एक खत पापा के नाम – वापिस आ जाओ न पापा
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“ दिन आता है हर रोज , और चला जाता है चुपचाप ! रात गहराती है कभी अंधेरों में तो कभी उदासियों में पर , वह कभी नहीं थमती ! समय बीतता है रुकता कभी नहीं ! रुकती हैं तो सिर्फ़ यादें … जिनमें थमी है कुछ कहानियां ! कुछ जिंदगियां ही कहानियां बनती है ! जो हमेशा रहती है हमारे जेहन में , स्म्रतियों के पन्नों पर , हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में उनके निशान होते है ! थोडी धुंधली और थोडी साफ सी दिखती है कुछ सूरतें , यादों के कैनवास पर , और ठहर जाती है निगाहें उस वक्त पर , जो गुजर गया है पर जिसके होनें से कहीं न कहीं आज भी हमारा वास्ता है ! भागती दौडती जिंदगी के साथ आंगे बढते हुऐ , हमारी नजर अक्सर पीछे छुट चुकी यादों की गलियों में भटक जाती है ! कई बार ऐसा लगता है कि कुछ एक बीत चुके हादसों का पूरा पीरियड गायब कर दूं , जैसे वह कभी हुऐ ही नहीं ! ”
प्यारे पापा , आज आपकी बहुत याद आ रही है , याद तो रोज ही आती है लेकिन आज आपकी याद अपने चरम पर है वो इसीलिये कि आज में शायद सबसे ज्यादा मुसीबत में हूं ! पहले सोचा कि आपको फोन लगाऊं लेकिन , फिर अचानक कुछ याद आते ही जैसे फोन के कीपैड पर रखीं मेरी अंगुलियां रुक सी गईं क्योंकि अब आप फोन पर नहीं आते न , शायद आपने अपना नंबर बदल लिया होगा , जो आपने अब तक मुझे नहीं दिया !
पापा न जानें क्यों मुझे लगता है कि आप मेरे आस पास ही हो , नहीं यकीन होता कि आप हमें छोडकर भी जा सकते हो ! मुझे पता है पापा आज जब में सो जाता हूं तो आज चुपके से कहीं से आकर मेरी डायरी पढते हो , पढते हो न ? और इसीलिये में जानता हूं कि आप मेरा यह खत भी जरूर पढोगे ! प्लीज पढ लेना और मिलने आ जाना मुझसे , प्लीज पापा !
कहां हो पापा आप , आज आपसे बात किये हुऐ 32 महीने हो गये है ! जाने कैसे आपसे बात किये बिना अब तक जिंदा हूं मे अब तक ! एक समय था जब आपसे रोज बात होती थी , आपसे जब तक शाम को बात न हो मेरा दिन जैसे खत्म ही नहीं होता था ! में आज आपसे बात करना चाहता हूं , में चाहता हूं के आप मुझसे वही सबाल पूंछे जो पहले पूंछा करते थे कि बेटा तेरी पढाई कैसी चल रही है , खाना खाया या नहीं , पैसे है कि नहीं ! प्लीज पापा अगर आप मुझे महसूस कर सकते है तो एक बार मुझे फोन लगाइये न , प्लीज !
याद है पापा बचपन में आप सुबह आफिस चले जाया करते थे लेकिन शाम को बापस भी आ जाया करते थे , प्लीज पापा एक बार फिर से बापस आ जाइये न ! में इन 32 महीनों को एक दिन समझकर सब कुछ भूलना चाहता हूं ! मुझे आप चाहिये पापा कैसे भी हो बस आपसे मिलना चाहता हूं , नहीं जानता कैसे लेकिन आप आ जाइये बस ! या आपको बापस पाने का कोई रास्ता हो तो वो बता दीजिये मुझे में बस कैसे भी आपको पाना चाहता हूं !
प्यारे पापा , आपको याद है जब मां या भाई मुझे किसी बात पर डांटते थे या किसी चीज के लिये मनां कर देते थे और में रूठकर घर के किसी कोनें में या छत पर बैठ जाता था तो आप चुपके से आकर अपनी बातों से मनाने का प्रयास करते थे और में आपसे अपनी कोई भी बात मनवाकर खिलखिला देता था ! मेरे पास आपकी कोई भी तस्वीर नहीं हैं , हम दोनों के साथ वाली … मुझे आपके साथ एक सेल्फी लेनी है … आ जाइये न पापा … प्लीज !
प्यारे पापा , आप अपने लिये कभी जिये ही नहीं , आपका सोना , जागना , हंसना , रोना सब मेरे लिये ही तो था ! आपने अपनी आंखो से मेरे लिये ही तो सपने देखे थे , और उन्हें पुरा करने के लिये आपने क्या कुछ नहीं किया ! आपने पैसे न होते हुऐ भी मुझे पढने के लिये ग्वालियर भेजा , कैसे भी हो हर महीनें मेरे लिये पैसे भेजे तब बस घर में एक ही मोबाइल था आपके पास वो भी आपने मुझे दे दिया , यह कहकर कि आपको उसकी जरूरत नहीं है !
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पापा , आपने ही मेरी सारी जरूरतों को चुपके चुपके पूरा किया , मेरा हर शौक पूरा किया , मेरी हर छोटी बडी उपलब्धि पर मेरा उत्साह बढाया ! कितनी बार असफलता मिलनें पर भी आपने मुझे कभी नहीं डांटा , जब भी हिम्मत टूटी तो आपने मेरा हौंसला बढाया यह कहकर कि – “ तुम करो , आंगे बढो , में हूं न तुम्हारे साथ , फिर किस बात की चिंता ” !
