Site icon Youth Ki Awaaz

गिरते मूल्य …हाशिए पर मानवता

जब मैं छोटी थी तब मेरे पापा एक कहानी सुनाते थे रंगा और बिल्ला का मुझे नहीं पता की वो कितनी सच और कितनी जूठ थी मगर वो कहानी अक्सर हमें डराने के काम आती थी | मुझे जितना याद आता है वो बच्चों की हत्या और जघन्य अपराध में लिप्त थे | जब भी मैंने दिल्ली जाने की शिकायत पापा से की तब तब वो मुझे रंगा बिल्ला के वहाँ होने की बात कहते थे | तब मैंने इस बात पर कभी ध्यान नहीं दिया | आज अखबार पढ़ते पढ़ते फिर अचानक से याद आया वो सारा मंजर | आज की एक खबर थी की “पड़ोसन ने बच्चों के झगड़े पर पड़ोसी के 2  बच्चे को बोरी में डाल कर जमीं पर पटक पटक के मार डाला ” सोच कर ही सिहरन हुई | फिर एक दम से ख्याल आया दीदी की बेटी का मेरी लाड़ली वंशिका का | एकदम से लगा था की जैसे मेरा खुद का चहेरा सफ़ेद पड़ गया है | मानव और दानव के बीच की जरा सी खाई होती है मानव के बाएँ तरफ अगर दानवता की लाइन है तो दाएँ तरफ  भगवान बनने की | क्यों इन्शान बाएँ तरफ ही अग्रसर होता है | माँ को तो ममता का देवी का रूप कहते हैं | ये कैसी मानवता है की अपने बच्चे के लिए उमड़ पड़ती है और किसी और के बच्चे के लिए वो ज़रा सी भी महसूस नहीं होती | क्या वो मंजर रहा होगा जब उस बच्चे की जान गई होगी | क्या उस माँ पर गुजरी होगी ? नहीं अंदाजा लगा सकते हम | इतना जहर आया कहाँ से इन्शान के अंदर की वो एक जीते जागते हँसते बोलते इन्शान को खिलौना समझने की भूल कर जाता है | और हैवानियत को इस कदर अपने उपर हावी होने देता है | जानवर भी प्यार महोब्बत को समझते हैं | हम इन्शान तो उन से भी गिरे हुए है जो हर इमोशन जानते है महसूस करते हैं,जीते हैं मगर फिर रहते तो निरे हैवान ही हैं | और कमाल ये भी था की जब उस बच्चे की माँ पूछने आई तो उस पड़ोसन के बच्चे ने ही बताया की छोटू तो उधर बोरी में कोने में पड़ा है | क्या कल दे रहें है हम समाज को ? जिन्दा रखिये अपने इमोशन को मत मरने दीजिए| इन्शान है आप ,एक गुण ज्यादा मिला है आपको सोचने समझने का बोल कर अपनी भावनाएं व्यक्त करने का राक्षस मत बनिए | जिन्दगी अनमोल है और ममता भी ऐसे मिटटी में मत मिलिए | ज्यादा दूर ना ही जाएँ तो रियान इंटरनेशनल स्कूल का केस भी आपको याद होगा ना लोग कैसे अपने बस फायदे के लिए एक जिन्दगी की लील देते हैं | केस का फैसला क्या होगा  क्या नहीं ये मैं नहीं जानती मगर मुझे इतना पता है की प्रधुमन कम से कम इस पुरे केस में किसी भी एंगल से कुसूरवार नहीं है तो वो बेदर्दी से उसका ये जहां छोड़ कर जाना ये बता रहा है मानवता खत्म होरही है जैसे जैसे वातारण का टेम्परेचर बढ़ रहा है वैसे हैवानियत भी अपने चरम पर जा रही है और इन्सान बचे कहाँ हैं हम zombies होगए हैं | सम्भाल लीजिये अभी भी वक्त है|

 

http://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-murderous-woman-cross-the-limit-17093597.html

Exit mobile version