26/11 की बरसी के दो दिन पूर्व आतंकी सरगना हाफिज सईद को रिहा करने का मकसद हमारे जले पर नमक छिड़कना जैसा है। जिस आतंकी पर अमेरिका ने 2012 में एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा हो, वो आतंकी पांच साल से यू ही खुला घूम रहा है। मुम्बई हमले का मास्टरमाइंड , जिसकी वजह से 2008 में 160 से अधिक लोगो ने अपनी जान गवाई, ऐसे आतंकी की गिरफ्तारी का ड्रामा सातवीं बार हो चुका है। इतने दिनों से उसे गिरफ्तार भी नही किया वल्कि नजरबंद करने का स्वांग रचा गया और सबूत का अभाव का बहाना बना कर छोड़ दिया गया। सच्चाई ये है कि हाफिज पाकिस्तान का लाडला है और वो उसके बुते भारत से छन्द युद्ध करने की कोशिश में लगा रहता है।
हाफिज की जमानत पर अमेरिका की फटकार कोई खास मायने नही रखता, इसके दो कारण है पहले अमेरिका इससे पहले भी बहुत बार काफी कुछ बोल चुका है लेकिन पाकिस्तान को इसका कोई फर्क नही पड़ा दूसरी कारण है अमेरिका के कहने के दाँत कुछ ओर और दिखने के कुछ और ही है। पाकिस्तान में आतंक को उत्पन्न करने में परोक्ष और अपरोक्ष रूप से कही ना कही अमेरिका भी जिम्मेदार है। अमेरिका आतंक के नाम पर बस खानापूर्ति ही करते आया है, अमेरिका अपने स्वार्थ के मुताबिक ही करवाई या प्रतिबंध लगता है। एक तरफ वो पाकिस्तान में डपट लगता है दूसरी तरफ एक मोटी रकम आर्थिक सहायता को देता है, जबकि वो अचे से जनता है कि पाकिस्तान ये धन भारत के खिलाफ गतिविधियों में लगाएगा न कि आतंकियों को समाप्त करने के लिए।
हाफिज सईद को जनवरी 2017 के आखिर में जब नजबन्द किया गया था, उस वक़्त पाकिस्तान के प्रतिरक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने टिप्पणी की थी कि, ‘यह शख्स समाज के लिए ख़तरनाक है’। फिर प्रश्न उठता है कि अचानक से हाफिज समाज के लिए लाभदायक क्यों हो गया ? तो कारण ये की कश्मीर में भारतीय सेना की ऑपरेशन ऑलआउट ने आतंकियों की कमर तोड़ के रख दी है जिससे पाकिस्तान बौखला उठा है, साथ ही साथ अफगानिस्तान में बढ़ती भारत की भूमिका ने भी पाकिस्तान के मथे चिंता की लकीरे गहरा दी है। संकट की इस घड़ी में पाकिस्तान को हाफिज याद आया है जिसके कंधे पर बंदूक रख पाकिस्तान चले सके। इसलिए भारत को हाफिज सईद के रिहाई के मुद्दे को जोरदार तरीके से विश्व पटल पे उठाना चाहिए अपितु खुफिया तंत्र को भी सचेत रहना चाहिए, ताकि उसका मुँह तजोड जवाब दे सके।
हाफिज की जमानत पर अमेरिका की फटकार कोई खास मायने नही रखता, इसके दो कारण है पहले अमेरिका इससे पहले भी बहुत बार काफी कुछ बोल चुका है लेकिन पाकिस्तान को इसका कोई फर्क नही पड़ा दूसरी कारण है अमेरिका के कहने के दाँत कुछ ओर और दिखने के कुछ और ही है। पाकिस्तान में आतंक को उत्पन्न करने में परोक्ष और अपरोक्ष रूप से कही ना कही अमेरिका भी जिम्मेदार है। अमेरिका आतंक के नाम पर बस खानापूर्ति ही करते आया है, अमेरिका अपने स्वार्थ के मुताबिक ही करवाई या प्रतिबंध लगता है। एक तरफ वो पाकिस्तान में डपट लगता है दूसरी तरफ एक मोटी रकम आर्थिक सहायता को देता है, जबकि वो अचे से जनता है कि पाकिस्तान ये धन भारत के खिलाफ गतिविधियों में लगाएगा न कि आतंकियों को समाप्त करने के लिए।
हाफिज सईद को जनवरी 2017 के आखिर में जब नजबन्द किया गया था, उस वक़्त पाकिस्तान के प्रतिरक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने टिप्पणी की थी कि, ‘यह शख्स समाज के लिए ख़तरनाक है’। फिर प्रश्न उठता है कि अचानक से हाफिज समाज के लिए लाभदायक क्यों हो गया ? तो कारण ये की कश्मीर में भारतीय सेना की ऑपरेशन ऑलआउट ने आतंकियों की कमर तोड़ के रख दी है जिससे पाकिस्तान बौखला उठा है, साथ ही साथ अफगानिस्तान में बढ़ती भारत की भूमिका ने भी पाकिस्तान के मथे चिंता की लकीरे गहरा दी है। संकट की इस घड़ी में पाकिस्तान को हाफिज याद आया है जिसके कंधे पर बंदूक रख पाकिस्तान चले सके। इसलिए भारत को हाफिज सईद के रिहाई के मुद्दे को जोरदार तरीके से विश्व पटल पे उठाना चाहिए अपितु खुफिया तंत्र को भी सचेत रहना चाहिए, ताकि उसका मुँह तजोड जवाब दे सके।
संदीप सुमन
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