आपके इन शब्दों ने जीवन की किसी भी कठिन और असमंजस भरी परिस्थिति में मेरा साथ नहीं छोडा ! और में संघर्ष के दिनों में भी अपने दुगने आत्मविश्वास के साथ खडा हुआ ! आज भी समय कैसा भी हो , परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हों , कोई मेरे साथ खडा हो या नहीं , में जानता हूं पापा कि आप मेरे साथ हमेशा खडे है , और दुनियां की कोई भी ताकत मुझे डिगा नहीं सकती ! में आज भी जब किसी मुसीबत में होता हूं तो आंखें बंद कर लेता हूं अपनी , और आपको अपने सामने खडा मुस्कराता हुआ पाता हूं , मुझे निहारते हुऐ , मुझसे वही शब्द कहते हुऐ – “ में हूं ना तुम्हारे साथ ” !
जिसके साथ बचपन से ही बेहतर सामंजस्य रहा हो , जो शुरु से ही मेरी हर बात को मेरे कहे बिना समझ जाता हो , जो हर अच्छी बुरी परिस्थिति में मेरे साथ हो , जो दुनिया में सबसे ज्यादा मेरी फिक्र करता हो , और जो पैसे न होनें के बाबजूद मेरी हर ख्वाहिश पूरी करने का दिल रखता हो … वही सुपरहीरो थे पापा आप मेरे ! आ जाओ न पापा मुझे मेरे सुपरहीरो की जरूरत है !
आप क्या हो मेरे लिये इस बात को शब्दों में शायद बयान करना संभब ही नहीं है , लेकिन इसका जबाब केवल इस बात में छुपा है कि – “ आप मेरे पापा हो और में आपका बेटा ” ! कहने को शब्द बहुत कम हैं लेकिन फिर भी शुक्रिया पापा , मेरे पापा होने के लिये …… बस एक बार वापस आ जाओ न पापा …प्लीज !
पता है पापा , जब में अपने दोस्तों से उनके पापा के बारे में बात करते हुऐ सुनता हूं तो मुझे आप और भी प्यारे लगने लगते हो , पता है क्यों ? क्योंकि आप उन सबके पापा के जैसे नहीं थे ! आप उन सबसे अलग थे , सबसे Best थे ! सबके पापा इन्हें बचपन में मारते थे , उनकी गलतियों पर डांटते थे , लेकिन आपने कभी मुझे नही डांटा और न हीं मारा ! मुझे दूर दूर तक याद नहीं कि आपने कभी मुझ पर हाथ उठाया हो या तल्ख आवाज में मुझसे बात की हो ! आप तो बस हंसकर मुझे जीबन की सच्चाई बताते रहे ! और आंगे बढने के लिये प्रोत्साहित करते रहे !
प्यारे पापा आप हमेशा मेरे दोस्त बनकर रहे , में वो हर बात आपके साथ कर सकता था जो अपने किसी खास दोस्त से कर सकता था ! मम्मी और भईया को भी में कभी कुछ नहीं बता सकता था , लेकिन आपसे में सब कुछ कह सकता था ! और आप मेरी हर Problem का Solution मुझे देते थे ! पापा एक बार वापस आओ न मेरे पास , बहुत सारी समस्याऐं है मेरे जीवन में जो में किसी के साथ भी नहीं बांट पा रहा हूं ! पापा पता है अभी में एक बहुत बडे पशोपेश से जूझ रहा हूं मेरे दोस्त जो मुझे जानते है कह रहे हैं कि में बहुत गलत कर रहा हूं , लेकिन फिर भी में अपने दिल की कर रहा हूं ! में बस एक बार आपसे इस बारे में बात करना चाहता हूं , कुछ Suggetion लेना चाहता हूं आपसे , एक बार आपसे कसकर लिपटकर में अपने सभी दुखों को भूल जाना चाहता हूं ! आ जाओ न वापस प्लीज !
पता है पापा जब आपको आखिरी बार लेटे हुऐ देखा था तो बस लगा था कि मेरे पापा तो बस सो रहे है ! जैसे अभी नींद से जाग आयेंगे और बस मुस्करा देंगे ! लेकिन सच कुछ और ही था ! उस समय में आपसे लिपटकर बस रोना चाहता था , लेकिन मेंनें ऐसा नही किया क्योंकि में जानता था कि आप मुझे रोता हुआ नहीं देखना चाहेंगे , और फिर मुझे टूटता हुआ देखकर मम्मी , दीदी , भईया और छोटू भी तो टूट ही जायेंगे न ! बस इसीलिये में दूर खडा हुआ बस सुबकता रहा !
पापा अगर आप यह खत पढें तो प्लीज वापस आ जाइये न , आप जानते है न कि आपका परिवार इस समय कितनी समस्याओं से जूझ रहा है ! पापा आपके परिवार को आपकी जरूरत है , मुझे आपकी जरूरत है , हम सबको आपकी जरूरत है ! प्लीज बापस आ जाइये !
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एक खत पापा के नाम – वापिस आ जाओ न पापा
राकेश कुमार (इलाहाबाद )
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