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ग़ज़ल

सितम सहकर भी जिनको शिकायत नहीं होती।,

ऐसे लोगों के हाथ मे अज़मत नहीं होती।

मोहब्बत में थोड़ा इंतजार कीजिए साहेब,

जल्दबाजी के इश्क में लज्जत नहीं होती।

तुम्हारे बगैर ये जिंदगी बोझ लगती है,

किसी दिन क्यों इसमें क़यामत नहीं होती।

लिखा रहता है हाल ए दिल मेरे चेहरे पे,

अब किसी को बताने की जरूरत नहीं होती।

हमने टूटकर चाहा है हर बार तुम्हें,

ज़रा सी बात पर हमसे फुरकत नहीं होती।

 

मोहित मुंतज़िर

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