दूध निकालकर उन्है उनके ही हाल में छोड़ देते हैं क्या यही मानसिकता राष्ट्र माता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर सकती है ?
वन अधिकारी गायो को जंगलो मे घुसने नही देते हैं और तो और जब कोई व्यक्ती जंगलो मे गायो को लेकर जाती है तो वन अधिकारी उन्है धमका कर पीटकर भगा देते हैं और गाँव की और मजबुरन ही गाँयो को लौटना पड़ता है जिस्से यहाँ के किसानो को वेहद नुकसान हो रहा है गाँयो के झुण्ड के झुण्ड उनकी खड़ी फसलो को नष्ट कर देते हैं गाँयो का उचित प्रबंध न होने से यहाँ के किसानो में कृषी कार्य करने में बड़ी बाधा उत्पन्न होती है प्रदेश के बड़े बड़े नेता और कई संगठन गाँयो के विषय में बड़ी बड़ी डींगे मारते हैं लेकिन वह गाँयो को कितना संरक्षण दिला पाये है इस संबंध में गाँयो की दशा अत्यंत दयनिय है
समय की मांग ने गाय को एक आवारा पशु बना दिया है !चौराहो पर गाँयो के झुण्ड के झुण्ड देखे जा सकते है जिस्से यात्रियो को यातायात मे काफी परेशानीयो का सामना करना पड़ रहा है आये दिन बड़ती सड़क दुर्घटनाओ का प्रमुख कारण गाँयो का अचानक सामने आ जाना ही होता है!
भारती संसकृती के लोग पशुओ में गाँय की जब पुजा करते हैं तो गाँयो को संरक्षण क्यों नही करते हर घर में एक गाँय रखना अनिवर्य होना चाहिये नही तो धीरे धीरे यह प्रजाति नष्ट के गर्त में चली जायेगी!
लोगो ने गाँयो पर बोलना एक राजनितिक विषय बना लिया है लेकिन जो लोग एेसा बोलते क्या वह वास्तव में गाँय हितेषी हैं अगर है तो उनके लिये गाँव गाँव जाकर उनके रहने तथा चरने के लिये चारागाह संरक्षित जगह बनवाएँ तभी हमारी राष्ट्र माता गौवंश का अस्तित्व निरंतर बड़ सकता है !