रात को दिन से ,शाम को भोर से शिकायत हैं!*
*यह रंगमंच हैं साहब यहाँ सब कुछ जायज हैं!*
यहाँ तुच्छपन की नीति में उच्च किरदार नजर आते हैं!
यहाँ हमारे पाले हुँए साँप हमें ही डसते और खाते हैं!
जिन हाथो ने सीँचे पौधे उन्हीं में काँटे चुभाते हैं!
जिन हाथो ने सीँचे पौधे उन्हीं में काँटे चुभाते हैं!
और दूध को पानी,पानी को दूध दिखा ढाँढस बँधाते हैं!
*विरोधाभास की ध्वनि को दबाना ही सियायत हैं!*
*विरोधाभास की ध्वनि को दबाना ही सियायत हैं!*
*यह रंगमंच हैं साहब यहाँ सब कुछ जायज हैं!*
यहाँ रोना-गाना,हँसना हँसाना चलते रहना हैं!
अपना बनके आग लगा जख्मो पे मरहम मलते रहना हैं!
चाहे हो माँ का सूना आँचल चाहे बहना की सूनी राखी
चाहे हो माँ का सूना आँचल चाहे बहना की सूनी राखी
काँटो की बस्ती खिले कमल सा खिलते रहना हैं!
*मानवता का नकली चोला ही जीने की रियायत हैं!*
*मानवता का नकली चोला ही जीने की रियायत हैं!*
*यह रंगमंच हैं साहब यहाँ सब कुछ जायज हैं!*
आस्तीन झटका कर देखो,जाने कितने सर्प गिरेंगे!
नोट जरा मटका कर देखो खूब यहाँ हमदर्द मिलेंगे!
ऱाह जरा भटका कर देखो सब यहाँ अपने निकलेंगे!
ऱाह जरा भटका कर देखो सब यहाँ अपने निकलेंगे!
दरवाजे खटका कर देखो दु:खी घड़ी में न दिखेंगे!